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Special: बुजुर्गों को वसीयत और गिफ्ट डीड करने पर मजबूर कर रहा 'कोरोना का डर' - Corona virus effects on the elderly

कोरोना वायरस का डर बुजुर्गों में इस कदर बैठ रहा है कि, अब वो समय से पहले ही वसीयत और गिफ्ट डीड कराने लगे हैं. लॉकडाउन से पहले तक हर दिन जहां इक्का-दुक्का वसीयतनामा तैयार होते थे. वो अगस्त तक आते-आते 10 से 12 पहुंच गए हैं. खास बात यह है कि, वसीयत कराने वालों का आयु वर्ग भी 60 से घटकर 50 हो गया है.

Corona virus effects on the elderly, कोरोना वायरस का बुजुर्गों पर प्रभाव
बुजुर्गों को वसीयत करने पर मजबूर कर रहा कोरोना
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Published : Aug 6, 2020, 4:24 PM IST

जयपुर. यूं तो भारत सबसे ज्यादा युवा जनसंख्या वाला देश है. यहां 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की जनसंख्या महज 10 फीसदी है. लेकिन कोविड-19 के प्रकोप का सबसे ज्यादा डर भी इसी 10 फीसदी आबादी को ही है. चिकित्सकों की मानें तो अब तक कोरोना वायरस की वजह से मरने वालों की संख्या का 75 फीसदी वो लोग हैं, जिन्हें पहले से किसी अन्य बीमारी ने घेर रखा था. और इन में भी एक बड़ी संख्या बुजुर्गों की है.

कोरोना वायरस का बुजुर्गों में बैठा डर

यही वजह है कि अब कोरोना का डर बुजुर्ग लोगों पर हावी हो रहा है. ऐसे में अपनी मृत्यु तक गोपनीयता बनाए रखने के लिए कुछ लोग सादे कागजों पर अपने हाथों से वसीयत लिखकर अपने वकीलों के पास जमा करा रहे हैं. और कुछ मरणोपरांत प्रॉपर्टी को लेकर होने वाले पारिवारिक विवाद से बचने के लिए इसे रजिस्टर्ड भी करा रहे हैं. हालांकि ये दस्तावेज पूरी तरह गोपनीय होते हैं.

बावजूद इसके कुछ शहरवासियों ने ईटीवी भारत से साझा करते हुए बताया कि कोरोना के समय में किसी के भी जीवन का भरोसा नहीं है. कभी भी कुछ भी हो सकता है. उनके जाने के बाद घर में कलह ना हो, इसलिए वो संपत्ति का बराबर बंटवारा कर रहे हैं.

Corona virus effects on the elderly, कोरोना वायरस का बुजुर्गों पर प्रभाव
रोजाना कोर्ट पहुंच रहे वृद्ध

रजिस्ट्रार के पास बीते 1 महीने में 240 वसीयत का पंजीयन हुआ है. लेकिन नोटरी कराकर वकीलों के पास वसीयत रखने वालों की तादाद इससे कहीं ज्यादा है. जिला सेशन कोर्ट में कार्यरत वकीलों की मानें तो सादे कागज पर लिखी हुई वसीयत को भी कानूनी मान्यता है. वहीं कुछ लोग गिफ्ट डीड भी कराते हैं. जिसे रजिस्टर्ड होना जरूरी है. इसके लिए अलग-अलग प्रॉपर्टी डीएलसी रेट निर्धारित है.

पढ़ें- स्पेशल: Corona से सुरक्षा में मददगार बन रहा आरोग्य सेतु एप, अब तक कई मामले आ चुके सामने

हालांकि, वकीलों ने ये भी स्पष्ट किया कि जो लोग संपत्ति का तत्काल हस्तांतरण करना चाहते हैं, वहीं लोग गिफ्ट डीड करा रहे हैं. लेकिन उनका प्रतिशत बहुत कम है. अधिकतर लोग वसीयत करा रहे हैं, क्योंकि इसे बदला भी जा सकता है. उन्होंने कहा कि बुजुर्गों में कोरोना का खौफ है, यही वजह है कि इन दिनों में ज्यादा वसीयतनामा लिखे जा रहे हैं.

