जयपुर. नाहरगढ़ की पहाड़ियों के बीच बनाए गए बायोलॉजिकल पार्क ने पर्यटकों के बीच अपनी पहचान बनाई. वीकेंड में टूरिस्ट डेस्टिनेशन साबित होने के बाद राज्य सरकार ने नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के पास में ही एग्जॉटिक पार्क बनाने का फैसला लिया. करीब 2 करोड़ रुपए की लागत से पार्क का निर्माण भी कर दिया गया.
लेकिन डेढ़ साल गुजर जाने के बाद भी वन विभाग वन्यजीवों को यहां लाने में नाकाम साबित रहा. एग्जॉटिक पार्क में जेब्रा, जिराफ और शुतुरमुर्ग लाने थे. लेकिन वन विभाग अब तक हिप्पोपोटामस का जोड़ा ही लाने में कामयाब हो सका है. पार्क बनने से पहले ही एक शुतुरमुर्ग की मौत भी हो चुकी है. वहीं, वन विभाग अब तक जेब्रा और जिराफ नहीं ला पाया.
दरअसल, जेब्रा और जिराफ जैसे खूबसूरत और आकर्षक वन्यजीवों को अफ्रीका, थाईलैंड या अन्य किसी कंट्री से लाना प्रस्तावित है. लेकिन वन्यजीव खरीदने के लिए वन विभाग के पास बजट की कमी बताई जा रही है. हालांकि जेब्रा और जिराफ खरीद के लिए टेंडर भी कर दिया गया है. लेकिन बात बजट पर आकर अटक गई. टेंडर में जेब्रा के दो जोड़ों के लिए 47 लाख रुपये और जिराफ के जोड़े के लिए 1 करोड़ 30 लाख रुपये की दर आई है.
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बता दें कि इससे पहले भी देश के गिने-चुने बायोलॉजिकल पार्क में बाहर से ही यह वन्यजीव लाए गए हैं. लेकिन कुल मिलाकर करीब पौने दो करोड़ का बजट अब समस्या है. बजट की समस्या के चलते एग्जॉटिक पार्क में वन्यजीव नहीं आ पा रहे हैं. नाहरगढ़ जैविक उद्यान में 36 हेक्टेयर भूमि में एग्जॉटिक पार्क विकसित किया गया है. वन विभाग की मानें तो एग्जॉटिक पार्क में वन्यजीवों की खरीद को लेकर राज्य सरकार को पत्र लिखा गया है. ऐसे में अगर राज्य सरकार ध्यान देगी तो प्रदेश का पहला एग्जॉटिक पार्क पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होगा.