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सतीश पूनिया के प्रदेशाध्यक्ष बनने से राजस्थान भाजपा में यह हुआ पहली बार

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Published : Sep 14, 2019, 9:27 PM IST

राजस्थान में खाली पड़े प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद पर सतीश पूनिया की नियुक्ति हो गई है. वे संघनिष्ठ नेता हैं और विभिन्न पदों पर काम करने का उनका लंबा अनुभव भी है. इसके साथ ही वे कम उम्र में प्रदेश अध्यक्ष पद तक पहुंचने वाले पहले नेता भी बन गए हैं.

भाजपा के नए प्रदेशाध्यक्ष, News of Satish Poonia

जयपुर. प्रदेश भाजपा की कमान सतीश पूनिया को मिलने के साथ ही राजस्थान भाजपा के अब तक इतिहास में कुछ पन्ने ऐसे भी जुड़ गए हैं जो प्रदेश भाजपा में पहली बार हुआ. मसलन सतीश पूनिया के रूप में राजस्थान भाजपा को पहली बार जाट समाज से आने वाला प्रदेशाध्यक्ष मिला. इसी तरह राजस्थान भाजपा के इतिहास में प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचने वाले सबसे कम उम्र के नेता के रूप में भी सतीश पूनिया का नाम अंकित हो गया है.

हार कर आगे बढ़ने और शिखर तक पहुंचने वाले संघनिष्ठ नेता है सतीश पूनिया

हार कर आगे बढ़ने वाले नेताओं में शुमार है सतीश पूनिया-
नवनियुक्त भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया भले ही कम उम्र में प्रदेश अध्यक्ष बनने वाले नेता बने हो लेकिन संगठनात्मक रूप से पार्टी के विभिन्न पदों पर काम करने का पूनिया के पास लंबा अनुभव रहा है. पूनिया का नाम उन नेताओं में भी शुमार है जो हारने के बाद मजबूती के साथ आगे बढ़ते हैं और शिखर तक पहुंचते हैं. सतीश पूनिया विधानसभा का एक उपचुनाव और एक चुनाव हार चुके हैं.

पढ़ेंः पूनिया को प्रदेशाध्यक्ष बना भाजपा ने खेला 'जाट कार्ड', बिगाड़े कांग्रेस के जातीय समीकरण

वहीं राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष चुनाव में भी उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था. पूनिया साल 2000 में हुए सादुलशहर विधानसभा के उपचुनाव में हारे. साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में भी आमेर विधानसभा सीट से उन्हें महज कुछ वोटों से हार का मुंह देखना पड़ा लेकिन पूनिया ने हार नहीं मानी और खुद को मजबूत करते हुए आगे बढ़ते रहें. यही कारण है कि साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में वह आमेर से विधायक बने और अपने संगठनात्मक कौशल के जरिए अब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी तक भी पहुंचे.

पूनिया का यह है संगठनात्मक अनुभव-
सतीश पूनिया संघनिष्ठ नेता माने जाते हैं और संगठन का उन्हें लंबा चौड़ा अनुभव है. छात्रसंघ जीवन के दौरान वह एबीवीपी से जुड़े रहे और महानगर मंत्री से लेकर कई दायित्व उन्होंने निर्वाह किया. वहीं साल 1989 में वे राजस्थान विश्वविद्यालय छात्र संघ में महासचिव बने सक्रिय राजनीति में भी उन्होंने पार्टी के कई पदों पर काम किया.

पढ़ेंः मुख्यमंत्री ने PM को लिखा पत्र, खाद्य सुरक्षा योजना के सभी पात्रों को 'आयुष्मान भारत योजना' में शामिल करने की मांग

साल 1992 से 98 तक भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश महामंत्री रहे. इसी तरह साल 2000 से 2004 तक वे पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे. तो साल 2004 से 14 तक यानी लगा 10 सालों तक वह प्रदेश भाजपा के महामंत्री रहे. वर्तमान में सतीश पूनिया भाजपा संगठन में प्रदेश प्रवक्ता होने के साथ साथ सदस्यता अभियान के प्रदेश संयोजक सहित उन्होंने कई अभियानों में अहम भूमिका निभाई.

जयपुर. प्रदेश भाजपा की कमान सतीश पूनिया को मिलने के साथ ही राजस्थान भाजपा के अब तक इतिहास में कुछ पन्ने ऐसे भी जुड़ गए हैं जो प्रदेश भाजपा में पहली बार हुआ. मसलन सतीश पूनिया के रूप में राजस्थान भाजपा को पहली बार जाट समाज से आने वाला प्रदेशाध्यक्ष मिला. इसी तरह राजस्थान भाजपा के इतिहास में प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचने वाले सबसे कम उम्र के नेता के रूप में भी सतीश पूनिया का नाम अंकित हो गया है.

हार कर आगे बढ़ने और शिखर तक पहुंचने वाले संघनिष्ठ नेता है सतीश पूनिया

हार कर आगे बढ़ने वाले नेताओं में शुमार है सतीश पूनिया-
नवनियुक्त भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया भले ही कम उम्र में प्रदेश अध्यक्ष बनने वाले नेता बने हो लेकिन संगठनात्मक रूप से पार्टी के विभिन्न पदों पर काम करने का पूनिया के पास लंबा अनुभव रहा है. पूनिया का नाम उन नेताओं में भी शुमार है जो हारने के बाद मजबूती के साथ आगे बढ़ते हैं और शिखर तक पहुंचते हैं. सतीश पूनिया विधानसभा का एक उपचुनाव और एक चुनाव हार चुके हैं.

