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राजस्व में कमी की वजह से गहलोत सरकार ने जारी किया मितव्ययता परिपत्र

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Published : Sep 3, 2020, 3:35 PM IST

सीएम अशोक गहलोत की पहल पर कोविड- 19 महामारी की चुनौती का सामना करते हुए मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने, प्रभावित वर्ग को सहायता प्रदान करने और आर्थिक गतिविधियों में शिथिलता के कारण राजस्व प्राप्तियों में भारी कमी को देखते हुए राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी कार्यकलापों में वित्तीय कुशल प्रबंधन को बढ़ावा देते हुए मितव्ययता परिपत्र जारी किया है. इससे राज्य के सीमित संसाधनों का समुचित उपयोग करते हुए संकट की इस घड़ी का सामना करने में आसानी होगी.

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सरकार का मितव्ययता हेतु अहम निर्णय

जयपुर. गहलोत सरकार की पहल पर जारी मितव्ययता परिपत्र के अनुसार साल 2020-21 के बजट की विभिन्न मदों जैसे कार्यालय व्यय, यात्रा व्यय, कंप्यूटर अनुरक्षण, स्टेशनरी, मुद्रण एवं लेखन, प्रकाशन, पुस्तकालय तथा पत्र-पत्रिकाओं पर व्यय के लिए उपलब्ध धनराशि का व्यय इस वित्तीय वर्ष में 70 प्रतिशत तक सीमित किया जाएगा. साथ ही, पीओएल मद में स्वीकृत प्रावधान के विरूद्ध व्यय को भी 90 प्रतिशत तक सीमित किया जाएगा.

परिपत्र के अनुसार शासकीय कार्याें के लिए की जाने वाली यात्राओं को न्यूनतम रखा जाएगा. यथा संभव वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठकें आयोजित की जाएंगी. हवाई यात्रा के लिए अधिकृत अधिकारी इकोनाॅमी क्लास में ही यात्रा करेंगे. एक्जीक्यूटिव और बिजनेस क्लास में यात्रा पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगी. विमान किराए पर लेना तथा राजकीय व्यय पर विदेश यात्रा पर भी पूरी तरह प्रतिबंध होगा.

यह भी पढ़ेंः पंचायत चुनाव के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने जारी की गाइडलाइन

नए वाहन और अन्य उपकरणों की खरीद पर प्रतिबंध

परिपत्र में नए वाहनों की खरीद प्रतिबंधित की गई है. कोविड- 19 महामारी की रोकथाम, उपचार तथा पीड़ितों की सहायता के लिए आवश्यक सामग्री और उपकरण को छोड़कर अन्य सभी प्रकार की मशीनरी, साज-सामान, औजार, संयत्र और अन्य नई वस्तुओं की खरीद नहीं की जा सकेगी. केवल योजनाओं को संचालित करने के लिए आवश्यक उपकरणों की ही खरीद की जा सकेगी.

नए कार्यालयों की स्थापना पर रोक

वित्तीय वर्ष 2020-21 में शत-प्रतिशत राज्य निधि से वित्त पोषित कोई भी नया कार्यालय खोलने की स्वीकृति नहीं दी जाएगी. विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि विभागीय कार्यप्रणाली में परिवर्तन, सूचना प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग के कारण जो पद वर्तमान में अप्रासंगिक हो गए हैं, उन्हें चिन्हित कर आवश्यक कार्रवाई की जाए.

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राजकीय भोज पर रहेगा प्रतिबंध

राजकीय भोज तथा उपहार क्रय, सत्कार एवं आतिथ्य व्यय पर आगामी आदेशों तक प्रतिबंध रहेगा. सभी राजकीय कार्यक्रम, भूमि पूजन और उद्घाटन समारोह आदि सादगी एवं मितव्ययता बरतते हुए और संभव हो तो वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ही आयोजित किए जाएंगे. राजकीय अधिकारियों और कर्मचारियों को देय उपार्जित अवकाश के एवज में नकद भुगतान की नई स्वीकृतियां इस वित्तीय वर्ष में स्थगित रखी जाएंगी.

ऑनलाइन होंगी प्रदर्शनी और सेमिनार

वर्तमान वित्तीय वर्ष में सभी प्रकार के प्रशिक्षण, सेमिनार, कार्यशाला, उत्सव और प्रदर्शनियों का आयोजन यथासंभव ऑनलाइन किया जाएगा. अति-आवश्यक परिस्थितियों में इनका आयोजन राजकीय संस्थाओं, शासकीय भवनों या राजकीय परिसर में ही किया जा सकेगा. प्रशिक्षण, भ्रमण और सम्मेलन व्यय के साथ ही उत्सव एवं प्रदर्शनी के लिए बजट मद में उपलब्ध धनराशि में से कम से कम 50 प्रतिशत की कमी किए जाने के भी निर्देश परिपत्र में दिए गए हैं.

