जयपुर. पूर्व चिकित्सा मंत्री और भाजपा के मौजूदा विधायक कालीचरण सराफ ने पीपीई किट खरीद में घोटालेबाजों के नाम उजागर करने और इस हेराफेरी में लिप्त आरएमएससीएल के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई की मांग की है. सराफ ने कहा है कि सरकार इस घोटाले में केवल एक अधिकारी को पद से हटा कर मामला रफा-दफा करने में जुटी है, जबकि इसमें दंडात्मक कार्रवाई के साथ वसूली की कार्रवाई भी होनी चाहिए.
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सराफ ने एक बयान जारी कर कहा कि चिकित्सा कर्मियों में बढ़ते संक्रमण का एक बड़ा कारण कटी-फटी और खराब पीपीई किट होना है. कालीचरण सराफ के अनुसार कोरोना काल के दौरान विभाग के अधिकारियों ने जमकर धांधली करते हुए पहले तो टेंडर ही नहीं किए और जब टेंडर किए तो कम रेट वाली कंपनियों से यह कहते हुए खरीदने से मना कर दिया कि उसकी क्वालिटी अच्छी नहीं है. सबसे बड़ा सवाल यही है कि विभाग ने क्वालिटी का हवाला देते हुए फिर से टेंडर किए और बहुत अधिक मूल्य की पीपीई किट भी खरीदी, वो भी कटी-फटी और खराब क्वालिटी की, जिनसे बचाव तो नहीं हुआ, लेकिन हेल्थ वॉरियर्स में संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते गए.
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सराफ के अनुसार विभाग ने 28 अप्रैल को नया टेंडर किया था, जिसे 2 मई को बंद कर दिया, जिसमें सबसे कम रेट 296 वाली कंपनी को फाइनल किया गया और 14 मई को पहले से सप्लाई कर रही कंपनी से नई रेट लेकर पीपीई किटी खरीदकर अस्पताल में सप्लाई की गई. गौर करने की बात यह है कि नई रेट 340 की दर से 75 हजार किट खरीदी गई अर्थात 44 रुपए प्रति किट अधिक मूल्य से 33 लाख से अधिक का भुगतान किया गया. इस सारे घटनाक्रम से साफ प्रतीत होता है कि कंपनियों और विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से पीपीई किट सप्लाई में भ्रष्टाचार हुआ है और पूर्व में मास्क की खरीद में भी इसी तरह का घोटाला उजागर हो चुका है.
लीपापोती ना करें, बल्कि जिम्मेदारों के नाम हो उजागर
कालीचरण सराफ ने कहा कि चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने ये घोटाला उजागर होने के बाद महज एक अधिकारी को पद से हटाकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की है. बल्कि होना तो यह चाहिए था कि पीपीपी किट खरीद में हुए घोटाले के सभी जिम्मेदारों के नाम उजागर करके प्रभावी कार्रवाई करना चाहिए थी, ताकि किट सप्लाई में किए गए अतिरिक्त भुगतान की कंपनियों से वसूली की जाए.