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आत्मनिर्भर भारत की कल्पना में किसानों के लिए की गई घोषणा ऊंट के मुंह में जीरे के समान: किसान नेता

केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने आत्म निर्भर भारत की कल्पना में किसानों के लिए की गई घोषणा की है. लेकिन प्रदेश के किसानों को ये सभी घोषणाएं ऊंट के मुंह में जीरा समान लग रही है. किसानों का आरोप है कि रबी की फसल के लिए 30 हजार करोड़ के फंड से कुछ नहीं होगा. इससे चार गुना अधिक होना चाहिए. साथ ही किसानों को कर्ज माफी नहीं कर्ज से मुक्ति चाहिए.

Economic package for farmers, Jaipur News
किसान नेता प्रताप सिंह सिरोही
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Published : May 14, 2020, 8:12 PM IST

जयपुर. आत्मनिर्भर भारत बनाने की केंद्र सरकार की परिकल्पना को गति देने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण ने किसानों के लिए कई घोषणा की. साथ ही एक रोड मैप भी दिखाया कि किस तरह से किसानों को आने वाले वक्त में आत्मनिर्भर बनाया जाएगा. वित्त मंत्री ने रबी की फसल के लिए किसानों की मदद करने की बात कही. उन्होंने 30 हजार करोड़ के फंड का प्रावधान किया है.

इसके साथ ही 2 लाख करोड़ की सुविधा किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से देने की बात कही. लेकिन केंद्र सरकार की इन घोषणाओं से प्रदेश के किसान ज्यादा खुश नहीं हैं. उन्हें लगता है कि सरकार ने जो घोषणा करी है, वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. किसान नेता प्रताप सिंह सिरोही ने कहा कि जो प्रावधान किए गए हैं किसानों के लिए वह बहुत कम हैं, ना काफी प्रावधान हैं.

किसानों के लिए राहत पैकेज की घोषणा

पढ़ें- SPECIAL: हाथी पालकों पर Lockdown की छाया, धंधा ठप तो गुजारा हुआ मुश्किल

खरीद के प्रावधानों का जो फंड है वह 4 गुना अधिक होना चाहिए था. साथ ही जो किसानों का ब्याज है वो पूरा माफ होना चाहिए. रबी की फसल के लिए भी किसानों की मदद करने की बात कही गई है. 30 हजार करोड़ का फंड का प्रावधान किया गया है. इसके अंदर राज्य सरकार को सम्मिलित करना चाहिए था. जिससे किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिल सके.

उन्होंने कहा कि सरकार फसल खरीद कानून बनाएं जिससे किसानों को उचित समर्थन मूल्य मिल सके. इसके साथ ही ग्रामीण स्तर पर एक यूनिट तैयार होनी चाहिए. रोजगार के साधन उपलब्ध होने चाहिए. जिससे किसानों को कर्ज माफी की जगह कर्ज मुक्ति मिल सके. किसानों की उपज है उसका खरीद का समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है. इसको लेकर भी किसी तरह की कोई इसमें स्पष्ट बात नहीं करी गई है.

पढ़ें- SPECIAL: किसानों को खरीफ फसली ऋण का वितरण जारी, लेकिन लॉकडाउन में आ रही परेशानी

किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिलेगा तो किसान स्वयं ही आत्मनिर्भर हो जाएगा. प्रताप सिंह सिरोही ने कहा कि केंद्र सरकार ने जो घोषणा करी है वह भले ही दिखने में अच्छी हो. लेकिन धरातल पर इनका कोई ज्यादा लाभ किसानों को नहीं मिलेगा. ऐसा लग रहा है कि सरकार जैसे मानो इस कोरोना संकट की घड़ी में किसानों को राहत देने की बजाय फिर सिर्फ घोषणाओं के जरिए कभी पूरे ना होने वाले सपने दिखा रही है.

उन्होंने कहा कि देश की 70 फीसदी आबादी गांव में निवास करती है. जब तक किसानों को लेकर ठोस नियम कानून नहीं बनेंगे और उनकी विकास की बात नहीं होगी, तब तक देश को आत्मनिर्भर नहीं बनाया जा सकता. उन्होंने कहा कि भारत की आत्मा गांव में निवास करती है. किसान के अंदर निवास करती है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ किसानों के लिए कुछ अच्छी घोषणा करें.

जयपुर. आत्मनिर्भर भारत बनाने की केंद्र सरकार की परिकल्पना को गति देने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण ने किसानों के लिए कई घोषणा की. साथ ही एक रोड मैप भी दिखाया कि किस तरह से किसानों को आने वाले वक्त में आत्मनिर्भर बनाया जाएगा. वित्त मंत्री ने रबी की फसल के लिए किसानों की मदद करने की बात कही. उन्होंने 30 हजार करोड़ के फंड का प्रावधान किया है.

इसके साथ ही 2 लाख करोड़ की सुविधा किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से देने की बात कही. लेकिन केंद्र सरकार की इन घोषणाओं से प्रदेश के किसान ज्यादा खुश नहीं हैं. उन्हें लगता है कि सरकार ने जो घोषणा करी है, वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. किसान नेता प्रताप सिंह सिरोही ने कहा कि जो प्रावधान किए गए हैं किसानों के लिए वह बहुत कम हैं, ना काफी प्रावधान हैं.

किसानों के लिए राहत पैकेज की घोषणा

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खरीद के प्रावधानों का जो फंड है वह 4 गुना अधिक होना चाहिए था. साथ ही जो किसानों का ब्याज है वो पूरा माफ होना चाहिए. रबी की फसल के लिए भी किसानों की मदद करने की बात कही गई है. 30 हजार करोड़ का फंड का प्रावधान किया गया है. इसके अंदर राज्य सरकार को सम्मिलित करना चाहिए था. जिससे किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिल सके.

उन्होंने कहा कि सरकार फसल खरीद कानून बनाएं जिससे किसानों को उचित समर्थन मूल्य मिल सके. इसके साथ ही ग्रामीण स्तर पर एक यूनिट तैयार होनी चाहिए. रोजगार के साधन उपलब्ध होने चाहिए. जिससे किसानों को कर्ज माफी की जगह कर्ज मुक्ति मिल सके. किसानों की उपज है उसका खरीद का समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है. इसको लेकर भी किसी तरह की कोई इसमें स्पष्ट बात नहीं करी गई है.

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किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिलेगा तो किसान स्वयं ही आत्मनिर्भर हो जाएगा. प्रताप सिंह सिरोही ने कहा कि केंद्र सरकार ने जो घोषणा करी है वह भले ही दिखने में अच्छी हो. लेकिन धरातल पर इनका कोई ज्यादा लाभ किसानों को नहीं मिलेगा. ऐसा लग रहा है कि सरकार जैसे मानो इस कोरोना संकट की घड़ी में किसानों को राहत देने की बजाय फिर सिर्फ घोषणाओं के जरिए कभी पूरे ना होने वाले सपने दिखा रही है.

उन्होंने कहा कि देश की 70 फीसदी आबादी गांव में निवास करती है. जब तक किसानों को लेकर ठोस नियम कानून नहीं बनेंगे और उनकी विकास की बात नहीं होगी, तब तक देश को आत्मनिर्भर नहीं बनाया जा सकता. उन्होंने कहा कि भारत की आत्मा गांव में निवास करती है. किसान के अंदर निवास करती है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ किसानों के लिए कुछ अच्छी घोषणा करें.

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