जयपुर. नगर निगम प्रशासन के चेताने के बावजूद कचरा ट्रांसफर स्टेशन पर ट्रक और हूपर में वजन बढ़ाने के लिए मिट्टी और बिल्डिंग मैटेरियल भरे जा रहे हैं. निगम मुख्यालय के सबसे नजदीक 22 गोदाम कचरा ट्रांसफर स्टेशन पर खुलेआम ये फर्जीवाड़ा चल रहा है. ऐसे में जहां एक ओर निगरानी तंत्र फेल साबित हो रहा है तो वहीं फर्जीवाड़ा कर कचरे के नाम पर बड़े बिल भी थमाए जा रहे हैं.
सौ फीसदी डोर टू डोर कचरा संग्रहण, कचरे का सेग्रीगेशन, हूपर्स में ट्रैकिंग सिस्टम, वेस्ट ट्रांसफर स्टेशन बनाकर मैकेनाइज सिस्टम से डंपिंग यार्ड तक कचरा पहुंचाने और शहर में ओपन कचरा डिपो हटाने जैसी शर्तों के साथ, बीवीजी कंपनी को मई 2017 में नगर निगम प्रशासन की ओर से काम सौंपा गया था, लेकिन इन शर्तों से परे बीवीजी कंपनी ने शहर के 80 फीसदी काम वेंडर्स पर छोड़ दिए हैं. ऐसे में हूपर में बिल्डिंग मैटेरियल लोड कर वेंडर वजन बढ़ाकर जेब भर रहे हैं.
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इस बात का खुलासा बीते दिनों ग्रेटर नगर निगम कमिश्नर दिनेश यादव के दौरे में भी हुआ. कमिश्नर के द्वारा बीवीजी कंपनी और हूपर संचालकों को चेताने के बावजूद ये फर्जीवाड़ा बदस्तूर जारी है. जयपुर नगर निगम से कुछ दूरी पर मौजूद 22 गोदाम कचरा ट्रांसफर स्टेशन पर मिट्टी और बिल्डिंग मैटेरियल से कचरा वाहन को भरने की तस्वीरें ईटीवी भारत के कैमरे में भी कैद हुईं. यही नहीं डिवाइडर पर लगे पेड़-पौधों की कटाई-छंटाई के नाम पर बड़े पेड़ों का कचरा भी ट्रांसफर स्टेशन तक लाया जा रहा है. इन्हें तौलवाकर उगाही की जा रही है.
ये होता है काम
- 22 गोदाम कचरा ट्रांसफर स्टेशन
- 24 हूपर हर दिन लगाते हैं चार से पांच चक्कर
- 12 ट्रक यानी 120 टन कचरा किया जाता है ट्रांसफर
- कचरे में शामिल करते हैं बिल्डिंग मैटेरियल व मिट्टी
बीवीजी कंपनी ने इस अधूरे काम के अब तक 304 करोड़ रुपए के बिल निगम को सौंपे हैं. जबकि निगम प्रशासन के अनुसार 236 करोड़ के बिल बनते हैं. जिसमें 154 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है. जानकारी के अनुसार इस साल मार्च में ट्रांसफर स्टेशन पर कचरा उठाने की निगरानी करने वाली फर्म का टेंडर खत्म हो चुका है. और नया टेंडर अब तक नहीं किया गया है. इसके चलते इन दिनों बिल्डिंग मटेरियल और मिट्टी से कचरा बढ़ाकर निगम को बिल थमाए जा रहे हैं.