जयपुर. अगहन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आज यानी शुक्रवार को उतपन्ना एकादशी है. ये एकादशी सबसे बड़ी एकादशी है. इसका व्रत करने से व्यक्ति को एक हजार एकादशी का व्रत करने का पवित्र फल प्राप्त होता है. वहीं सभी प्रकार के पापों से मुक्ति के लिए भी इस एकादशी पर उपवास रखा जाता है.
ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि, उतपन्ना एकादशी व्रत कथा में भगवान विष्णुजी ने कहा था कि, सूर्योदय के समय एकादशी तिथि फिर दिनभर द्वादशी और रात्रि के अंतिम प्रहर में त्रियोदशी तिथि का योग आता है. वो त्रिस्पर्शा यानी उतपन्ना एकादशी कहलाती है. इसलिए जब मनुष्य 40 साल तक की एकादशी का व्रत करता है, तो उसे एक हजार एकादशियां प्राप्त होती हैं. यानी एक ही दिन में 40 साल की योग्यता हासिल हो जाती है.
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उतपन्ना एकादशी का उपवास रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. वहीं हजार अश्वमेध संस्कार और सौ वाजपेयी संस्कार करने का पुण्य प्राप्त करता है, जो इस व्रत को करता है. साथ ही वह अपने पिता के वंश, माता के वंश और पत्नी के वंश के साथ विष्णु लोक में स्थापित होता है. उपवास समाप्त होने पर ब्राह्मण भोज करवाना चाहिए या इसके स्थान पर कुछ दान करना फलदायी रहता है. क्योंकि एकादशी का व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है.