जयपुर. गोवंश पकड़ने के नाम पर राजधानी के दोनों ही नगर निगम फेल साबित हो रहे हैं. शहर की सड़कों पर बड़ी संख्या में निराश्रित पशु घूमते हुए देखने को मिलते हैं. शाम होने के साथ-साथ इनकी संख्या भी बढ़ती दिखती है.
ऐसे में दुर्घटना का डर भी बना रहता है. इसकी मुख्य वजह है, शहर में संचालित अवैध डेयरियां. पशुपालक गोवंश का दूध निकालने के बाद उन्हें विचरण के लिए सड़कों पर छोड़ देते हैं और नगर निगम की गाड़ी आने पर उन्हें पकड़ कर दोबारा अवैध डेयरी तक ले जाते हैं. ऐसे में ये सवाल भी बना रहता है कि आखिर पशुपालकों तक निगम की गाड़ी आने की सूचना पहुंची कैसे.
इस संबंध में हेरिटेज नगर निगम के कमिश्नर अवधेश मीणा ने बताया कि परकोटा क्षेत्र में कई अवैध डेयरियां संचालित थीं, जिनका सर्वे कराया गया. लेकिन कार्रवाई में मैन पावर और गाड़ियों की कमी का मसला था. हालांकि, अब दो गोवंश पकड़ने की गाड़ियां खरीदी गई हैं और पशु प्रबंधन शाखा में आवश्यक कर्मचारियों को भी लगा दिया गया है. अब जल्द कार्रवाई शुरू की जाएगी, ताकि सड़कों पर निराश्रित गोवंश घूमता हुआ ना दिखे.
उन्होंने कहा कि अब गोवंश पकड़ने वाली टीम को नियमित बदला भी जाएगा. एक टीम महज 1 से 2 महीने काम करेगी, साथ ही नए पुराने वाहनों में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जा रहे हैं, ताकि गाय पकड़ने के बाद उन्हें बीच रास्ते में छोड़ने जैसी शिकायतें सामने न आए. हालांकि, शहर में अवैध डेयरियों के संचालन का एक कारण राजनीतिक हस्तक्षेप को भी बताया जाता है, जिसमें हाई कोर्ट के निर्देश भी हवा हो जाते हैं.