जयपुर. राजस्थान के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के डीजी आलोक त्रिपाठी बुधवार को रिटायर हो गए. डीजी आलोक त्रिपाठी के रिटायरमेंट पर एसीबी मुख्यालय में विदाई समारोह आयोजित किया गया. विदाई समारोह के दौरान कोरोना गाइडलाइन की जमकर धज्जियां उड़ाई गईं.
1986 बैच के आईपीएस अधिकारी आलोक त्रिपाठी ने प्रदेश में विभिन्न पदों पर रहकर काम किया है. त्रिपाठी ने कई जिलों में बतौर एसपी रहकर कानून व्यवस्था और अपराध नियंत्रण के काम को बखूबी अंजाम दिया. उनके बेहतर काम को देखते हुए राज्य सरकार ने उन्हें राजस्थान एसओजी और एटीएस की कमान भी सौंपी. एसीबी मुख्यालय में एडीजी एसीबी दिनेश एमएन समेत अन्य अधिकारियों ने उनके कार्यकाल की सराहना की और उन्हें शुभकामनाएं दी. इस मौके पर परंपरागत रूप से एसीबी अधिकारियों ने सेवानिवृत्त हुए आलोक त्रिपाठी की कार को रस्सा खींचकर एसीबी मुख्यालय से बाहर निकालकर विदाई दी. आलोक त्रिपाठी ने अपने कार्यकाल की प्रमुख घटनाओं को याद कर एसीबी अधिकारियों के टीम वर्क की सराहना की.
आलोक त्रिपाठी ने कहा कि, एसीबी हेल्पलाइन पर भी अब भ्रष्टाचार की शिकायतें आने लगी हैं. अपनी सेवानिवृत्ति पर उन्होंने एसीबी के तमाम कार्मिकों का हौसला बढ़ाते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग जारी रखने का आह्वान किया. इस दौरान एसीबी एडीजी दिनेश एमएन के साथ कर्मचारियों ने सेल्फियां भी ली.
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एसीबी मुख्यालय में आयोजित विदाई समारोह में एसीबी के बड़े अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल हुए. विदाई समारोह में सभी आला अधिकारियों और कर्मचारियों ने सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ाईं. एक तरफ सरकार कोरोना की जंग लड़ रही है और लोगों से कोरोना गाइडलाइन का पालन करने की लगातार अपील कर रही है. वहीं, प्रशासनिक अधिकारी ही कोरोना गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहे हैं.
एडीजी दिनेश एमएन ने गीता के श्लोक के जरिए किया डॉ. आलोक त्रिपाठी की खूबियों का बखान
जयपुर. एसीबी मुख्यालय में डॉ.आलोक त्रिपाठी के डीजी एसीबी के पद से सेवानिवृत्त होने के उपलक्ष्य में रखे गए विदाई समारोह में एसीबी एडीजी दिनेश एमएन ने गीता के श्लोक के जरिए डॉ. आलोक त्रिपाठी की खूबियों का बखान किया.
एसीबी एडीजी दिनेश एमएन ने बताया कि, डॉ. आलोक त्रिपाठी के सुपरविजन में उनके कार्यकाल के दौरान राजस्थान एसीबी ने 1200 से अधिक ट्रैप की कार्रवाई को अंजाम दिया है. दिनेश एमएन ने बताया कि डॉ. आलोक त्रिपाठी परिवादी की समस्या को अच्छी तरह से सुनते थे और फिर उन्हें एसीबी के अधिकारियों के पास भेजते. उसके बाद दिनेश एमएन ने गीता के श्लोक 'दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः। वीतरागभयक्रोधः स्थितधीर्मुनिरुच्यते।।' का उद्बोधन कर डॉ. आलोक त्रिपाठी की प्रशंसा की.