जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार में जैसे ही राजस्थान में 4 साल से लगी बजरी खनन पर रोक हटाई तो राजस्थान में बड़े स्तर पर वैध बजरी खनन फिर से शुरू होने का रास्ता साफ हो गया है. इस फैसले के बाद अब राजस्थान की 65 बड़ी बजरी खानें फिर से चालू हो सकेंगी.
हालांकि जब 4 साल पहले यह खनन रोका गया था तो खनन लीज की संख्या 53 थी. यह खानें प्रदेश के राजसमंद की तहसील राजसमंद और नाथद्वारा की और टोंक जिले की देवली तहसील की नदियों में है. खनन के चलने से जहां एक और राजस्थान सरकार के खजाने में सालाना 400 करोड़ रुपए अधिक राजस्व पहुंचेगा.
बजरी उत्पादन बढ़कर होगा 700 लाख टन
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश की 65 लीज नदियों में चालू हो सकेंगे. जिससे उत्पादन 700 लाख टन हो जाएगा. यह उत्पादन सुप्रीम कोर्ट की साल 2017 में लगाई गई रोक से पहले 568 लाख टन था. इससे सरकार को तो 400 करोड़ सालाना राजस्व मिलेगा ही, आम आदमी को भी 1400 से 1500 रुपये टन मिलने वाली बजरी करीब 900 से 950 रुपये टन में मिलेगी. दरअसल बजरी के सस्ते होने में अब किराए का भी योगदान रहेगा.
उदाहरण के तौर पर जयपुर में बजरी देवली के कोटड़ी या अन्य दूरदराज के क्षेत्रों से आ रही थी, जिसका किराया और अन्य खर्च ही जयपुर तक 800 से 1000 रुपए प्रति टन पढ़ रहा था. लेकिन अब टोंक व आसपास के क्षेत्र से बनास व अन्य नदियों में खनन चालू होने से यह किराया और अन्य खर्चे आधे से कम हो जाएंगे. यही हाल प्रदेश के अन्य जिलों में भी है जहां दूरदराज से मंगाए जाने के चलते खर्च बढ़ जाता था और बजरी महंगी हो जाती थी.
खातेदारी की 177 खानें बंद होगी
नदियों के बेटे के 5 किलोमीटर परिधि में चल रही 177 खाने अब बंद कर दी जाएंगी. क्योंकि इन खानों को नदियों में बजरी खनन पर रोक लगने के बाद खातेदारी भूमि में दी गई थी. लेकिन इन खानों के नाम पर लगातार अवैध रूप से नदी से बजरी निकालकर इन्हें बेचा जा रहा था. सेंट्रल एंपावर्ड कमेंटी की रिपोर्ट के बाद अब यह 177 खानें बंद होंगी. वहीं 23 खानें जो नदी पेटे से 5 किलोमीटर की परिधि से बाहर है वह चालू रहेगी, लेकिन इन खानों को चालू रखने से पहले इनका ड्रोन सर्वे करवाया जाएगा. बीकानेर में खातेदारी में 80 खानें जो पहले से चल रही है वह चलती रहेगी.
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2012-2013 में नीलाम हो चुकी खानों में हुआ केवल 47 महीने खनन
2017 में जब प्रदेश में खनन पर रोक लगी तो प्रदेश में उन खान लीज धारकों को बड़ा नुकसान हुआ. जिन्होंने 2012-2013 में बजरी की खानें नीलाम की थी, क्योंकि 2017 तक इन तमाम खानों में 47 महीने खनन हो चुका था. ऐसे में इन खानों को 13 महीने और खनन की अनुमति जारी की जाएगी. ये खानें नदियों में 500 से 4000 हेक्टेयर तक की है.
ऐसे समझें खनन की रोक से अब तक चली प्रक्रिया को
राजस्थान में जब साल 2017 में बजरी खनन पर रोक लगी उस समय बजरी की 53 खनन लीज थी. जिनमें 568.40 लाख टन बजरी खनन होता था और सरकार को 245.95 करोड़ सालाना राजस्व मिलता था. जो सुप्रीम कोर्ट के बजरी खनन पर रोक लगाने के बाद केवल 281 लीज खातेदारी भूमि पर खनन चल रहा था.
इससे 108 लाख टन बजरी खनन हो रहा था, जिससे प्रदेश में 40 करोड़ की ही राजस्व प्राप्ति रह गई. इसके साथ ही 3 लीज नदियों में 100 लाख टन बजरी खनन हो रही थी, जिससे भी सरकार को 40 करोड़ का राजस्व मिल रहा था. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 65 लीज नदियों में खनन चालू हो सकेगा, जिससे सालाना 700 लाख टन बजरी खनन होगा और प्रदेश सरकार को भी चार सौ करोड़ का राजस्व सालाना मिलेगा.
रुक नहीं रहा था अवैध खनन
भले ही राजस्थान में सुप्रीम कोर्ट की ओर से अवैध खनन पर रोक लगाई. लेकिन इससे अवैध खनन माफिया एक संगठित अपराधिक गतिविधियों में संलिप्त हो गया और यही कारण है कि पिछले 1 साल में अवैध खनन के कुल 3458 मामले सामने आए. जिनमें 386 एफआईआर दर्ज की गई 24 करोड़ का जुर्माना वसूल किया गया और 3501 वाहन और मशीनरी जप्त की गई. अवैध खनन कर रहे लोगों से हुई मुठभेड़ में कई लोगों की जान भी गई और अवैध खनन कर रहे ट्रेलर से कितने लोगों की जान गई, इसके तो आंकड़े भी विभाग के पास नहीं हैं.