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लॉकडाउन में आवारा पशुओं के अतिरिक्त देखभाल की जाए : हाई कोर्ट

लॉकडाउन के चलते आवारा पशुओं, कुत्तों और सहित पक्षियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जिसे ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और नगर निगम को आदेश दिए हैं. कोर्ट ने कहा है कि आवारा पशुओं और कुत्तों सहित पक्षियों की अतिरिक्त देखभाल करते हुए उन्हें खाने-चारे और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए.

जयपुर की खबर, Extra care of stray animals
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Apr 29, 2020, 9:05 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और नगर निगम को आदेश दिए हैं. जिसमें कहा है कि लॉकडाउन में आवारा पशुओं और कुत्तों सहित पक्षियों की अतिरिक्त देखभाल करते हुए उन्हें खाने-चारे और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए.

मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने ये आदेश रमन गुप्ता और अन्य की ओर से दायर याचिका पर दिए.

अदालत ने कहा है कि इस संबंध में पूर्व में समय-समय पर दिए दिशा-निर्देशों की पालना भी सुनिश्चित कराई जानी चाहिए. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पालना रिपोर्ट पेश की गई. जिसमें कहा गया कि सरकार की ओर से अधिकतम कदम उठाते हुए पशु पक्षियों को चारा, खाना और चिकित्सीय सुविधाएं दी जा रही हैं.

पढ़ें: गुजरात से 2 हजार राजस्थानी लौटे, क्वॉरेंटाइन के बाद भेजा जाएगा घर...मंत्री मीणा ने कही ये बड़ी बात

इसके लिए कई एनजीओ और संगठन भी आगे आए हैं. वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि पशु-पक्षियों को सरकार भले ही खाना-पनी और अन्य सुविधाएं दी रही हो लेकिन आवारा कुत्तों और आवारा पशुओं के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है. जिसपर सुनवाई करते हुए अदालत ने राज्य सरकार और नगर निगम को निर्देश जारी करते हुए याचिका का निस्तारण किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और नगर निगम को आदेश दिए हैं. जिसमें कहा है कि लॉकडाउन में आवारा पशुओं और कुत्तों सहित पक्षियों की अतिरिक्त देखभाल करते हुए उन्हें खाने-चारे और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए.

मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने ये आदेश रमन गुप्ता और अन्य की ओर से दायर याचिका पर दिए.

अदालत ने कहा है कि इस संबंध में पूर्व में समय-समय पर दिए दिशा-निर्देशों की पालना भी सुनिश्चित कराई जानी चाहिए. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पालना रिपोर्ट पेश की गई. जिसमें कहा गया कि सरकार की ओर से अधिकतम कदम उठाते हुए पशु पक्षियों को चारा, खाना और चिकित्सीय सुविधाएं दी जा रही हैं.

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इसके लिए कई एनजीओ और संगठन भी आगे आए हैं. वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि पशु-पक्षियों को सरकार भले ही खाना-पनी और अन्य सुविधाएं दी रही हो लेकिन आवारा कुत्तों और आवारा पशुओं के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है. जिसपर सुनवाई करते हुए अदालत ने राज्य सरकार और नगर निगम को निर्देश जारी करते हुए याचिका का निस्तारण किया है.

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