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महाराष्ट्र में राज्यपाल ने स्थिरता की बजाय अस्थिरता लाने वाला निर्णय लिया : अशोक गहलोत

महाराष्ट्र में जारी सियासी घटनाक्रम को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि वहां के राज्यपाल को स्थिरता के लिए निर्णय लेना चाहिए था. जबकि उन्होंने इसके विपरीत किया.

राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, Ashok Gehlot on maharashtra
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Published : Nov 13, 2019, 8:50 PM IST

जयपुर. महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कई सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र देश का महत्वपूर्ण राज्य है उसमें अगर हंग असेंबली (त्रिशंकु विधानसभा) आ गई तो राज्यपाल की ड्यूटी थी कि कैसे स्थिति संभल सकती है और वहां किस प्रकार स्थाई गवर्नमेंट बन सकती है.

महाराष्ट्र में राज्यपाल ने अस्थिरता का निर्णय लिया : अशोक गहलोत

अशोक गहलोत ने कहा कि राज्यपाल ने जल्दबाजी दिखायी और पहले शिवसेना को बुलाकर टाइम दे दिया और इंतजार किया कि कब 7:30 बजें. ठीक उसी समय रिएक्शन दिया कि अब एनसीपी को बुलाएंगे और बाद में एनसीपी के मामले में क्या हुआ सबको मालूम है. अब नारायण राणे जो पहले कांग्रेस में थे, फिर शिवसेना में गए और अब बीजेपी में हैं, वह कहते हैं कि हम तो साम-दाम और दंड-भेद सब अपनाएंगे और सरकार बनाएंगे. इससे साफ पता लगता है कि देश किस दिशा में जा रहा है.

पढ़ेंः महाराष्ट्र सियासी बवाल: जयपुर में ठहरे कांग्रेस विधायकों की वापसी शुरू, कहा- हम जा रहे हैं सरकार का हिस्सा बनने

उन्होंने कहा हरियाणा के बाद महाराष्ट्र में भी अगर इनकी सोच नहीं बदली है तो आने वाले वक्त में जनता सबक सिखाएगी, तब समझ में आएगा. महाराष्ट्र के मौजूदा संकट पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना जो भी फैसला करेगी सबको मंजूर होगा. कांग्रेस हाई कमान के आला नेता आपस में चर्चा कर रहे हैं. जो फैसला होगा, उसके बारे में वक्त बताएगा. लेकिन राज्यपाल ने अच्छा फैसला नहीं किया. राष्ट्रपति शासन लागू कर स्टेबिलिटी कायम करने की बजाए अस्थिरता कायम कर दी.

पढ़ेंः नगर निकाय चुनाव : सांसद दीया कुमारी ने की ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत, कई मुद्दों पर रखी अपनी राय

शिवसेना के साथ गठबंधन पर सीएम गहलोत ने कहा कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी में सोनिया गांधी ने इस पर काफी सोच विचार किया है. उन्होंने काफी समय तक इस पर फैसला लेने के लिए चर्चा की. क्योंकि ऐसे फैसले अहम होते हैं जो भविष्य को देखकर किए जाते हैं. गहलोत ने कहा कि कांग्रेस को सत्ता का लोभ नहीं है. पहले भी सत्ता आई और गई है. पर कांग्रेस चाहेगी कि एक स्थायी सरकार हो उसके लिए क्या कदम उठाते हैं, समय बताएगा.

जयपुर. महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कई सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र देश का महत्वपूर्ण राज्य है उसमें अगर हंग असेंबली (त्रिशंकु विधानसभा) आ गई तो राज्यपाल की ड्यूटी थी कि कैसे स्थिति संभल सकती है और वहां किस प्रकार स्थाई गवर्नमेंट बन सकती है.

महाराष्ट्र में राज्यपाल ने अस्थिरता का निर्णय लिया : अशोक गहलोत

अशोक गहलोत ने कहा कि राज्यपाल ने जल्दबाजी दिखायी और पहले शिवसेना को बुलाकर टाइम दे दिया और इंतजार किया कि कब 7:30 बजें. ठीक उसी समय रिएक्शन दिया कि अब एनसीपी को बुलाएंगे और बाद में एनसीपी के मामले में क्या हुआ सबको मालूम है. अब नारायण राणे जो पहले कांग्रेस में थे, फिर शिवसेना में गए और अब बीजेपी में हैं, वह कहते हैं कि हम तो साम-दाम और दंड-भेद सब अपनाएंगे और सरकार बनाएंगे. इससे साफ पता लगता है कि देश किस दिशा में जा रहा है.