पढ़ेंः पूनिया को प्रदेशाध्यक्ष बना भाजपा ने खेला 'जाट कार्ड', बिगाड़े कांग्रेस के जातीय समीकरण

वहीं राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष चुनाव में भी उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था. पूनिया साल 2000 में हुए सादुलशहर विधानसभा के उपचुनाव में हारे. साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में भी आमेर विधानसभा सीट से उन्हें महज कुछ वोटों से हार का मुंह देखना पड़ा लेकिन पूनिया ने हार नहीं मानी और खुद को मजबूत करते हुए आगे बढ़ते रहें. यही कारण है कि साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में वह आमेर से विधायक बने और अपने संगठनात्मक कौशल के जरिए अब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी तक भी पहुंचे.

पूनिया का यह है संगठनात्मक अनुभव-
सतीश पूनिया संघनिष्ठ नेता माने जाते हैं और संगठन का उन्हें लंबा चौड़ा अनुभव है. छात्रसंघ जीवन के दौरान वह एबीवीपी से जुड़े रहे और महानगर मंत्री से लेकर कई दायित्व उन्होंने निर्वाह किया. वहीं साल 1989 में वे राजस्थान विश्वविद्यालय छात्र संघ में महासचिव बने सक्रिय राजनीति में भी उन्होंने पार्टी के कई पदों पर काम किया.

पढ़ेंः मुख्यमंत्री ने PM को लिखा पत्र, खाद्य सुरक्षा योजना के सभी पात्रों को 'आयुष्मान भारत योजना' में शामिल करने की मांग

साल 1992 से 98 तक भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश महामंत्री रहे. इसी तरह साल 2000 से 2004 तक वे पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे. तो साल 2004 से 14 तक यानी लगा 10 सालों तक वह प्रदेश भाजपा के महामंत्री रहे. वर्तमान में सतीश पूनिया भाजपा संगठन में प्रदेश प्रवक्ता होने के साथ साथ सदस्यता अभियान के प्रदेश संयोजक सहित उन्होंने कई अभियानों में अहम भूमिका निभाई.

Intro:(special story)
सतीश पूनिया के प्रदेशाध्यक्ष बनने से राजस्थान भाजपा में यह हुआ पहली बार

पहली बार जाट और कम उम्र में प्रदेश अध्यक्ष पद तक पहुंचने वाले पहले नेता बने सतीश पूनिया

हार कर आगे बढ़ने और शिखर तक पहुँचने वाले संघनिष्ठ नेता है सतीश पूनिया

जयपुर (इंट्रो)
प्रदेश भाजपा की कमान सतीश पूनिया को मिलने के साथ ही राजस्थान भाजपा के अब तक इतिहास मैं कुछ पन्ने ऐसे भी जुड़ गए हैं जो प्रदेश भाजपा में पहली बार हुआ। मसलन सतीश पूनिया के रूप में राजस्थान भाजपा को पहली बार जाट समाज से आने वाला प्रदेशाध्यक्ष मिला। इसी तरह राजस्थान भाजपा के इतिहास में प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचने वाले सबसे कम उम्र के नेता के रूप में भी सतीश पूनिया का नाम अंकित हो गया है।

हार कर आगे बढ़ने और शिखर तक पहुँचने वाले नेताओं में शुमार है सतीश पूनिया-

नवनियुक्त भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया भले ही कम उम्र में प्रदेश अध्यक्ष बनने वाले नेता बने हो लेकिन संगठनात्मक रूप से पार्टी के विभिन्न पदों पर काम करने का पूनिया के पास लंबा अनुभव रहा है। पूनिया का नाम उन नेताओं में भी शुमार है जो हारने के बाद मजबूती के साथ आगे बढ़ते हैं और शिखर तक पहुंचते हैं। सतीश पूनिया विधानसभा का एक उपचुनाव और एक चुनाव हार चुके हैं। वही राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष चुनाव में भी उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। पूनिया साल 2000 में हुए सादुलशहर विधानसभा के उपचुनाव में हारे। वही साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में भी आमेर विधानसभा सीट से उन्हें महज कुछ वोटों से हार का मुंह देखना पड़ा लेकिन पूनिया ने हार नहीं मानी और खुद को मजबूत करते हुए आगे बढ़ते रहें। यही कारण है कि साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में वह आमेर से विधायक बने और अपने संगठनात्मक कौशल के जरिए अब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी तक भी पहुंचे।

पूनिया का यह है संगठनात्मक अनुभव-

सतीश पूनिया संघनिष्ठ नेता माने जाते हैं और संगठन का उन्हें लंबा चौड़ा अनुभव है छात्रसंघ जीवन के दौरान वह एबीवीपी से जुड़े रहे और महानगर मंत्री से लेकर कई दायित्व उन्होंने निर्वाह किया वही साल 1989 में वे राजस्थान विश्वविद्यालय छात्र संघ में महासचिव बने सक्रिय राजनीति में भी उन्होंने पार्टी के कई पदों पर काम किया साल 1992 से 98 तक भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश महामंत्री रहे इसी तरह साल 2000 से 2004 तक वे पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे इसी तरह साल 2004 से 14 तक यानी लगा 10 सालों तक वह प्रदेश भाजपा के महामंत्री रहे । वर्तमान में सतीश पूनिया भाजपा संगठन में प्रदेश प्रवक्ता थे वही सदस्यता अभियान के प्रदेश संयोजक सहित उन्होंने कई अभियानों में अहम भूमिका निभाई।

बाईट- सतीश पूनिया, नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष
(edited vo pkg)




Body:बाईट- सतीश पूनिया, नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष
(edited vo pkg)


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