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सरकार को ग्राम पंचायतों के परिसीमन करने का अधिकार : राजस्थान हाईकोर्ट

ग्राम पंचायतों के परिसीमन के विरोध में दाखिल याचिकाओं को राजस्थान हाईकोर्ट ने निस्तारित करते हुए यह कहा है कि परिसीमन राज्य सरकार का अधिकार है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं पर हर्जाना भी लगाया है.

Rajasthan High Court, ग्राम पंचायतों का परिसीमन
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Published : Sep 19, 2019, 8:27 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि ग्राम पंचायतों के गठन को लेकर क्षेत्रों के परिसीमन करने का अधिकार राज्य सरकार को मिला हुआ है. हाईकोर्ट उसका ज्यूडिशियल रिव्यू नहीं कर सकता है.

हाईकोर्ट ने कहा कि परिसीमन से किसी के मूलभूत या कानूनी अधिकार का उल्लंघन भी नहीं होता है. ऐसे में अदालत को इसमें दखल की जरूरत नहीं है. इसके साथ ही अदालत ने इस संबंध में दायर चार याचिकाओं को 25-25 हजार रुपए के हर्जाने के साथ खारिज कर दिया है.

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न्यायाधीश एसपी शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश नूर मोहम्मद व अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि हाईकोर्ट की खंडपीठ 19 दिसंबर 2014 को इस संबंध में हस्तक्षेप से इंकार कर चुकी है.

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याचिकाकर्ता नूर मोहम्मद की याचिका में अजमेर के नसून गांव को मायला ग्राम पंचायत से नई ग्राम पंचायत देव मंगरी में शिफ्ट करने को चुनौती दी गई थी. इसी तरह तीन अन्य याचिकाओं में भी ग्राम पंचायतों के परिसीमन को चुनौती देते हुए उनके गांवों को नई ग्राम पंचायत में शामिल करने की कार्रवाई पर रोक लगाने की गुहार की गई थी.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि ग्राम पंचायतों के गठन को लेकर क्षेत्रों के परिसीमन करने का अधिकार राज्य सरकार को मिला हुआ है. हाईकोर्ट उसका ज्यूडिशियल रिव्यू नहीं कर सकता है.

हाईकोर्ट ने कहा कि परिसीमन से किसी के मूलभूत या कानूनी अधिकार का उल्लंघन भी नहीं होता है. ऐसे में अदालत को इसमें दखल की जरूरत नहीं है. इसके साथ ही अदालत ने इस संबंध में दायर चार याचिकाओं को 25-25 हजार रुपए के हर्जाने के साथ खारिज कर दिया है.

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न्यायाधीश एसपी शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश नूर मोहम्मद व अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि हाईकोर्ट की खंडपीठ 19 दिसंबर 2014 को इस संबंध में हस्तक्षेप से इंकार कर चुकी है.

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याचिकाकर्ता नूर मोहम्मद की याचिका में अजमेर के नसून गांव को मायला ग्राम पंचायत से नई ग्राम पंचायत देव मंगरी में शिफ्ट करने को चुनौती दी गई थी. इसी तरह तीन अन्य याचिकाओं में भी ग्राम पंचायतों के परिसीमन को चुनौती देते हुए उनके गांवों को नई ग्राम पंचायत में शामिल करने की कार्रवाई पर रोक लगाने की गुहार की गई थी.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि ग्राम पंचायतों के गठन को लेकर क्षेत्रों के परिसीमन करने का अधिकार राज्य सरकार को मिला हुआ है। हाईकोर्ट उसका ज्यूडिशियल रिव्यू नहीं कर सकता है। परिसीमन से किसी के मूलभूत या कानूनी अधिकार का उल्लंघन भी नहीं होता है। ऐसे में अदालत को इसमें दखल की जरूरत नहीं है। इसके साथ ही अदालत ने इस संबंध में दायर चार याचिकाओं को 25-25 हजार रुपए के हर्जाने के साथ खारिज कर दिया है। न्यायाधीश एसपी शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश नूर मोहम्मद व अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए। Body:अदालत ने अपने आदेश में कहा कि हाईकोर्ट की खंडपीठ 19 दिसंबर 2014 को इस संबंध में हस्तक्षेप से इंकार कर चुकी है।
याचिकाकर्ता नूर मोहम्मद की याचिका में अजमेर के नसून गांव को मायला ग्राम पंचायत से नई ग्राम पंचायत देव मंगरी में शिफ्ट करने को चुनौती दी गई थी। इसी तरह तीन अन्य याचिकाओं में भी ग्राम पंचायतों के परिसीमन को चुनौती देते हुए उनके गांवों को नई ग्राम पंचायत में शामिल करने की कार्रवाई पर रोक लगाने की गुहार की गई थी।
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