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'भर्ती परीक्षा के दौरान नेटबंदी से आम जनता परेशान, सरकार को ढूंढना चाहिए दूसरा विकल्प'

नकल करने वाले, पेपर लीक करने वालों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार नेटबंदी करती है. पेपर लीक भी होता है तो नेटबंदी से पूरे प्रदेश में नहीं फैल पाता. नेटबंदी के पीछे सरकार के अपने तर्क हैं, लेकिन आमजन को खासी दिक्कत होती है. आइए जानते है इस बारे में क्या कहते हैं एक्सपर्ट...

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भर्ती परीक्षा के दौरान नेटबंदी से आम जनता परेशान, ढूंढना चाहिए दूसरा विकल्प
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Published : Oct 27, 2021, 10:37 PM IST

Updated : Oct 27, 2021, 10:59 PM IST

जयपुर. राजस्थान में जब भी कोई प्रतियोगी परीक्षा होती है तो प्रशासन की ओर से नेटबंद कर दिया जाता है. परीक्षा के दौरान नकल रोकने, पेपर लीक की घटनाओं और पेपर खरीदने और बेचने जैसी गतिविधियों को रोकने के लिए नोटबंदी की जाती है.

यदि कोई पेपर लीक होता है तो नेटबंदी से वह पूरे प्रदेश में नहीं फैल पाता है. यह कहना है पूर्व पुलिस अधिकारी राजेन्द्र सिंह शेखावत का. उन्होंने कहा कि कुछ लोग ही हैं जो इस तरह की घटनाओं में शामिल होते हैं. पहले से ही मॉनिटरिंग कर उन्हें रोका जा सकता है.

राजस्थान में नेटबंदी को लेकर एक्सपर्ट की राय

पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि पिछले दिनों प्रदेश में हुई रीट, पटवारी और बुधवार को हुई आरएएस परीक्षा के दौरान भी प्रशासन ने नेटबंद किया था. उन्होंने कहा कि नकल करने वाले, पेपर लीक करने वालों पर अंकुश लगाने के लिए ही सरकार नेटबंद करती है. पेपर लीक भी होता है तो नेटबंदी से पूरे प्रदेश में नहीं फेल पाएगा और उसे ऑल ओवर पेपर लीक नहीं माना जाएगा.

पढ़ें. CM पर्यटन समीक्षा : राजस्थान में कदम-कदम पर पुरा-सम्पदा..पर्यटन की करें मजबूत ब्रांडिंग

राजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि जो लोग इस तरह की घटनाओं में लिप्त होते हैं, पेपर आउट करते हैं, बेचते हैं, उनकी मॉनिटरिंग होनी चाहिए. जो लोग इस तरह की गतिविधियों में लिप्त रहे हैं, जिनके खिलाफ केस हैं उनकी हिस्ट्रीशीट खुलनी चाहिए उनके मोबाइल फोन सर्विलांस पर रखने चाहिए, ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके. उन्होंने कहा कि यह एक दो दिन का काम नहीं होता लंबे समय तक अपराधी इस तरह की गतिविधियों के लिए तैयारी करते हैं उसके बाद ही इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया जाता है.

राजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि सरकार को नियमित परीक्षा केंद्र बनाने चाहिए, जिनमें कैमरे लगे हो, मॉनिटरिंग की व्यवस्था हो. यह परीक्षा केंद्र 365 दिन चलते रहे और उन में परीक्षाएं होती रहे. कुल मिलाकर 200 लोग हैं और हर बार पेपर लीक और नकल जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. ये लोग घटना के बाद पकड़े जाते हैं, फिर जमानत पर छूट जाते हैं और जमानत पर छूटने के बाद इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते हैं.

