जयपुर. केंद्र की ओर से जारी की गई नई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक बड़े बदलाव किए गए हैं. इस नई शिक्षा नीति का कांग्रेस विरोध कर रही है. जयपुर पहुंचे कांग्रेस सेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालजी देसाई ने शिक्षा नीति पर ईटीवी भारत से खास बातचीत की.
इस दौरान लालजी देसाई ने कहा कि बिना किसी परामर्श, चर्चा और विचार विमर्श के नई शिक्षा नीति लागू की गई है. जिसमें ना तो समानता का प्रावधान है और ना ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का जिक्र किया गया है. उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से कराई जा रही नीट और जेईई की परीक्षा का भी ये उचित समय नहीं बताया.
'केंद्र सरकार गलत समय पर यह नीति लेकर आई है'
कांग्रेस सेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालजी देसाई ने कहा कि केंद्र सरकार गलत समय पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति लेकर आई है. शिक्षा नीति को रात के अंधेरे में लाने के बजाय छात्रों और शिक्षाविदों से विचार विमर्श कर लाई जानी चाहिए थी. नई शिक्षा नीति के तहत 6 फीसदी बजट का प्रावधान होना चाहिए था. उसकी बजाए फिलहाल 1.5 से 2 फीसदी बजट खर्च हो रहा है. ऐसे में दूसरे देशों से भारत के बच्चे कैसे कंपटीशन कर पाएंगे.
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देसाई ने कहा कि बिना चर्चा किए देश की इतिहास और संस्कृति से जुड़े पाठ्यक्रम में बदलाव किया जा रहा है. छात्रों के लिए शिक्षा का जो प्रावधान 18 वर्ष तक का होना चाहिए था, उसे घटाकर 14 वर्ष कर दिया गया है. ना तो 6 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए इस शिक्षा नीति में कोई प्रावधान किया गया और ना ही 14 साल से ज्यादा उम्र के छात्रों के बारे में सोचा गया.
'शिक्षा का निजीकरण कर बाजार बनाया जा रहा है'
लालजी देसाई ने नई शिक्षा नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि शिक्षा नीति में समानता के अधिकार को खत्म करते हुए जिसके पास पैसा है उसे शिक्षा और जिसके पास पैसा नहीं है उसे महज अक्षर ज्ञान मिलेगा. उन्होंने कहा कि कोई भी देश स्वास्थ्य, सुरक्षा और शिक्षा के बल पर ही आगे बढ़ सकता है, लेकिन देश में शिक्षा का निजीकरण कर बाजार बनाया जा रहा है.
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कांग्रेस सेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बताया कि गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में प्री प्राइमरी पर जितना फोकस किया जाना था, उसे बिल्कुल दरकिनार कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि जब तक 'चपरासी की बेटी हो या राष्ट्रपति का बेटा' सबको शिक्षा में एक समानता का अधिकार नहीं मिलेगा, तब तक शिक्षा नीति पर सवाल उठेंगे.
'यह छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ा है'
इस दौरान देश में नीट और जेईई एग्जाम को लेकर छिड़े विवाद को लेकर लाल जी देसाई ने कहा कि एक सर्वे में सामने आया है कि देश के 85 फीसदी छात्रों के पास मोबाइल इंटरनेट का कॉन्बिनेशन नहीं है. ऐसे में ये छात्र ऑनलाइन एजुकेशन से भी महरूम है. उस दौर में यदि छात्रों की नीट और जेईई का एग्जाम होता है, तो कितने प्रतिशत छात्र पास होंगे इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
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कोरोना काल में जहां ट्रांसपोर्टेशन और एजुकेशन पूरी तरह ठप है, ऐसे में छात्रों का एग्जाम कराया जाना भी उचित नहीं है. ये छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है.