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उत्पन्ना एकादशी 2020: व्रत करने से मिलेगा एक हजार व्रत का पुण्य

मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहते हैं. उत्पन्ना एकादशी 11 दिसंबर को है. इस दिन उत्पन्ना एकादशी का व्रत किया जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार जो व्यक्ति उत्पन्ना एकादशी का व्रत करता है, उस पर भगवान विष्णु की असीम कृपा बनी रहती है. पौराणिक शास्त्रों में सभी व्रतों में एकादशी व्रत को महत्वपूर्ण बताया गया है.

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Published : Dec 11, 2020, 9:49 AM IST

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उत्पन्ना एकादशी 2020

जयपुर. अगहन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आज यानी शुक्रवार को उतपन्ना एकादशी है. ये एकादशी सबसे बड़ी एकादशी है. इसका व्रत करने से व्यक्ति को एक हजार एकादशी का व्रत करने का पवित्र फल प्राप्त होता है. वहीं सभी प्रकार के पापों से मुक्ति के लिए भी इस एकादशी पर उपवास रखा जाता है.

ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि, उतपन्ना एकादशी व्रत कथा में भगवान विष्णुजी ने कहा था कि, सूर्योदय के समय एकादशी तिथि फिर दिनभर द्वादशी और रात्रि के अंतिम प्रहर में त्रियोदशी तिथि का योग आता है. वो त्रिस्पर्शा यानी उतपन्ना एकादशी कहलाती है. इसलिए जब मनुष्य 40 साल तक की एकादशी का व्रत करता है, तो उसे एक हजार एकादशियां प्राप्त होती हैं. यानी एक ही दिन में 40 साल की योग्यता हासिल हो जाती है.

यह भी पढ़ें: IPS पंकज चौधरीः जिन्हें केद्र सरकार ने दो शादी करने के आरोप में बर्खास्त किया था...कैट ने उस आदेश को रद्द कर दिया

उतपन्ना एकादशी का उपवास रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. वहीं हजार अश्वमेध संस्कार और सौ वाजपेयी संस्कार करने का पुण्य प्राप्त करता है, जो इस व्रत को करता है. साथ ही वह अपने पिता के वंश, माता के वंश और पत्नी के वंश के साथ विष्णु लोक में स्थापित होता है. उपवास समाप्त होने पर ब्राह्मण भोज करवाना चाहिए या इसके स्थान पर कुछ दान करना फलदायी रहता है. क्योंकि एकादशी का व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है.

जयपुर. अगहन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आज यानी शुक्रवार को उतपन्ना एकादशी है. ये एकादशी सबसे बड़ी एकादशी है. इसका व्रत करने से व्यक्ति को एक हजार एकादशी का व्रत करने का पवित्र फल प्राप्त होता है. वहीं सभी प्रकार के पापों से मुक्ति के लिए भी इस एकादशी पर उपवास रखा जाता है.

ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि, उतपन्ना एकादशी व्रत कथा में भगवान विष्णुजी ने कहा था कि, सूर्योदय के समय एकादशी तिथि फिर दिनभर द्वादशी और रात्रि के अंतिम प्रहर में त्रियोदशी तिथि का योग आता है. वो त्रिस्पर्शा यानी उतपन्ना एकादशी कहलाती है. इसलिए जब मनुष्य 40 साल तक की एकादशी का व्रत करता है, तो उसे एक हजार एकादशियां प्राप्त होती हैं. यानी एक ही दिन में 40 साल की योग्यता हासिल हो जाती है.

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उतपन्ना एकादशी का उपवास रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. वहीं हजार अश्वमेध संस्कार और सौ वाजपेयी संस्कार करने का पुण्य प्राप्त करता है, जो इस व्रत को करता है. साथ ही वह अपने पिता के वंश, माता के वंश और पत्नी के वंश के साथ विष्णु लोक में स्थापित होता है. उपवास समाप्त होने पर ब्राह्मण भोज करवाना चाहिए या इसके स्थान पर कुछ दान करना फलदायी रहता है. क्योंकि एकादशी का व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है.

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