पढ़ें. दीपावली सीजन में शहर में स्ट्रीट लाइट लगाना बड़ी चुनौती... जरूरत अधिक की पर निगम के पास हैं सिर्फ 50 फीसदी

उन्होंने कहा कि परीक्षा से पहले ही इस तरह के लोगों को पकड़कर घटनाओं को रोक सकते हैं. ताकि परीक्षा के दौरान प्रदेश में नेटबंदी न करनी पड़े. केस ऑफिसर स्कीम के तहत उनके मामलों को लिया जा सकता है और उनको जल्द सजा दिलाने की कार्रवाई की जा सकती है. यदि प्रशासन इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने वाले 200 लोगों पर समय रहते कार्रवाई करें तो आम जनता को नेटबंदी की परेशानी से निजात मिल सकता है.

उन्होंने कहा कि आज का युग डिजिटल युग है और सारे काम डिजिटल तरीके से ही किए जा रहे हैं. जब भी नेट बंद होता है तो आम जनता को भी इससे परेशानी का सामना करना पड़ता है. कोई व्यक्ति यदि हवाई जहाज और ट्रेन का टिकट बुक कर आता है तो वह ऑनलाइन ही कराता है. इसके अलावा सामान खरीदते समय भुगतान भी ऑनलाइन तरीके से करता है, बैंक ट्रांजेक्शन भी ऑनलाइन होते हैं. यह सारे काम आम आदमी के बंद हो जाते हैं और इन्हीं के कारण उसे परेशानी का सामना करना पड़ता है. एक तरह से नेट बंद होने से अर्थव्यवस्था पूरी तरह से जाम हो जाती है. सरकार को इसका कोई विकल्प ढूंढना चाहिए.

पढ़ें. सीएम गहलोत का हमला, कहा- पेगासस जांच के बाद मोदी सरकार की अलोकतांत्रिक गतिविधियां उजागर होंगी

राजस्थान शिक्षक संघ के अध्यक्ष महावीर सियाग ने कहा कि इंटरनेट बंद करने से प्रतियोगिता परीक्षाओं में नकल और पेपर लीक की घटनाएं नहीं रुक सकती. इंटरनेट बंद करने के बावजूद भी हाल ही में हुई रीट और पटवारी परीक्षा में इस तरह के मामले सामने आए हैं. सरकार को इसके लिए अलग से कुछ व्यवस्था करनी चाहिए. बार-बार इंटरनेट बंद करने से सरकार की ओर से की गई व्यवस्थाओं पर भी असर पड़ता है.

राजस्थान शिक्षक संघ अध्यक्ष महावीर सियाग

आम लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है. एक तरफ इंटरनेट बंद के दौरान परीक्षा होती है वहीं दूसरी तरफ परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थी भी इससे परेशान होते हैं. ऐसे सैकड़ों विद्यार्थी हैं जो इंटरनेट के जरिए ही अपनी पढ़ाई करते हैं. नेटबंदी से शिक्षा का काम पूरी तरह से ठप हो जाता है.

जयपुर. राजस्थान में जब भी कोई प्रतियोगी परीक्षा होती है तो प्रशासन की ओर से नेटबंद कर दिया जाता है. परीक्षा के दौरान नकल रोकने, पेपर लीक की घटनाओं और पेपर खरीदने और बेचने जैसी गतिविधियों को रोकने के लिए नोटबंदी की जाती है.

यदि कोई पेपर लीक होता है तो नेटबंदी से वह पूरे प्रदेश में नहीं फैल पाता है. यह कहना है पूर्व पुलिस अधिकारी राजेन्द्र सिंह शेखावत का. उन्होंने कहा कि कुछ लोग ही हैं जो इस तरह की घटनाओं में शामिल होते हैं. पहले से ही मॉनिटरिंग कर उन्हें रोका जा सकता है.

राजस्थान में नेटबंदी को लेकर एक्सपर्ट की राय

पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि पिछले दिनों प्रदेश में हुई रीट, पटवारी और बुधवार को हुई आरएएस परीक्षा के दौरान भी प्रशासन ने नेटबंद किया था. उन्होंने कहा कि नकल करने वाले, पेपर लीक करने वालों पर अंकुश लगाने के लिए ही सरकार नेटबंद करती है. पेपर लीक भी होता है तो नेटबंदी से पूरे प्रदेश में नहीं फेल पाएगा और उसे ऑल ओवर पेपर लीक नहीं माना जाएगा.

