जयपुर. महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कई सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र देश का महत्वपूर्ण राज्य है उसमें अगर हंग असेंबली (त्रिशंकु विधानसभा) आ गई तो राज्यपाल की ड्यूटी थी कि कैसे स्थिति संभल सकती है और वहां किस प्रकार स्थाई गवर्नमेंट बन सकती है.
अशोक गहलोत ने कहा कि राज्यपाल ने जल्दबाजी दिखायी और पहले शिवसेना को बुलाकर टाइम दे दिया और इंतजार किया कि कब 7:30 बजें. ठीक उसी समय रिएक्शन दिया कि अब एनसीपी को बुलाएंगे और बाद में एनसीपी के मामले में क्या हुआ सबको मालूम है. अब नारायण राणे जो पहले कांग्रेस में थे, फिर शिवसेना में गए और अब बीजेपी में हैं, वह कहते हैं कि हम तो साम-दाम और दंड-भेद सब अपनाएंगे और सरकार बनाएंगे. इससे साफ पता लगता है कि देश किस दिशा में जा रहा है.
उन्होंने कहा हरियाणा के बाद महाराष्ट्र में भी अगर इनकी सोच नहीं बदली है तो आने वाले वक्त में जनता सबक सिखाएगी, तब समझ में आएगा. महाराष्ट्र के मौजूदा संकट पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना जो भी फैसला करेगी सबको मंजूर होगा. कांग्रेस हाई कमान के आला नेता आपस में चर्चा कर रहे हैं. जो फैसला होगा, उसके बारे में वक्त बताएगा. लेकिन राज्यपाल ने अच्छा फैसला नहीं किया. राष्ट्रपति शासन लागू कर स्टेबिलिटी कायम करने की बजाए अस्थिरता कायम कर दी.
शिवसेना के साथ गठबंधन पर सीएम गहलोत ने कहा कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी में सोनिया गांधी ने इस पर काफी सोच विचार किया है. उन्होंने काफी समय तक इस पर फैसला लेने के लिए चर्चा की. क्योंकि ऐसे फैसले अहम होते हैं जो भविष्य को देखकर किए जाते हैं. गहलोत ने कहा कि कांग्रेस को सत्ता का लोभ नहीं है. पहले भी सत्ता आई और गई है. पर कांग्रेस चाहेगी कि एक स्थायी सरकार हो उसके लिए क्या कदम उठाते हैं, समय बताएगा.