जयपुर. विधेयक पर बहस के दौरान बोलते हुए जहां नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि मौजूदा समय में प्रदेश सरकार ने अपने ढाई साल के कार्यकाल के दौरान ही एक लाख 46 हजार करोड़ से अधिक का घाटा बढ़ा दिया है. कटारिया ने कहा कि पिछली भाजपा सरकार ने साल 2018-19 में प्रदेश पर 3 लाख 11 हजार करोड़ का कर्जा छोड़ा था जो आज बढ़कर 4 लाख 57 हजार करोड़ तक पहुंच गया है.
कटारिया ने कहा कि राज्यों की आर्थिक स्थिति कमजोर होती जा रही है और कई राज्यों के निवेदन पर ही कर्ज लेने की सीमा 3 फीसदी से बढ़ाकर 5 फीसदी तक करने के लिए यह संशोधन विधेयक पारित किया जा रहा है. लेकिन यहां पर राज्य सरकार को देखना होगा कि कर्ज उतना ही ले जितना चुकाया जा सके, वरना साल 2024 तक बिजली कंपनियों और पावर सेक्टर के रिफॉर्म के नाम पर लिया गया लोन ज्यादा बढ़ जाएगा. कटारिया ने कहा कि जिस प्रकार कोयले की कमी के कारण राजस्थान में बिजली का शटडाउन किया गया था. वैसे साल 2024 में बिजली विभाग का ही शटडाउन ना हो जाए, इसका प्रदेश सरकार को ध्यान रखना होगा.
आर्थिक आपातकाल की ओर बढ़ चुका है राजस्थान : राजेंद्र राठौड़
वहीं, बहस में शामिल होने में प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि राज्यों को वित्तीय अनुशासन में लाने के लिए इस प्रकार के बिल पूर्व में भी लाए गए, लेकिन राजस्थान सरकार के वित्तीय कु- प्रबंधन के चलते आज राजस्थान 'आर्थिक आपातकाल' की स्थिति की ओर बढ़ चुका है. राजेंद्र राठौड़ ने कहा जो दस्तावेज प्रदेश सरकार ने साइन करके केंद्र को सौंपी है, उसमें आधा प्रतिशत लोन लेने के लिए ही कई वादे भी किए हैं. प्रदेश सरकार ने उस दस्तावेज में यह भी साफ तौर पर लिखा है कि हम आने वाले समय में कृषि और उद्योग को दी जाने वाली सब्सिडी भी कम करेंगे और जो सब्सिडी दी जा रही है, उसे डीपीटी के जरिए सीधे खातों में डालेंगे. मतलब अब मौजूदा सरकार जो वादा किसानों से कर रही थी कि कभी उनकी बिजली की दरें नहीं बढ़ाई गई अब उनका अनुदान कम करने जा रही है.
केंद्र सरकार अधिनायकवाद की ओर बढ़ रही है : संयम लोढ़ा
वहीं, निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने भी इस बहस में शामिल होते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर कई आरोप लगाए. संयम लोढ़ा ने कहा कि मोदी सरकार लगातार राज्यों पर ऋणों का भार डाल रही है, क्योंकि पहले केंद्र ने जिन योजनाओं में राज्यों को 90 प्रतिशत सब्सिडी देती थी अब उस सब्सिडी को घटाकर 40 से 50 प्रतिशत तक कर दिया है. संयम लोढ़ा के अनुसार इसके चलते मनमोहन सरकार के समय की कई योजनाएं राजस्थान में बंद हो गईं, क्योंकि राज्य सरकार की स्थितियां ऐसी नहीं है कि वो इतना कम अनुदान पर ये योजनाएं चला सके.
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लोढ़ा ने यह भी कहा कि नोटबंदी के बाद देश की जनता पर 20 हजार करोड़ का नया भार केंद्र सरकार ने डाल दिया. संयम लोढ़ा ने कहा कि केंद्र सरकार अधिनायकवाद की ओर बढ़ रही है, इससे राज्यों की स्थिति खराब हो रही है. संयम लोढ़ा ने इस दौरान पिछली वसुंधरा राजे सरकार के दौरान राजस्थान के राजकोषीय घाटे का भी उदाहरण दिया. लोढ़ा ने कहा कि साल 2013-14 में पिछली गहलोत सरकार 2.76 फीसदी राजकोषीय घाटा छोड़ कर गई थी, जिसे भाजपा की वसुंधरा राजे सरकार ने साल 2015-16 में बढ़ाकर 3.09 प्रतिशत कर दिया और साल 2015-16 में यह बढ़कर 9.25 प्रतिशत तक पहुंच गया जो राजस्थान की स्थापना के बाद सबसे अधिक रिकॉर्ड राजकोषीय घाटा था.
राज्यों की आर्थिक खराब हालत के लिए केंद्र जिम्मेदार : शांति धारीवाल
वहीं, इस संशोधन बिल को पारित कराते समय संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि इस बार केंद्र सरकार ने पावर सेक्टर रिफॉर्म्स के नाम पर लोन लेने के लिए इतनी शर्तें लगा दी जो पहले कभी नहीं लगाई थीं और यह राज्य सरकारों के हित में नहीं हैं. इस दौरान धारीवाल ने राज्यों की खराब आर्थिक हालात के लिए सीधे तौर पर केंद्र सरकार को जिम्मेदार बताया और यह भी कहा कि बीजेपी के नेता हम पर वित्तीय कु-प्रबंधन का आरोप लगाते हैं, लेकिन आज भी हमारी सरकार बिजली के क्षेत्र में करीब 16 हजार करोड़ रुपए की सब्सिडी जनता को दे रही है.