जयपुर. प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण के फैलते मामलों के बीच सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड, आईसीयू बेड और वेंटिलेटर की कमी देखने को मिल रही है. इसी बीच जहां सरकार की ओर से सरकारी अस्पतालों में कोविड-19 मरीजों का इलाज निशुल्क किया जा रहा है तो वहीं प्राइवेट अस्पतालों के लिए भी निश्चित दरें सरकार की ओर से तय की गई है.
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कोविड-19 की पहली लहर में सरकार ने यह दरें तय की थी. लेकिन, पिछली बार कुछ मामले ऐसे देखने को मिले थे जहां सरकार की ओर से तय की गई दरों से अधिक प्राइवेट अस्पताल वाले मरीजों से पैसा वसूल रहे थे. चिकित्सा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कोविड-19 की इस दूसरी लहर में अभी तक कोई भी मामला देखने को नहीं मिला है, जहां मरीजों से अधिक पैसा वसूल किया जा रहा हो.
जयपुर की बात की जाए तो निजी अस्पतालों की मॉनिटरिंग जयपुर सीएमएचओ डॉक्टर नरोत्तम शर्मा की ओर से की जा रही है. सरकार की ओर से तय की गई दरों को लेकर जब डॉ. नरोत्तम शर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना इलाज को लेकर निश्चित दरें सरकार की ओर से तय की गई है और प्राइवेट अस्पतालों पर लगातार नजर भी रखी जा रही है.
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हालांकि, अभी तक इससे जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या सामने नहीं आई है, जहां तय दरों से अधिक प्राइवेट अस्पतालों ने मरीज से पैसा लिया हो. नरोत्तम शर्मा ने कहा कि यदि तय दरों से अधिक कोई प्राइवेट अस्पताल पैसा वसूल करता है तो उसकी शिकायत सीएमएचओ कार्यालय में की जा सकती है और उस अस्पताल पर कार्रवाई जरूर की जाएगी. सरकार की ओर से प्रदेश में एनएबीएल (नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कॉलिब्रेशन लैबोरेट्रीज) और नॉन एनएबीएल अस्पतालों के लिए इलाज की अलग-अलग दर तय की गई है.
अन्य शुल्क भी किए गए शामिल
एनएबीएल और नॉन एनएबीएल अस्पतालों के लिए सरकार की ओर से तय की गई इन दरों के अंदर कोविड-19 टेस्ट, फिजियोथेरेपी शुल्क, सभी प्रकार की दवाएं, बायोमेडिकल शुल्क और सभी प्रकार की जांचों को भी शामिल किया गया है. हालांकि, महंगी दरों वाले इंजेक्शन और प्लाज्मा थेरेपी को इस पैकेज में शामिल नहीं किया गया है.