जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस पार्टी अपनी बजट घोषणाओं और कामकाज के बलबूते 2023 में फिर से चुनाव जीतने के दावे कर रही है. इसके लिए कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को एकजुट होने के लिए भी कहा जा रहा है लेकिन किसी भी दल को चुनाव जिताने में पार्टी संगठन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. संगठन का कार्यकर्ता ही ग्रास रूट लेवल पर पार्टी की विचारधारा को आमजन तक पहुंचाता है और उसी की मेहनत से सरकार बनती है, लेकिन जुलाई 2020 में कई राजनीतिक उठापटक के बाद से अब तक करीब 2 साल बीतने के बाद भी कांग्रेस का संगठन पूरी तरह से खड़ा (Gehlot government incomplete organization) नहीं हो सका है.
सबसे निचली इकाई ब्लॉक अध्यक्ष ही नही, पार्टी को कैसे मिले ग्राउंड रिपोर्ट
राजस्थान में कांग्रेस के संगठन की बात करें तो हर विधानसभा में दो ब्लॉक अध्यक्ष बनाए जाते हैं. जिनकी अपनी कार्यकारिणी भी होती है, यही ब्लॉक अध्यक्ष अगर सरकार होती है तो उनकी योजनाओं को जनता के बीच निचले पायदान तक पहुंचाने का काम करता है, या फिर संगठन के प्रस्तावित कार्यक्रमों को जमीनी स्तर पर पूरा करवाता है. इस लिहाज से राजस्थान में 200 विधानसभा में 400 ब्लॉक अध्यक्ष बनाए जाने होते हैं, लेकिन करीब 20 महीने निकल जाने के बावजूद अब तक कांग्रेस पार्टी ब्लॉक अध्यक्ष के रूप में सबसे मजबूत और निचली कड़ी तैयार नहीं कर सकी है.
जिला अघ्यक्ष की संख्या भले ही 39 से 42 की लेकिन बने अभी तक 13 ही
कांग्रेस पार्टी ने इस बार संगठन की आवश्यकता को देखते हुए 39 की जगह 42 जिला अध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया है, लेकिन इसका पार्टी को कोई लाभ नहीं मिल रहा है. कारण साफ है कि जब जिला अध्यक्ष बने ही नहीं तो फिर पद की संख्या बढ़ाने का क्या फायदा? राजस्थान में पहले कांग्रेस संगठन के 39 जिला अध्यक्ष होते थे जिनकी संख्या अब बढ़ाकर 42 कर दी गई है लेकिन इन 42 में से अब तक केवल 13 जिला अध्यक्ष ही बनाये गए हैं. ऐसे में केंद्र सरकार के खिलाफ लगातार किए जा रहे प्रदर्शनों पर भी जिला कार्यकारिणी नहीं होने का नकारात्मक प्रभाव दिखाई दे रहा है. इसमें ज्यादा देरी आने वाले विधानसभा चुनाव को भी प्रभावित करेगी.
करीब 10 हजार कांग्रेस नेताओं को मिलने हैं पद
राजस्थान में जिला अध्यक्ष, ब्लॉक अध्यक्ष ,जिला कार्यकारिणी, ब्लॉक कार्यकारिणी की बात की जाए तो करीब 10,000 नेताओं को संगठन में नियुक्ति दी जानी है, लेकिन नेताओं को अभी इन नियुक्ति के लिए इंतजार करना होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने अब यह तय किया है कि संगठन चुनाव के बाद ही पदाधिकारी बनाए जाएंगे. ऐसे में पहले से ही 20 महीने का इंतजार कर चुके कांग्रेस नेताओं को अभी और लंबा इंतजार करना पड़ सकता है.
ये होनी है नियुक्तियां
संगठन का जिलाध्यक्ष और जिला कार्यकारिणी नियुक्ति: 13 जिला अध्यक्ष की घोषणा हो चुकी है लेकिन अभी 29 जिलाध्यक्षों की नियुक्त होना फिलहाल बाकी है. प्रदेश की गहलोत सरकार ने इस बार कुल 42 जिला अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा की थी. इसी प्रकार हर जिले में कम से कम 50 पदाधिकारी बनाए जाएंगे तो पार्टी के करीब 2100 नेताओं को जिलों में पदाधिकारी बनाया जाना अभी बाकी है.
ब्लॉक अध्यक्ष एवं ब्लाक कार्यकारिणी: 200 विधानसभा में 400 ब्लॉक अध्यक्ष और कम से कम 20 की कार्यकारिणी बनेगी तो करीब 8500 नेता ब्लॉक में पदाधिकारी बनाये जाएंगे. ऐसे में जिला और ब्लॉक की कार्यकारिणी यों को जोड़ दिया जाए तो 10,000 नेताओं को नियुक्ति मिल जाएगी. लेकिन इसके अलावा भी राजस्थान में कांग्रेस पार्टी अपने प्रकोष्ठ और विभाग बनाती है जिनकी प्रदेश कार्यकारिणी के साथ जिलों की कार्यकारिणी भी बनाई जाती है. ऐसे में बड़ी तादाद इन नेताओं की भी होगी लेकिन 10,000 तो प्रमुख पद ही पार्टी में कार्यकर्ताओं को दिए जाने फिलहाल बाकी हैं.
अब तो भाजपा के साथ ही आप की भी चुनोती
राजस्थान में आंतरिक गुटबाजी से जूझ रही कांग्रेस पार्टी 20 महीने बीत जाने के बाद भी अपना संगठन तैयार नहीं कर सकी है. वहीं आम आदमी पार्टी के रूप में उन्हें एक नई चुनौती भी इस बार चुनाव में मिल सकती है. वैसे भी राजस्थान में यह कहा जाता है एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा की सरकार जनता बनवाती है. ऐसे में दशकों से सरकार रिपीट करने के जिस सपने को पूरा करने में भाजपा और कांग्रेस असफल रही है उसको इसबार पूरा करने के लिए कांग्रेस पार्टी को सक्रिय संगठन की आवश्यकता होगी. अब तक संगठन ही तैयार नहीं हुआ है तो ऐसे में 2023 के चुनाव मे ज्यादा से ज्यादा 1 साल पहले ही कांग्रेस पार्टी को पूरा संगठन मिलेगा, जिसे फील्ड मे दौरा करने के लिए पर्याप्त समय ही नहीं मिलेगा.