जयपुर. देशभर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की जयंती मनाई जा रही है. आज के दिन सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी के विचारों पर चर्चा होती है लेकिन क्या वर्तमान में गांधी के विचारों को जीवन में अपनाया जा रहा है?. क्या राजनीतिक पार्टियां गांधी के बताए आदर्शों को अपनाते हुए उस पर चल रही हैं?. ऐसे कई सवाल हैं जो मन में उठते हैं. इन्हीं सवालों पर ईटीवी भारत से खास बातचीत की राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ वर्धा सेवा ग्राम में रहे चन्द्रगुप्त वार्ष्णेय की पौत्री और गांधी विचारक डॉ. दीपाली अग्रवाल ने. उन्होंने कहा कि वर्तमान में गांधी के नाम का राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.
दीपाली (Gandhi thinker Dr. Deepali Agarwal) ने कहा कि गांधी ने भगवा नही पहना लेकिन वो महात्मा कहलाए. गांधी को सिर्फ और सिर्फ ब्रांड बना दिया, जबकि वो तो जीवन जीने की कला है. उन्होंने कहा कि गांधी के विचारों की बात वे लोग करते हैं. जिन्होंने कभी गांधी को पढ़ा ही नहीं है. अगर गांधी के विचारों को पढ़ा होता तो आज देश के हालात कुछ और ही होते. महात्मा गांधी ने जिस स्वराज्य की कल्पना की थी, उससे विपरीत स्थिति हमारे देश की है. गांधी के स्वराज्य में कभी भी हिंसा, हठधर्मिता थी ही नहीं. उन्होंने कभी ऐसा सोचा नहीं था कि देश ऐसे मार्ग पर चला जाएगा, जहां आजाद रूप से अपने विचार रखने की अनुमति नहीं होगी.
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उन्होंने कहा कि कई बार ऐसा लगता है जैसे कि हमें आजादी बहुत सस्ते में मिल गई. इसलिए हमारी युवा पीढ़ी को इसका महत्व पता नहीं है. उसको समझ नहीं आ रहा है कि किन हालातों में देश को कितनी कुर्बानी और संघर्ष के बाद आजादी मिली है.
दीपाली ने कहा कि गांधी की बातें सब करते हैं, दो चार बातें जो सत्य अहिंसा और संयम की होती है. लेकिन ये वास्तविकता में कहीं दिखाई नहीं देती है. सभी जगह हिंसा फैली हुई है. राजनीति में सिर्फ 'राज' रह गया, जबकि 'नीति' खत्म हो चुकी है. किसी भी तरह से केवल राज चलना चाहिए केवल उसी पर बात होती है.
गांधी के विचारों को अपनाएं
डॉ. दीपाली कहती है गांधी के विचारों को अपनाएं. गांधी जी को एक ब्रांड बना दिया है, जबकि वह तो जीने की कला है. अगर गांधी को पढ़ेंगे तो वह एक कला है. दिपाली ने कहा कि ' जितना मैने अपने दादाजी स्वर्गीय चन्द्रगुप्त वार्ष्णेय जो वर्धा सेवाग्राम में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ रहे और उनके लेखन का कामकाज संभाल उनसे सीखा और गांधी के बारे में सुना है'. आज की परिस्थितियां देखें तो सब कुछ अलग नजर आता है.
बचपन से गांधी के प्रति रहा रुझान
दीपाली कहती हैं कि 'मैं दादा जी से गांधी के बारे में बचपन से सुनती रही हूं ऐसे में गांधी के प्रति मेरा रुझान रहा. मैंने गांधी के मार्ग को अपनाया और उसी पर चलती आ रही हूं'. गांधी जी ने कभी भगवा नहीं पहना लेकिन फिर भी वे संत और महात्मा कहलाए. ये अपने आप में बड़ी बात है. वर्तमान की राजनीति को देखें तो गांधी के विचारों पर कोई अनुसरण नहीं हो रहा है. गांधी के विचारों की तो हर जगह चर्चा होती है लेकिन राजनीति में कोई भी गांधी के विचारों का अनुसरण नहीं कर रहा है. गांधी को सिर्फ ब्रांड बना कर रख दिया. इन सब को देखकर कई बार तकलीफ होती है. वर्तमान में जो राजनीतिक हालात सामने हैं वो डरा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि गांधी कहते थे राजनीति में संयम रखना चाहिए. अगर कोई शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे हैं तो उनकी बात सुननी चाहिए. वार्ता के जरिये रास्ते निकाले जाएं. लेकिन आज सरकारें हठधर्मिता अपनाई हुई हैं. एक पक्ष अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए आंदोलन कर रहा है तो दूसरे पक्ष को संवाद करना चाहिए.
अहिंसा के मार्ग को अपना चाहिए
डॉ. दीपाली कहती हैं कि गांधी ने अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए कई तरह के आंदोलन किए और अपनी बातें मनवाई. अंग्रेजों को भी झुकने पर मजबूर किया लेकिन वर्तमान में स्थिति अलग हैं. हमारी सरकार है, हमारा हिंदुस्तान है फिर क्यों सरकार किसी भी आंदोलन पर बात नहीं करना चाहती है. क्यों वह उन विचारों को नहीं मानती है?. वर्तमान दौर को देखकर लगता है कि गांधी के विचारों से वर्तमान की परिस्थिति बिलकुल विपरीत है.
युवाओं को जागरूक करने की जरूरत
डॉ. दीपाली ने कहा कि मैं चाहती हूं कि आज की तारीख में नौजवान बच्चों में देश के प्रति लगाव की भावना हो. उन्हें गांधी के विचारों के बारे में पता हो लेकिन वर्तमान पीढ़ी को इसकी जानकारी नहीं है. स्वदेश प्रेम क्या है, किस तरह से देश को आजादी मिली इसके बारे में शिक्षक भी बच्चों को नहीं बता पा रहे हैं. अभिभावक अपने बच्चों को गांधी के विचारों के बारे में बताएं. जिससे उन्हें पता हो कि किन संघर्षों से देश को आजादी मिली है. नौजवान को हमारे देश के आजादी और इसे जुड़े सभी संघर्ष के बारे में पता होना चाहिए.