जयपुर. बीजेपी के वरिष्ठ नेता भंवरलाल शर्मा का शुक्रवार को निधन हो गया. शनिवार को उनके पार्थिव शरीर का चांदपोल श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया गया. अंतिम संस्कार के पहले उनके निवास स्थान पर बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने उनको श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें राजस्थान की राजनीति का पुरोधा बताया. साथ ही उनके व्यक्तित्व और व्यवहार के कई किस्से भी साझा किए.
पूर्व मंत्री भंवरलाल शर्मा को नम आंखों से विदाई बता दे की 5 दिसंबर 1924 को जयपुर में जन्मे प्रदेश के पूर्व मंत्री और बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भंवर लाल शर्मा का शुक्रवार को निधन हो गया. शनिवार सुबह भंवरलाल शर्मा के अंतिम दर्शन के लिए उनके गणगौरी बाजार स्थित निवास पर बड़ी संख्या में बीजेपी के कद्दावर नेता और कार्यकर्ता पहुंचे. शव यात्रा को उनके कार्यक्षेत्र पुरानी बस्ती से होते हुए पहले बीजेपी कार्यालय और फिर शमशान घाट तक ले जाया गया. इस दौरान सैकड़ों लोगों ने अपने घरों से ही पुष्प वर्षा कर दिवंगत को श्रद्धांजलि दी. भंवरलाल शर्मा की अंतिम यात्रा पढ़ें- चूरू में बारिश होने से लोगों को भीषण गर्मी से मिली राहत
इससे पहले स्वर्गीय भंवरलाल शर्मा के घर पहुंचे बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और विधायक कालीचरण सराफ ने उनके सादगी पूर्ण जीवन का जिक्र करते हुए बताया कि मंत्री रहते हुए भी कार्यकर्ताओं से मिलने और उनकी संभाल के लिए वो हमेशा तत्पर रहते थे. यहीं नहीं अपने स्कूटर पर ही लोगों से संपर्क करने निकल जाया करते थे.
लोगों ने घरो से किया अंतिम दर्शन वहीं जयपुर सांसद रामचरण बोहरा ने कहा कि भंवर लाल शर्मा जयपुर में सभी राजनीतिक दलों के संरक्षक थे. सहजता, सुलभता और शालीनता के वो पर्याय थे. यही नहीं अंतिम समय में भी पार्टी और कार्यकर्ताओं की सुध लेते रहे. वहीं पूर्व हवामहल विधायक सुरेंद्र पारीक ने बताया कि 1998 में जब उन्होंने हवामहल विधानसभा से चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया, तब उन्होंने उन्हें उम्मीदवार बनाया. कार्यकर्ताओं की संभाल करना उनके व्यक्तित्व में शामिल था. यही वजह थी कि सभी का उनसे खास जुड़ाव था.वहीं कांग्रेस के कद्दावर नेता भी भंवरलाल शर्मा को श्रद्धांजलि देने उनके निवास स्थान पर पहुंचे. हवामहल विधायक और मुख्य सचेतक महेश जोशी ने बताया कि उन्होंने 1990 में भंवर लाल शर्मा के सामने चुनाव भी लड़ा. राजनीतिक विचारधारा अलग थी, बावजूद इसके उनसे काफी स्नेह रखते थे. वो एक अजातशत्रु थे. वहीं कांग्रेसी विधायक अमीन कागजी ने बताया कि उनके पिता सलीम कागजी और भंवर लाल शर्मा का राजनीतिक जीवन साथ-साथ चला. अलग-अलग दलों में होने के बावजूद उनके प्रति एक अलग लगाव था. उनका निधन जयपुर ही नहीं पूरे प्रदेश के लिए एक अपूर्णीय क्षति है.पढ़ेंः परिवहन मंत्री ने नेता प्रतिपक्ष पर साधा निशाना, कहा- अच्छे दिन कहां गए!
हालांकि कोरोना संकटकाल में शहर के परकोटा क्षेत्र को कंटेनमेंट एरिया घोषित किया हुआ है. बावजूद इसके बड़ी संख्या में भंवरलाल शर्मा के चाहने वाले उनको श्रद्धांजलि देने उनके निवास पर जा पहुंचे. इस दौरान कहीं ना कहीं सोशल डिस्टेंसिंग की का पालन नहीं हो पाया. हालांकि बाद में परिजनों और पुलिस प्रशासन की समझाइश पर शव यात्रा में परिवार के लोग और कुछ एक कार्यकर्ता ही शामिल हुए.