जयपुर. यूनेस्को ने जयपुर के परकोटे को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दिया तो वहीं केंद्र सरकार ने जयपुर को स्मार्ट सिटी में शामिल किया. जयपुर की विरासत को संजोते हुए शहर को स्मार्ट बनाने का काम शुरू किया गया. परकोटे में किशनपोल बाजार और चांदपोल बाजार की रोड को स्मार्ट रोड बनाया गया. यहां सड़क के नीचे डक्ट डाले गए, ताकि रोड बार-बार खोदनी न पड़े. विरासत के नजरिए से हेरिटेज लाइट पोल लगाए गए और हाईटेक करने के लिए सीसीटीवी कैमरा और वाईफाई इंस्टॉल किया गया, लेकिन विरासत और आधुनिकता के इस संगम के बीच तीन बड़े डंपिंग यार्ड शहर की पहली स्मार्ट रोड की स्मार्टनेस पर बट्टा लगा रहे हैं.
जयपुर के परकोटे को निहारने के लिए हर साल हजारों देशी-विदेशी पर्यटकों का यहां पहुंचते हैं. यहां प्रवेश के मुख्य द्वार में से एक अजमेरी गेट से लगते हुए किशनपोल बाजार को भी सबसे पहले स्मार्ट बनाया गया, ताकि यहां आने वाले पर्यटकों पर अच्छा प्रभाव पड़े. लेकिन ये पर्यटक फिलहाल इसी स्मार्ट रोड से शहर की बिगड़ी हुई सफाई व्यवस्था (Cleaning System Condition in Rajasthan) की तस्वीरें अपने साथ लेकर जा रहे हैं.
दरअसल, हेरिटेज नगर निगम ने बीते दिनों डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण (Garbage Collection Condition in Jaipur) करने वाली बीवीजी कंपनी को टर्मिनेट किया. जिसके बाद से निगम अपने संसाधनों के दम पर कचरा कलेक्शन और ओपन कचरा डिपो खत्म करने की कवायद में जुटा हुआ है. लेकिन इसे संसाधनों का अभाव कहें या फिर लापरवाही कि अब शहर की पहली स्मार्ट रोड पर जगह-जगह कचरा डिपो देखने को मिल रहे हैं. किशनपोल बाजार महज 800 मीटर का है. इसमें अजमेरी गेट से छोटी चौपड़ तक 3 बड़े कचरा डिपो स्मार्ट रोड की स्मार्टनेस पर सवाल उठा रहे हैं.
ईटीवी भारत ने (ETV Bharat Rajasthan News) सुबह 11:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक यहां रियलिटी चेक किया. इसमें सामने आया कि इस बाजार में जो कचरा डिपो बने हैं, उसमें आम जनता नहीं, बल्कि निगम के ही कर्मचारी गलियों से कचरा इकट्ठा कर मुख्य सड़क पर डाल रहे हैं. हालांकि, स्थानीय पार्षद अरविंद मैठी ने ओपन कचरा डिपो बनने का ठीकरा स्थानीय लोगों के सिर फोड़ा.
उन्होंने कहा कि यहां 11:00 बजे तक कचरा उठाने का समय है, लेकिन लोग कचरा उठाने के बाद दोबारा कचरा डाल देते हैं. जिससे कचरे का ढेर लगे रहते है. साथ ही कहा कि सफाई कर्मचारी और अधिकारी यहां की स्वच्छता पर बिल्कुल ध्यान नहीं देते. उन्हें सिर्फ राजनीति से मतलब है. उन्होंने कहा कि क्षेत्र में पहले बीवीजी कंपनी डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण किया करती थी. अब इस काम को निगम ने अपने हाथों में लिया है. पहले कंपनी पर निर्भर थे, अब इस व्यवस्था को सुधारने में कुछ समय तो जरूर लगेगा.
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उधर, किशनपोल बाजार व्यापार मंडल के अध्यक्ष मनीष खूंटेटा ने बताया कि शुरुआत में सुबह पहले सारा कचरा गलियों से बाहर आ जाता है, जो हेरिटेज निगम के आश्वासन के अनुसार 10:00 बजे तक उठ जाना चाहिए. लेकिन ये कचरा 2:00 बजे तक भी नहीं उठ पाता. सुबह 10:00 बजे दुकानें खुल जाती हैं और ये डंपिंग यार्ड यहीं लगे रहते हैं. जिससे व्यापारी और ग्राहक दोनों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. इसे लेकर पहले भी प्रशासन को अवगत कराया जा चुका है. शिकायती पत्र भी भेजे जा चुके हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं की गई. उन्होंने इस स्मार्ट बाजार में महज एक टॉयलेट होने का जिक्र करते हुए स्मार्ट रोड की स्मार्टनेस पर भी सवाल खड़े किए.
हालांकि, शहर कि इस स्मार्ट रोड पर कचरे के ढेर लगने का निगम का अपना तर्क है. उनका कहना है कि क्षेत्र की गलियां तंग होने की वजह से गाड़ियां अंदर नहीं जा पातीं. मजबूरन कचरा मुख्य सड़क पर लाना पड़ता है. लेकिन यदि मुख्य सड़कों पर ही ओपन कचरा डिपो बनाना व्यवस्था का अंग है तो फिर हेरिटेज निगम प्रशासन और स्मार्ट सिटी (Role of Heritage Nagar Nigam Jaipur) दोनों पर सवाल उठने लाजमी हो जाते हैं.