जयपुर. अनलॉक फर्स्ट के तहत प्रदेश की राजधानी जयपुर में करीब-करीब सभी पाबंदी हटा ली गई है. अब सिर्फ धार्मिक स्थलों को खोलने की उम्मीद जनता को है. धार्मिक स्थलों को खोलने के लिए सरकार ने जिला कलेक्टरों की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कर निर्णय लेने के लिए कहा गया है.
धार्मिक स्थलों को खोलने को लेकर सरकार ने जिला प्रशासन से 25 जून तक रिपोर्ट मांगी है. जिला प्रशासन ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी है और धार्मिक स्थलों से जिला प्रशासन के पास सुझाव आना भी शुरू हो गए हैं. हालांकि जयपुर के धार्मिक स्थलों से सुझाव जिला प्रशासन को भेजे जा रहे हैं, लेकिन सभी सुझाव सामान्य सुझाव ही है, जबकि जिला प्रशासन को आने वाले बड़े धार्मिक उत्सवों को लेकर चिंता सता रही है.
अतिरिक्त जिला कलेक्टर दक्षिण शंकर लाल सैनी ने बताया कि जुलाई माह के बाद गणेश चतुर्थी, सावन मास, गुरु पूर्णिमा जैसे बड़े धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन मंदिरों में होगा. ऐसे में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए क्या इंतजाम किए जाए, इसे लेकर कोई भी सुझाव धार्मिक स्थलों की ओर से नहीं आया है. इसे लेकर ही जिला प्रशासन चिंतित है. अगले हफ्ते धर्म गुरुओं के साथ होने वाली बैठक में सभी सुझाव पर विस्तार से चर्चा की जाएगी. उसके बाद ही सुझावों को लेकर अंतिम निर्णय किया जाएगा.
जिला प्रशासन के पास आए सामान्य सुझाव...
- भक्तों की मंदिर के बाहर थर्मल स्कैनर से जांच की जाएगी
- धार्मिक स्थलों पर आने के लिए मास्क पहनना अनिवार्य होगा
- आरती के समय सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करना चाहिए
- घंटियों का उपयोग नहीं किया जाएगा, उस पर कपड़ा लगाया जाएगा
- प्रसाद वितरण में भी पूरी सावधानी रखी जाएगी
जिन बातों को लेकर जिला प्रशासन चिंतित है वो निम्न हैं...
- गणेश चतुर्थी पर लंबी कतार लगाने पर क्या रहेगा इंतजाम
- सावन मास में जलाभिषेक किस तरह से कराएंगे
- सहस्त्रघट के कार्यक्रम में आयोजन कैसे होगा, कितने लोग सहस्त्र घट में मौजूद रहेंगे
- मंदिरों में रसोईयां किस तरह से संचालित होंगी, उनमें किस तरह से काम होगा
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जनता कर रही है धार्मिक स्थल खोलने की मांग...
लॉकडाउन खुलने के बाद छोटे शहरों और गलियों में स्थित मंदिरों को खोलने की मांग जनता की ओर से की जा रही है. मंदिरों में भक्तों की भीड़ भी नजर नहीं आ रही. हाल ही में छोटे मंदिर के संतों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर मंदिर खोलने की मांग की थी. कई धार्मिक स्थल ऐसे हैं जहां आने वाले दान से ही धार्मिक स्थलों का खर्चा चलता था. लॉकडाउन में धार्मिक स्थलों पर काम करने वाले लोगों को वेतन भी नहीं दिया गया.