जयपुर. प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण को काबू में लाने के लिए गहलोत सरकार ने अफसरों की फौज को मैदान में उतार रखा है. लेकिन, इसके बाद भी कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी नहीं देखी जा रही है. हर दिन 15 हजार से अधिक संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं.
बता दें, वर्तमान समय में गहलोत सरकार ने 50 से ज्यादा आईएएस और आरएएस की कोरोना रोकथाम में ड्यूटी लगाई है. अधिकारियों में वरिष्ठ आईएएस से लेकर आईपीएस और आरएएस अधिकारी शामिल हैं. अपने मूल विभाग के काम को छोड़कर चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को अपनी सेवाएं दे रहे हैं. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सचिव सिद्धार्थ महाजन के नेतृत्व में 22 आईएएस और 19 आरएएस अफसरों को लगाया गया है. वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिलों के प्रभारी सचिवों को भी टास्क दिया हुआ है.
बता दें, गहलोत सरकार कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है. सरकार ने 16 अप्रैल से 23 अप्रैल तक 50 से ज्यादा नौकरशाहों को कोविड की रोकथाम में ड्यूटी लगाई थी. ये सभी IAS और RAS अधिकारी अपने मूल विभाग के काम को छोड़कर चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
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कोविड-19 कंट्रोल रूम में 20 से ज्यादा अधिकारियों की ड्यूटी
वहीं, सरकार की ओर से बनाए गए प्रदेश स्तरीय कोविड-19 कंट्रोल रूम में भी 20 से ज्यादा नौकरशाहों की ड्यूटी लगाई गई है. इन अधिकारियों में वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों से लेकर आईपीएस और वरिष्ठ आरएएस अधिकारी भी शामिल हैं. इन अधिकारियों को कोविड-19 की रोकथाम में अतिरिक्त चार्ज दिया गया है. इस कंट्रोल रूम के जरिए प्रदेश के सभी जिलों की दैनिक रिपोर्ट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास प्रतिदिन पहुंच रही है. साथ ही, ऑक्सीजन और कोविड बेड की उपलब्धता के काम भी कंट्रोल रूम के जरिए किए जाएंगे.
जिला प्रभारी सचिव को भी दिया टास्क
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिलों के प्रभारी सचिवों को भी टास्क दिया है. प्रभारी सचिव जिलों में जाकर कोरोना रोकथाम को लेकर लोगों को जागरूक करेंगे और जिला स्तर पर हो रहे कामकाज की भी समीक्षा करेंगे. इसके अलावा कोविड गाइडलाइन और वीकेंड कर्फ्यू की गाइडलाइन की सख्ती से साथ पालना का टास्क जिला कलेक्टर्स को दिया गया है. साथ ही मुख्यमंत्री की ओर से निर्देश भी दिए हैं कि जिला मुख्यालयों से कोई भी कर्मचारी और अधिकारी बिना सूचना के गैर हाजिर नहीं रहेगा.