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उन्होंने कहा हरियाणा के बाद महाराष्ट्र में भी अगर इनकी सोच नहीं बदली है तो आने वाले वक्त में जनता सबक सिखाएगी, तब समझ में आएगा. महाराष्ट्र के मौजूदा संकट पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना जो भी फैसला करेगी सबको मंजूर होगा. कांग्रेस हाई कमान के आला नेता आपस में चर्चा कर रहे हैं. जो फैसला होगा, उसके बारे में वक्त बताएगा. लेकिन राज्यपाल ने अच्छा फैसला नहीं किया. राष्ट्रपति शासन लागू कर स्टेबिलिटी कायम करने की बजाए अस्थिरता कायम कर दी.

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शिवसेना के साथ गठबंधन पर सीएम गहलोत ने कहा कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी में सोनिया गांधी ने इस पर काफी सोच विचार किया है. उन्होंने काफी समय तक इस पर फैसला लेने के लिए चर्चा की. क्योंकि ऐसे फैसले अहम होते हैं जो भविष्य को देखकर किए जाते हैं. गहलोत ने कहा कि कांग्रेस को सत्ता का लोभ नहीं है. पहले भी सत्ता आई और गई है. पर कांग्रेस चाहेगी कि एक स्थायी सरकार हो उसके लिए क्या कदम उठाते हैं, समय बताएगा.

Intro:महाराष्ट्र में राज्यपाल को स्थिरता के लिए निर्णय लेना था उन्होने अस्थिरता का निर्णय लिया अशोक गहलोतBody:

महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि महाराष्ट्र देश का महत्तपूर्ण राज्य है उसमें अगर हंग असेंबली आ गई तो राज्यपाल की ड्यूटी थी कि कैसे स्थिति संभल सकती है,और वहां किस प्रकार स्थाई गवर्नमेंट बन सकती है।इसकी जगह राज्यपाल ने जल्दीबाजी दिखायी और पहले बुलाया शिवसेना को और टाइम दे दिया साढे सात बजे तक का और इंतजार किया 7:30 कब हो और ठीक उसी समय रिएक्शन दे दिया कि एनसीपी को बुलाएंगे और बाद में एनसीपी के मामले में क्या हुआ सबको मालूम है अब नारायण राणे जो पहले कांग्रेस में थे, शिवसेना में थे और अब वह बीजेपी में है वह कहते हैं कि हम तो साम दाम दंड भेद कुछ भी करेंगे सरकार बनाएंगे इससे साफ पता लगता है कि देश किस दिशा में जा रहा है, हरियाणा के अंदर भी और महाराष्ट्र के अंदर भी तब भी अगर इनकी सोच नहीं बदली है तो आने वाले वक्त के अंदर जनता और सबक सिखाएगी और समझ जाएंगे।कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना जो भी फैसला करेगी सबको मंजूर होगा, वह तो हमारे हाई कमांड के जो प्रतिनिधि है वह आपस में चर्चा कर रहे हैं वह तो आने वाला वक्त बताएगा क्या फैसला होता है।लेकिन राज्यपाल ने अच्छा फैसला नहीं किया स्टेबिलिटी कायम करने के बजाए अस्थिरता कायम कर दी महाराष्ट्र के अंदर राष्ट्रपति शासन लगा कर के।
वहीं गहलोत ने कहा कि शिव सेना के साथ गठबंधन को लेकर उन्होने कहा कि वर्किंग कमेटी में सोनिया गांधी जी ने इतना टाइम लगाया छह-सात घंटे लगाए हैं बातचीत करने में क्योंकि ऐसे फैसले अहम फैसले होते हैं जो भविष्य को देखकर किए जाते हैं, हमें कोई सत्ता का लोभ नहीं है पहले भी सत्ता आई है और गई है पर कांग्रेस चाहेगी कि स्टेबल गवर्नमेंट हो उसके लिए क्या कदम उठाते हैं वह टाइम बताएगा।

बाइट अशोक गहलोत मुख्यमंत्री राजस्थान
Conclusion:
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