यह भी पढ़ेंः राजस्थान में 700 बैरल ऑयल का प्रतिदिन होगा उत्पादन, बीकानेर-नागौर बेसिन में होगी 15 नए कुओं की खुदाई

परिपत्र की पालना के लिए प्रभारी सचिव एवं विभागाध्यक्ष जिम्मेदार

परिपत्र में दिए गए दिशा-निर्देश सभी राजकीय उपक्रमों, कंपनियों, बोर्ड, विश्वविद्यालयों, अनुदानित संस्थाओं, निकायों और राज्य सरकार पर वित्तीय दृष्टि से पूर्ण अथवा आंशिक रूप से निर्भर सभी संस्थाओं पर लागू होंगे. दिशा-निर्देशों की अनुपालना के लिए संबंधित प्रशासनिक विभाग के प्रभारी सचिव तथा विभागाध्यक्ष और स्वायत्तशासी संस्थाओं, राजकीय उपक्रमों एवं विश्वविद्यालयों आदि के लिए मुख्य कार्यकारी अधिकारी या संस्था प्रधान जिम्मेदार होंगे.

जयपुर. गहलोत सरकार की पहल पर जारी मितव्ययता परिपत्र के अनुसार साल 2020-21 के बजट की विभिन्न मदों जैसे कार्यालय व्यय, यात्रा व्यय, कंप्यूटर अनुरक्षण, स्टेशनरी, मुद्रण एवं लेखन, प्रकाशन, पुस्तकालय तथा पत्र-पत्रिकाओं पर व्यय के लिए उपलब्ध धनराशि का व्यय इस वित्तीय वर्ष में 70 प्रतिशत तक सीमित किया जाएगा. साथ ही, पीओएल मद में स्वीकृत प्रावधान के विरूद्ध व्यय को भी 90 प्रतिशत तक सीमित किया जाएगा.

परिपत्र के अनुसार शासकीय कार्याें के लिए की जाने वाली यात्राओं को न्यूनतम रखा जाएगा. यथा संभव वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठकें आयोजित की जाएंगी. हवाई यात्रा के लिए अधिकृत अधिकारी इकोनाॅमी क्लास में ही यात्रा करेंगे. एक्जीक्यूटिव और बिजनेस क्लास में यात्रा पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगी. विमान किराए पर लेना तथा राजकीय व्यय पर विदेश यात्रा पर भी पूरी तरह प्रतिबंध होगा.

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नए वाहन और अन्य उपकरणों की खरीद पर प्रतिबंध

परिपत्र में नए वाहनों की खरीद प्रतिबंधित की गई है. कोविड- 19 महामारी की रोकथाम, उपचार तथा पीड़ितों की सहायता के लिए आवश्यक सामग्री और उपकरण को छोड़कर अन्य सभी प्रकार की मशीनरी, साज-सामान, औजार, संयत्र और अन्य नई वस्तुओं की खरीद नहीं की जा सकेगी. केवल योजनाओं को संचालित करने के लिए आवश्यक उपकरणों की ही खरीद की जा सकेगी.

नए कार्यालयों की स्थापना पर रोक

वित्तीय वर्ष 2020-21 में शत-प्रतिशत राज्य निधि से वित्त पोषित कोई भी नया कार्यालय खोलने की स्वीकृति नहीं दी जाएगी. विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि विभागीय कार्यप्रणाली में परिवर्तन, सूचना प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग के कारण जो पद वर्तमान में अप्रासंगिक हो गए हैं, उन्हें चिन्हित कर आवश्यक कार्रवाई की जाए.

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राजकीय भोज पर रहेगा प्रतिबंध

राजकीय भोज तथा उपहार क्रय, सत्कार एवं आतिथ्य व्यय पर आगामी आदेशों तक प्रतिबंध रहेगा. सभी राजकीय कार्यक्रम, भूमि पूजन और उद्घाटन समारोह आदि सादगी एवं मितव्ययता बरतते हुए और संभव हो तो वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ही आयोजित किए जाएंगे. राजकीय अधिकारियों और कर्मचारियों को देय उपार्जित अवकाश के एवज में नकद भुगतान की नई स्वीकृतियां इस वित्तीय वर्ष में स्थगित रखी जाएंगी.

ऑनलाइन होंगी प्रदर्शनी और सेमिनार

वर्तमान वित्तीय वर्ष में सभी प्रकार के प्रशिक्षण, सेमिनार, कार्यशाला, उत्सव और प्रदर्शनियों का आयोजन यथासंभव ऑनलाइन किया जाएगा. अति-आवश्यक परिस्थितियों में इनका आयोजन राजकीय संस्थाओं, शासकीय भवनों या राजकीय परिसर में ही किया जा सकेगा. प्रशिक्षण, भ्रमण और सम्मेलन व्यय के साथ ही उत्सव एवं प्रदर्शनी के लिए बजट मद में उपलब्ध धनराशि में से कम से कम 50 प्रतिशत की कमी किए जाने के भी निर्देश परिपत्र में दिए गए हैं.

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परिपत्र की पालना के लिए प्रभारी सचिव एवं विभागाध्यक्ष जिम्मेदार

परिपत्र में दिए गए दिशा-निर्देश सभी राजकीय उपक्रमों, कंपनियों, बोर्ड, विश्वविद्यालयों, अनुदानित संस्थाओं, निकायों और राज्य सरकार पर वित्तीय दृष्टि से पूर्ण अथवा आंशिक रूप से निर्भर सभी संस्थाओं पर लागू होंगे. दिशा-निर्देशों की अनुपालना के लिए संबंधित प्रशासनिक विभाग के प्रभारी सचिव तथा विभागाध्यक्ष और स्वायत्तशासी संस्थाओं, राजकीय उपक्रमों एवं विश्वविद्यालयों आदि के लिए मुख्य कार्यकारी अधिकारी या संस्था प्रधान जिम्मेदार होंगे.

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