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राजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि जो लोग इस तरह की घटनाओं में लिप्त होते हैं, पेपर आउट करते हैं, बेचते हैं, उनकी मॉनिटरिंग होनी चाहिए. जो लोग इस तरह की गतिविधियों में लिप्त रहे हैं, जिनके खिलाफ केस हैं उनकी हिस्ट्रीशीट खुलनी चाहिए उनके मोबाइल फोन सर्विलांस पर रखने चाहिए, ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके. उन्होंने कहा कि यह एक दो दिन का काम नहीं होता लंबे समय तक अपराधी इस तरह की गतिविधियों के लिए तैयारी करते हैं उसके बाद ही इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया जाता है.

राजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि सरकार को नियमित परीक्षा केंद्र बनाने चाहिए, जिनमें कैमरे लगे हो, मॉनिटरिंग की व्यवस्था हो. यह परीक्षा केंद्र 365 दिन चलते रहे और उन में परीक्षाएं होती रहे. कुल मिलाकर 200 लोग हैं और हर बार पेपर लीक और नकल जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. ये लोग घटना के बाद पकड़े जाते हैं, फिर जमानत पर छूट जाते हैं और जमानत पर छूटने के बाद इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते हैं.

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उन्होंने कहा कि परीक्षा से पहले ही इस तरह के लोगों को पकड़कर घटनाओं को रोक सकते हैं. ताकि परीक्षा के दौरान प्रदेश में नेटबंदी न करनी पड़े. केस ऑफिसर स्कीम के तहत उनके मामलों को लिया जा सकता है और उनको जल्द सजा दिलाने की कार्रवाई की जा सकती है. यदि प्रशासन इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने वाले 200 लोगों पर समय रहते कार्रवाई करें तो आम जनता को नेटबंदी की परेशानी से निजात मिल सकता है.

उन्होंने कहा कि आज का युग डिजिटल युग है और सारे काम डिजिटल तरीके से ही किए जा रहे हैं. जब भी नेट बंद होता है तो आम जनता को भी इससे परेशानी का सामना करना पड़ता है. कोई व्यक्ति यदि हवाई जहाज और ट्रेन का टिकट बुक कर आता है तो वह ऑनलाइन ही कराता है. इसके अलावा सामान खरीदते समय भुगतान भी ऑनलाइन तरीके से करता है, बैंक ट्रांजेक्शन भी ऑनलाइन होते हैं. यह सारे काम आम आदमी के बंद हो जाते हैं और इन्हीं के कारण उसे परेशानी का सामना करना पड़ता है. एक तरह से नेट बंद होने से अर्थव्यवस्था पूरी तरह से जाम हो जाती है. सरकार को इसका कोई विकल्प ढूंढना चाहिए.

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राजस्थान शिक्षक संघ के अध्यक्ष महावीर सियाग ने कहा कि इंटरनेट बंद करने से प्रतियोगिता परीक्षाओं में नकल और पेपर लीक की घटनाएं नहीं रुक सकती. इंटरनेट बंद करने के बावजूद भी हाल ही में हुई रीट और पटवारी परीक्षा में इस तरह के मामले सामने आए हैं. सरकार को इसके लिए अलग से कुछ व्यवस्था करनी चाहिए. बार-बार इंटरनेट बंद करने से सरकार की ओर से की गई व्यवस्थाओं पर भी असर पड़ता है.

राजस्थान शिक्षक संघ अध्यक्ष महावीर सियाग

आम लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है. एक तरफ इंटरनेट बंद के दौरान परीक्षा होती है वहीं दूसरी तरफ परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थी भी इससे परेशान होते हैं. ऐसे सैकड़ों विद्यार्थी हैं जो इंटरनेट के जरिए ही अपनी पढ़ाई करते हैं. नेटबंदी से शिक्षा का काम पूरी तरह से ठप हो जाता है.

Last Updated : Oct 27, 2021, 10:59 PM IST
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