Corona virus effects on the elderly, कोरोना वायरस का बुजुर्गों पर प्रभाव
बुजुर्गों को है, कोरोना से डर

बहरहाल, भारत में कोरोना से मरने वाले लोगों में 50 फीसदी से ज्यादा मरीज 60 साल से अधिक आयु वर्ग के हैं. और इसका सबसे बड़ा कारण बुजुर्गों में इम्युन सिस्टम का बेहद कमजोर होना है. ऐसे में बुजुर्गों को कोरोना का सबसे अधिक खतरा बताया गया. यही वजह है कि इस खतरे को भांपते हुए और परिवार के भविष्य को ध्यान में रखते हुए, ये बुजुर्ग लोग अब अपनी जमा पूंजी और संपत्ति की वसीयत या गिफ्ट डीड करा रहे हैं.

जयपुर. यूं तो भारत सबसे ज्यादा युवा जनसंख्या वाला देश है. यहां 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की जनसंख्या महज 10 फीसदी है. लेकिन कोविड-19 के प्रकोप का सबसे ज्यादा डर भी इसी 10 फीसदी आबादी को ही है. चिकित्सकों की मानें तो अब तक कोरोना वायरस की वजह से मरने वालों की संख्या का 75 फीसदी वो लोग हैं, जिन्हें पहले से किसी अन्य बीमारी ने घेर रखा था. और इन में भी एक बड़ी संख्या बुजुर्गों की है.

कोरोना वायरस का बुजुर्गों में बैठा डर

यही वजह है कि अब कोरोना का डर बुजुर्ग लोगों पर हावी हो रहा है. ऐसे में अपनी मृत्यु तक गोपनीयता बनाए रखने के लिए कुछ लोग सादे कागजों पर अपने हाथों से वसीयत लिखकर अपने वकीलों के पास जमा करा रहे हैं. और कुछ मरणोपरांत प्रॉपर्टी को लेकर होने वाले पारिवारिक विवाद से बचने के लिए इसे रजिस्टर्ड भी करा रहे हैं. हालांकि ये दस्तावेज पूरी तरह गोपनीय होते हैं.

बावजूद इसके कुछ शहरवासियों ने ईटीवी भारत से साझा करते हुए बताया कि कोरोना के समय में किसी के भी जीवन का भरोसा नहीं है. कभी भी कुछ भी हो सकता है. उनके जाने के बाद घर में कलह ना हो, इसलिए वो संपत्ति का बराबर बंटवारा कर रहे हैं.

Corona virus effects on the elderly, कोरोना वायरस का बुजुर्गों पर प्रभाव
रोजाना कोर्ट पहुंच रहे वृद्ध

रजिस्ट्रार के पास बीते 1 महीने में 240 वसीयत का पंजीयन हुआ है. लेकिन नोटरी कराकर वकीलों के पास वसीयत रखने वालों की तादाद इससे कहीं ज्यादा है. जिला सेशन कोर्ट में कार्यरत वकीलों की मानें तो सादे कागज पर लिखी हुई वसीयत को भी कानूनी मान्यता है. वहीं कुछ लोग गिफ्ट डीड भी कराते हैं. जिसे रजिस्टर्ड होना जरूरी है. इसके लिए अलग-अलग प्रॉपर्टी डीएलसी रेट निर्धारित है.

पढ़ें- स्पेशल: Corona से सुरक्षा में मददगार बन रहा आरोग्य सेतु एप, अब तक कई मामले आ चुके सामने

हालांकि, वकीलों ने ये भी स्पष्ट किया कि जो लोग संपत्ति का तत्काल हस्तांतरण करना चाहते हैं, वहीं लोग गिफ्ट डीड करा रहे हैं. लेकिन उनका प्रतिशत बहुत कम है. अधिकतर लोग वसीयत करा रहे हैं, क्योंकि इसे बदला भी जा सकता है. उन्होंने कहा कि बुजुर्गों में कोरोना का खौफ है, यही वजह है कि इन दिनों में ज्यादा वसीयतनामा लिखे जा रहे हैं.

Corona virus effects on the elderly, कोरोना वायरस का बुजुर्गों पर प्रभाव
बुजुर्गों को है, कोरोना से डर

बहरहाल, भारत में कोरोना से मरने वाले लोगों में 50 फीसदी से ज्यादा मरीज 60 साल से अधिक आयु वर्ग के हैं. और इसका सबसे बड़ा कारण बुजुर्गों में इम्युन सिस्टम का बेहद कमजोर होना है. ऐसे में बुजुर्गों को कोरोना का सबसे अधिक खतरा बताया गया. यही वजह है कि इस खतरे को भांपते हुए और परिवार के भविष्य को ध्यान में रखते हुए, ये बुजुर्ग लोग अब अपनी जमा पूंजी और संपत्ति की वसीयत या गिफ्ट डीड करा रहे हैं.

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