जयपुर. भारत देश की परंपरा, संस्कृति और त्योहार लोगों को एक-दूसरे के नजदीक लाते हैं और उन्हीं त्योहारों में से एक है रंगों का महोत्सव होली का त्यौहार. होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है.
होली के एक महीने पहले से ही इस त्योहार की शुरुआत हो जाती है. होली के रसिक प्रेमी चंग पर धमाल गीत शुरू कर देते हैं. होली से पहले ही फाग उत्सव की धूम शुरू हो जाती है. हर मंदिर और धार्मिक स्थलों पर फाग उत्सव मनाया जा रहा है. लोग शाम को अपने घरों से निकलकर टोलियो में होली के पारंपरिक धमाल गाते हैं. लेकिन यह परंपराएं और यह संस्कृति आजकल शहरों में लुप्त सी हो गई. जहां यह सब दिखाई नहीं देता.
संस्कृति से लबरेज राजस्थान विश्वविद्यालय में आजकल यह देखने को मिल रहा है. विश्वविद्यालय में तामील लेने के लिए गांवों से आए युवा पुरानी संस्कृति और परंपराओं को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. सूरज ढलते ही यह चंग मंजीरे लेकर टोलियों के साथ यूनिवर्सिटी परिसर में निकलते हैं और मुख्य द्वार पर पहुंचकर होली के रंग जमाते हैं. इस तरह से पुरानी संस्कृति को बचाने के लिए छात्र फाग उत्सव कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं, जिसमें पुराने लोक गीत और चंग धमाल पर राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्र झूमते नजर आ रहे हैं.
राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्र कृष्ण गोपाल ने बताया, कि राजस्थान विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर 25 फरवरी से होली का त्योहार तक रोजाना शाम 6:00 बजे से 9:00 बजे तक राजस्थानी संस्कृति और परंपराओं को आगे बढ़ाने के लिए होली के गीत गाकर त्योहार को सेलिब्रेट कर रहे हैं. जिस चंग और धमाल को लोग भूल गए उसे हम वापस से याद दिला रहे हैं. इस तरह के कार्यक्रमों से हमारी संस्कृति बची रहेगी.