जयपुर. विधानसभा में शुक्रवार का दिन हंगामे के नाम रहा. हंगामे के दौरान भाजपा विधायक इतने उग्र हो गए कि उन्हें ना सभापति राजेंद्र पारीक व डॉ. जितेंद्र सिंह शांत करवा पाए और ना ही स्पीकर सीपी जोशी. मामला विधायक संयम लोढ़ा के अनुदान मांगों पर अधिक समय तक बोलने से शुरू हुआ. जिसका भाजपा विधायकों ने विरोध किया. हंगामा बढ़ने पर स्पीकर ने आधे घंटे के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी.
सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर भाजपा विधायकों ने फिर से हंगामा करना शुरू कर दिया. स्पीकर जोशी ने कई बार अपनी बात कहने की कोशिश की. लेकिन भाजपा विधायक वेल में आकर नारेबाजी करने लगे और धरने पर बैठ गए. ऐसे में स्पीकर ने मजबूरन सिंचाई और भूमि संरक्षण से जुड़ी अनुदान मांगों पर जवाब के लिए मंत्री बीडी कल्ला को निर्देश दिए. हंगामे के बीच कल्ला ने सदन में जवाब दिया और उसके बाद शेष बचे हुए विभागों की अनुदान मांगें मुख बंद का प्रयोग कर पारित कर दी गई.
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नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया का आरोप था कि सरकार की सांठगांठ से संयम लोढ़ा को निर्दलीय होने के बाद भी अधिक समय तक बोलने की इजाजत दी गई. जबकि भाजपा विधायकों को बहस में 2 से 3 मिनट बाद ही घंटी बजाकर रोकने की कोशिश की जाती है. कटारिया के अनुसार कांग्रेस में भाजपा के खिलाफ बोलने में कोई एक्सपर्ट नहीं है. तो उन्होंने संयम लोढ़ा को आगे कर दिया जो नियमानुसार गलत है.
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वहीं भाजपा विधायकों के आरोप को परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने सिरे से खारिज कर दिया. खाचरियावास के अनुसार नेता प्रतिपक्ष और उप नेता प्रतिपक्ष चाहते हैं कि सदन उनके अनुसार चले और विपक्ष जिसे चाहे वह बोले और जिसे विपक्ष नहीं चाहे उसे नहीं बोलने दिया जाए. लेकिन सदन तो स्पीकर की व्यवस्था से ही चलता है.
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बहरहाल हंगामे के बीच अनुदान मांगे पारित हो गई और उसके बाद सदन की कार्यवाही भी सोमवार सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दी गई. लेकिन बड़ा सवाल यही है कि क्या सोमवार को भी भाजपा विधायकों का यही रुख रहेगा जो शुक्रवार को रहा.