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केंद्र सरकार को राज्यों के साथ खड़े हो कर राजधर्म निभाना चाहिएः रामपाल जाट

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Published : May 28, 2020, 7:35 PM IST

राजस्थान में जिस तरह से टिड्डियों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, उससे किसानों की चिंताए भी बढ़ रही है. टिड्डी के संबंध में ईटीवी भारत से किसान नेता रामपाल जाट ने कई प्रमुख बातें की. इस दौरान उन्होंने कहा कि टिड्डियों की रोकथाम में राजनीति न करे सरकार. क्योंकि अंत में सारा नुकसान बेचारे किसान को ही उठाना पड़ता है.

Farmer leader Rampal Jat, किसान नेता रामपाल जाट
ईटीवी भारत से किसान नेता रामपाल जाट से खास बातचीत

जयपुर. राजस्थान में एक बार फिर टिड्डियों का आतंक बढ़ने लगा है. प्रदेश के एक दर्जन से अधिक जिलों में टिड्डियों का असर देखा गया है. टिड्डी नियंत्रण को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच कई बार मतभेद भी देखे ही गए हैं. ऐसे में किसान नेता रामपाल जाट ने कहा कि टिड्डी नियंत्रण के लिए सरकार को टिड्डी दल की गति से दो गुना गति बढ़ा कर काम करना होगा. साथ ही केंद्र सरकार को सभी राज्यों के साथ खड़े होकर राज धर्म निभाना होगा. नहीं तो इस बार भी नुकसान किसान को ही उठाना पड़ेगा.

ईटीवी भारत से किसान नेता रामपाल जाट से खास बातचीत

किसान नेता रामपाल जाट ने कहा कि दिसंबर में टिड्डियों का असर बाड़मेर, जालौर, सिरोही, नागौर और जैसलमेर तक ही सीमित था. लेकिन इस बार टिड्डियों का असर जयपुर, दैसा, करौली, भरतपुर, चित्तौड़गढ़ और अजमेर तक पहुंच गया है. यानी प्रदेश के करीब 1 दर्जन से अधिक जिलों में टिड्डियों का असर देखा जा रहा है. इससे किसानों की चिंताएं लगातार बढ़ रही है. हालांकि अभी किसानों की फसल खेतों में अंकुरित नहीं हुई है इसकी वजह से किसानों की फसल को कोई नुकसान नहीं है.

पढ़ें- जयपुर सेंट्रल जेल में 5 कैदी कोरोना पॉजिटिव...पुलिस लाइन में भी 3 जवान संक्रमित

लेकिन जिन किसानों की सब्जी की फसल खेतों में है, उन्हें इससे बड़ा नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि जहां टिड्डियों का दल पहुंचता है वह फसल पूरी तरह से नष्ट हो जाती है. रामपाल जाट ने कहा कि सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत करें और किस तरह से इस टिड्डी प्रभाव से किसानों को बचाया जाए, इस पर चर्चा करें. यह भी प्राकृतिक आपदा के समान है. इसे केंद्र सरकार को ही जिम्मेदारी लेते हुए संभालना पड़ेगा.

टिड्डी के मामलें में राजनीति करेंः

रामपाल जाट ने कहा कि पिछले दिनों जिस तरह से देखा गया कि केंद्र और राज्य के बीच में टिड्डियों की रोकथाम के राजनीतिक दांव पेंच खेले गए वह ठीक नहीं था. इस तरह के माहौल में राजनीति नहीं होनी चाहिए. यदि समय रहते सरकार इस पर नियंत्रण नहीं करती है तो उसका खामियाजा किसानों को उठाना पड़ेगा. किसान हमेशा ही इसी तरीके से कभी प्राकृतिक आपदा से तो कभी टिड्डी प्रकोप से तो कभी फसल में खराबे के नुकसान उठाता रहा है. किसान हमेशा ही इस तरह की आपदाओं से पीड़ित रहा है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लें और बिना किसी राजनीतिक भेदभाव के ठोस और मजबूत कदम उठाए.

जयपुर. राजस्थान में एक बार फिर टिड्डियों का आतंक बढ़ने लगा है. प्रदेश के एक दर्जन से अधिक जिलों में टिड्डियों का असर देखा गया है. टिड्डी नियंत्रण को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच कई बार मतभेद भी देखे ही गए हैं. ऐसे में किसान नेता रामपाल जाट ने कहा कि टिड्डी नियंत्रण के लिए सरकार को टिड्डी दल की गति से दो गुना गति बढ़ा कर काम करना होगा. साथ ही केंद्र सरकार को सभी राज्यों के साथ खड़े होकर राज धर्म निभाना होगा. नहीं तो इस बार भी नुकसान किसान को ही उठाना पड़ेगा.

ईटीवी भारत से किसान नेता रामपाल जाट से खास बातचीत

किसान नेता रामपाल जाट ने कहा कि दिसंबर में टिड्डियों का असर बाड़मेर, जालौर, सिरोही, नागौर और जैसलमेर तक ही सीमित था. लेकिन इस बार टिड्डियों का असर जयपुर, दैसा, करौली, भरतपुर, चित्तौड़गढ़ और अजमेर तक पहुंच गया है. यानी प्रदेश के करीब 1 दर्जन से अधिक जिलों में टिड्डियों का असर देखा जा रहा है. इससे किसानों की चिंताएं लगातार बढ़ रही है. हालांकि अभी किसानों की फसल खेतों में अंकुरित नहीं हुई है इसकी वजह से किसानों की फसल को कोई नुकसान नहीं है.

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लेकिन जिन किसानों की सब्जी की फसल खेतों में है, उन्हें इससे बड़ा नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि जहां टिड्डियों का दल पहुंचता है वह फसल पूरी तरह से नष्ट हो जाती है. रामपाल जाट ने कहा कि सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत करें और किस तरह से इस टिड्डी प्रभाव से किसानों को बचाया जाए, इस पर चर्चा करें. यह भी प्राकृतिक आपदा के समान है. इसे केंद्र सरकार को ही जिम्मेदारी लेते हुए संभालना पड़ेगा.

टिड्डी के मामलें में राजनीति करेंः

रामपाल जाट ने कहा कि पिछले दिनों जिस तरह से देखा गया कि केंद्र और राज्य के बीच में टिड्डियों की रोकथाम के राजनीतिक दांव पेंच खेले गए वह ठीक नहीं था. इस तरह के माहौल में राजनीति नहीं होनी चाहिए. यदि समय रहते सरकार इस पर नियंत्रण नहीं करती है तो उसका खामियाजा किसानों को उठाना पड़ेगा. किसान हमेशा ही इसी तरीके से कभी प्राकृतिक आपदा से तो कभी टिड्डी प्रकोप से तो कभी फसल में खराबे के नुकसान उठाता रहा है. किसान हमेशा ही इस तरह की आपदाओं से पीड़ित रहा है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लें और बिना किसी राजनीतिक भेदभाव के ठोस और मजबूत कदम उठाए.

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