जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट प्रशासन ने आरजेएस भर्ती परीक्षा- 2018 का परिणाम मंगलवार को देर रात जारी कर दिया है. आरजेएस की प्री और मुख्य परीक्षा में सफल होने के बाद 499 अभ्यार्थियों ने साक्षात्कार दिया था. जिसमें से 197 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है.
इस भर्ती परीक्षा में जयपुर के मयंक प्रताप सिंह ने पहले स्थान पर बाजी मारी है तो वहीं जयपुर की ही तन्वी माथुर दूसरे स्थान पर रही. तन्वी विधानसभा सचिव प्रवीण कुमार माथुर की बेटी है. वहीं दीक्षा मदान ने तीसरा स्थान हासिल किया है तो चौथे स्थान पर जयपुर की ही सोनल व्यास ने जगह बनाई है.
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प्रथम रैंक हासिल करने वाले मयंक के माता-पिता शिक्षक हैं. मयंक शुरू से ही मेहनती रहा है. इसी का परिणाम है कि आरजेएस परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर मयंक ने अपने परिवार का नाम रोशन किया है. मयंक के पिता राजकुमार सिंह राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल संग्रामपुरा में हैडमास्टर और माता डॉ. मंजू सिंह राजकीय सेकंडरी स्कूल बालावास में वरिष्ठ अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं.
मयंक के लिए यह उपलब्धि इसलिए भी खास है कि उसके परिवार में लीगल फील्ड में जाने वाला वह पहला व्यक्ति है. मयंक ने इसी साल राजस्थान विश्वविद्यालय से फाइव ईयर लॉ उत्तीर्ण की है. मयंक का कहना है कि उसे यह तो लग रहा था कि सलेक्शन हो जाएगा, लेकिन प्रथम स्थान के बारे में तो कभी सोचा भी नहीं था. मयंक का कहना है कि रोजाना 5 से 7 घंटे की पढ़ाई ने उसको यह सफलता दिलाई है.
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परिणामों के मुताबिक छात्राओं ने एक बार फिर कमाल कर दिखाया है. पहले 10 स्थान में से 8 स्थानों पर छात्राओं का दबदबा रहा है. गौरतलब है कि आरजेएस मुख्य परीक्षा 2018 में सफल रहे अभ्यर्थियों के 9 नवंबर से इंटरव्यू शुरू हुए थे. वहीं गत 7 और 8 सितंबर को आयोजित मुख्य परीक्षा का परिणाम 16 अक्टूबर को जारी किया गया था. आरजेएस परीक्षा परिणाम में दूसरे स्थान पर रही तन्वी माथुर ने ईटीवी भारत के खास बातचीत में अपने अनुभवों को सांझा किया है.
गुलाबी नगरी की रहने वाली तन्वी माथुर ने बताया कि बचपन में वे स्कूल में फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता में न्याय देवी बनी थी और तीसरा मुकाम हासिल किया था. तब पता नहीं था कि लॉ होता क्या है लेकिन जब बड़ी हुई तब लॉ के बारे में पता चला और उन्होंने कहा समाज के लिए कुछ करने के लिए लॉ एक अच्छा कैरियर ऑप्शन है इसलिए आरजेएस की तैयारी की.
तन्वी ने बताया कि आरजेएस का सफर बड़ा मुश्किल रहा लेकिन आरजेएस बनने के लिए कड़ी मेहनत की. जिसका परिणाम उन्हों मिला है. बता दें कि तन्वी इस पद पर रहकर लोगों को लोक अदालत, आर्बिट्रेशन, कॉन्सिलशन के बारे में जागरूक करना चाहती है ताकि लोग अपने मामले वहां ले जा सके और कोर्ट में आने वाले सभी मामले कम हो सके. तन्वी ने जनता से अपील की है कि वे कानून के प्रति अपना विश्वास बनाए रखे.
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परिवार से लेकर दोस्तों तक मिला सपोर्ट
तन्वी ने बताया कि परिवार, दोस्त, फैकल्टी सहित सभी लोगों ने बहुत सपोर्ट किया है. तन्वी ने बताया कि कई बार मम्मी पापा अपने ऑफिस से छुट्टी लेकर मेरी पढ़ाई में मेरे साथ लग जाते थे. तन्वी ने बताया कि बेटी होना ही सबसे बड़ा उपहार है इसलिए कोई भी मां-बाप अपनी बेटी को आगे बढ़ने से ना रोके बल्कि उसकी मदद करें.