जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सांभर झील में प्रवासी पक्षियों की मौत और झील के हालात जानने के लिए हेड ऑफ फॉरेस्ट की अध्यक्षता में सात सदस्यीय विशेषज्ञ कमेटी का गठन किया है. अदालत ने कमेटी को कहा है कि वह 4 सप्ताह में अपनी सीलबंद रिपोर्ट अदालत में पेश करें.
वहीं अदालत ने झील के किनारे अस्थाई नर्सरी भी स्थापित करने को कहा है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश मामले में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए. इसके साथ ही अदालत ने मामले में स्टेट अथॉरिटी को भी बनाया है.
सुनवाई के दौरान न्याय मित्र सहित अन्य पक्षकारों की ओर से विशेषज्ञ कमेटी के सदस्यों के नाम सुझाए गए. वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि झील में विभिन्न काम कराने के लिए एक करोड़ 86 लाख रुपए स्वीकृत किए गए हैं.
प्रकरण स्टेट वेटलैंड अथॉरिटी को भी पक्षकार बनाया जाए
इस पर अदालत ने केंद्र सरकार को कहा कि यदि राज्य सरकार अतिरिक्त फंड के लिए उन्हें पत्र लिखे तो उस पर सहानुभूति पूर्वक विचार किया जाए. वहीं मामले में न्याय मित्र नितिन जैन ने कहा कि प्रकरण स्टेट वेटलैंड अथॉरिटी को भी पक्षकार बनाने की जरूरत है. इसके अलावा बीमार और घायल पक्षियों के इलाज के लिए कई किलोमीटर दूर नर्सरी है. जिसके चलते पक्षियों की इलाज के अभाव में मौत हो जाती है.
इस पर अदालत ने अथॉरिटी को पक्षकार बनाते हुए झील किनारे अस्थाई नर्सरी बनाने को कहा है. गौरतलब है कि झील में हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षियों की मौत होने पर हाईकोर्ट ने मामले में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया था.
यह होंगे एक्सपर्ट कमेटी में
हेड ऑफ फॉरेस्ट के अध्यक्षता में गठित कमेटी में उड़ीसा की चिल्का लेक डेवलपमेंट अथॉरिटी के पूर्व चेयरमैन डॉक्टर अजीत पटनायक, बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के वैज्ञानिक डॉ. पी सतिया सेल्वम और वन विभाग के पूर्व मुखिया आरएन मेहरोत्रा को विशेषज्ञ के तौर पर शामिल किया गया है. इसी के साथ डीसीएफ जयपुर, अतिरिक्त निदेशक उद्योग, सदस्य सचिव प्रदूषण नियंत्रण मंडल और अतिरिक्त निदेशक पशुपालन विभाग को सदस्य के तौर पर शामिल किया गया है.