जयपुर. पिछली भाजपा सरकार ने घाटे का सौदा मानते हुए बाड़मेर स्थित जिस गिरल लिग्नाइट थर्मल पावर प्लांट को बंद कर दिया गया (giral lignite thermal power plant). अब मौजूदा कांग्रेस सरकार उन दोनों प्लांटों को शुरू करवा सकती है. प्रदेश सरकार के निर्देश के बाद ऊर्जा विभाग और विद्युत उत्पादन निगम ने इसकी संभावनाएं तलाशना शुरू कर दी है.
बताया जा रहा है कि हाल ही में मुख्यमंत्री के स्तर पर हुई ऊर्जा विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान इस संबंध में भी जानकारी हासिल की गई थी. अधिकारियों को बंद पड़े इन प्लांट को शुरू करने की संभावनाओं से जुड़ी रिपोर्ट एक माह में देने को कहा गया है. ऐसे में ऊर्जा विभाग विद्युत उत्पादन निगम से जुड़े अधिकारियों की टीम जल्द ही बाड़मेर स्थित प्लांट पर जाएगी. यहां 250 मेगावाट क्षमता की दो यूनिट है. साल 2016 में अंतिम बार प्लांट में बिजली का उत्पादन हुआ था.
2016 में किया था बंद: 125-125 मेगावाट क्षमता के इन दोनों ही प्लांट में बिजली उत्पादन के लिए जो लिग्नाइट उपयोग किया जा रहा था उसमें सल्फर की मात्रा अधिक होने से प्लांट को बार-बार बंद करना पड़ता था. इन प्लांट से व्यवसायिक उत्पादन साल 2008 में शुरू किया गया था. नियम मुताबिक प्लांट की कुल उत्पादन क्षमता के अनुपात में 75 प्रतिशत बिजली उत्पादन होना जरूरी है. ऐसा नहीं होने पर उस इकाई को घाटे में माना जाता है. गिरल प्लांट में साल 2009 से 2016 के बीच महज 15 से 30 प्रतिशत तक ही बिजली का उत्पादन होता रहा.
कोयला संकट के चलते लिग्नाइट आधारित प्लांट पर फोकस: प्रदेश में कोयले का संकट लगातार बना हुआ है। केंद्र सरकार ने भी राज्यों को विदेश से कोयला आयात करने के लिए कहा है, जो काफी महंगा है और इससे राज्य सरकारों पर आर्थिक भार ही बढ़ जाएगा. यही कारण है कि प्रदेश सरकार का फोकस अब लिग्नाइट आधारित प्लांट पर है. राजस्थान में बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, नागौर और पाली में लिग्नाइट के काफी भंडार है.