जयपुर. बीते 24 महीने से करीब 300 करोड़ का बकाया के चलते निगम के ठेकेदार हड़ताल पर हैं. डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाली बीवीजी कंपनी भी बकाया भुगतान नहीं होने के चलते आए दिन हड़ताल पर चली जाती हैं और अब गैराज शाखा में कॉन्ट्रैक्ट पर लगे कर्मचारियों ने भी निगम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. ऐसे में उपमहापौर ने निगम के अधिकारियों से दूसरे सरकारी विभागों से लिए जाने वाले बकाया शुल्क को लेने के लिए निर्देश दिए हैं. साथ ही इस संबंध में राज्य सरकार को भी अवगत कराया है.
जयपुर विकास प्राधिकरण, हाउसिंग बोर्ड और जेवीवीएनएल पर ग्रेटर नगर निगम प्रशासन का तकरीबन 500 करोड़ बकाया चल रहा है. इस बीच कांट्रैक्टर और बीवीजी कंपनी के बाद अब गैराज शाखा में कॉन्ट्रैक्ट पर लगे कर्मचारी भी हड़ताल पर चले गए हैं. एक तरफ निगम की आर्थिक स्थिति खराब है. वहीं अब व्यवसाय भी पटरी से उतरती जा रहे हैं. ऐसे में अब उपमहापौर पुनीत कर्णावट ने राज्य सरकार को जिम्मेदारी लेने की बात कही है.
उन्होंने कहा कि आम जनता की मूलभूत आवश्यकताओं की व्यवस्था ठीक बनी रहे, इसकी जिम्मेदारी नगर निगम के साथ-साथ राज्य सरकार की भी है. विभिन्न सरकारी विभागों से नगर निगम बहुत बड़ी राशि मांगता है. और लगातार प्रयास के बाद भी सरकारी विभाग वो राशि देने के लिए तैयार नहीं है. इसी कारण अब स्थिति खराब होती जा रही है. इस संबंध में निगम के कमिश्नर एडिशनल कमिश्नर ने भी सरकार के विभिन्न विभागों से मीटिंग की. उन्हें सरकारी विभागों से बकाया मिलने का सुदृढ़ आश्वासन भी मिला है. इससे निगम की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी.
उन्होंने बताया कि वैकल्पिक व्यवस्था वैकल्पिक होती हैं. इससे सभी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं होती. सभी समस्याओं का समाधान नहीं होता. इसलिये इस संबंध में राज्य सरकार को अवगत कराया गया है. ताकि जिन-जिन विभागों से नगर निगम को पैसा लेना है, वो प्राप्त हो. बता दें कि ग्रेटर नगर निगम प्रशासन व्यवस्थाओं को पटरी पर लाने के लिए हुडको से 500 करोड़ का लोन लेने जा रहा है. लेकिन यदि निगम प्रशासन दूसरे सरकारी विभागों से अपना बकाया वसूलने में कामयाब हो जाए तो प्रशासन बिना लोन लिए ही व्यवस्थाओं को पटरी पर लाने में सक्षम है.