जयपुर. प्रदेश सरकार की तरफ से हाल ही में राजस्थान स्टांप अधिनियम विधेयक में किए गए संशोधन का विरोध शुरू हो गया है. विश्व हिंदू परिषद और गौवंश संरक्षण संघर्ष समिति ने गौ संरक्षण के लिए स्टांप पर लगाए गए अधिभार की राशि को अन्य मदों पर खर्च किए जाने संबंधी संशोधन विधेयक के विरोध में आगामी 21 सितंबर को सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों में धरना देने का एलान किया है. यह संशोधन विधेयक 24 अगस्त को विधानसभा में पारित किया गया था.
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इस संबंध में प्रदेश के गौशाला संचालकों और साधु-संतों ने एक संघर्ष समिति भी बनाई है. जिसका अध्यक्ष महंत दिनेश गिरी और कार्यकारी अध्यक्ष अवधेश दास को बनाया गया है. समिति सदस्यों ने जयपुर में पत्रकार वार्ता के दौरान साफ तौर पर कहा कि प्रदेश में गाय का निवाला नहीं छीनने दिया जाएगा. समिति से जुड़े पदाधिकारियों ने प्रदेश सरकार से इस संशोधन अधिनियम को वापस लेने के साथ ही 10 सूत्री मांग पत्र भी सौंपा.
गौवंश संरक्षण समिति ने नीचे दी गई मांगों को मांगपत्र में शामिल किया है
- वित्तीय वर्ष में 180 दिन की जगह गौशालाओं को 365 दिन अनुदान दिया जाए.
- प्रदेश में जिन पंजीकृत गौशालाओं को 2 साल हो चुके हैं, उनको अनुदान देने में 200 गौवंश होने की बाध्यता समाप्त किया जाए.
- गौशालाओं को दी जाने वाली अनुदान राशि का भुगतान के नियमों में सरलीकरण.
- गौशाला अनुदान के लिए बनी राज्य व जिला स्तरीय समितियों में गौशाला प्रतिनिधियों को भी शामिल करने की मांग.
- प्रत्येक ग्राम पंचायत पर एक नंदी शाला का निर्माण किया जाए.
- गौशालाओं में पूर्व में बिजली के बिलों में छूट दी जा रही थी, जिसे समाप्त कर दिया गया, इस छूट को यथावत रखा जाए.
- राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद द्वारा गांव में मांस की दुकानें खोलने की कार्रवाई रोकने की मांग.
- मनरेगा कार्यक्रम में गौशालाओं के कार्यों और किसानों के कृषि कार्यों को जोड़े जाने की मांग.
गौवंश संरक्षण संघर्ष समिति ने कहा कि अगर उनकी मांगों को नहीं माना गया तो प्रदेश भर में आंदोलन किया जाएगा. पिछले दिनों भी प्रदेश के कई हिस्सों में राजस्थान स्टांप अधिनियम में संशोधन का विरोध हुआ था.