जयपुर. जोबनेर में श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय मे ‘पादप रोग विज्ञान पुनर्निरीक्षण एवं संभावनाएं’ विषय पर बुधवार को अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया. कार्यक्रम में (Governor Kalraj Mishra ) राज्यपाल कलराज मिश्र ने रासायनिक कीटनाशकों के मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव को देखते हुए फसल कीटों और पादप रोगों पर नियन्त्रण के जैविक तरीके अपनाने पर बल दिया है.
राज्यपाल ने कहा कि जैविक खेती ही कृषि से जुड़े संकटों का प्रभावी उपचार है. यह पर्यावरण (organic farming is better for human and soil health) अनुकूल होने के कारण मानव के साथ-साथ मिट्टी के स्वास्थ्य की भी देखभाल करती है. उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों को जैविक खेती के सरल, कम खर्च की विधियों को बढ़ावा देने पर कार्य करना चाहिए. राज्यपाल ने कहा कि पौधे में हुई बीमारी बड़ी मानवीय त्रासदी को भी जन्म दे सकती है. वर्ष 1943 में बंगाल में चावल की फसल में हिलमेन्थोस्पूरियम लीफ स्पॉट बीमारी हो गई थी. इससे लाखों हैक्टेयर क्षेत्र में चावल की फसल खत्म हो गई थी और भुखमरी की स्थिति पैदा हुई थी.
इस घटना को आज भी ‘ग्रेट फैमिन ऑफ बगांल’ के नाम से जाना जाता है. उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए पादप रोगों के प्रभावी उपचार के लिए वृहद स्तर पर शोध कार्य होना चाहिए. राज्यपाल मिश्र ने टमाटर, मिर्च, बीजीय मसालों, बाजरे जैसी राजस्थान की प्रमुख फसलों से जुड़े रोगों और उनके उपचार की प्रभावी शोध योजना बनाने का आह्वान राजस्थान के कृषि वैज्ञानिकों से किया. उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में हुए शोध कार्य का अधिकतम लाभ किसानों तक पहुंचे, इसके लिए प्रसार शिक्षा के तंत्र को भी और मजबूत करने की जरूरत है.
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भारतीय वैज्ञानिक चयन मण्डल के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सीडी माई ने कहा कि मूंगफली, सरसों, सोयाबीन का प्रचुर उत्पादन होने के बावजूद देश को खाद्य तेलों का बड़ी मात्रा में आयात करना पड़ रहा है. उन्होंने खाद्य तेल उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इन फसलों की बीमारियों पर बड़े स्तर पर शोध कार्य की आवश्यकता जताई. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जीत सिंह सन्धू ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि क्षेत्र में नई चुनौतियां सामने आ रही हैं. खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पादप रोग विज्ञान में शोध कार्य की गति को और बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि स्मार्ट कृषि को प्रोत्साहन देने के लिए विश्वविद्यालय में डिजिटल नवाचारों पर फोकस किया जा रहा है.