जयपुर. प्रदेश में विधानसभा चुनाव को अभी ढाई साल से अधिक का वक्त शेष है, लेकिन प्रदेश भाजपा में अभी से अगले सीएम के चेहरे के लिए जंग शुरू हो चुकी है. वसुंधरा राजे समर्थक इस मामले में मुखर होकर सार्वजनिक रूप से बयानबाजी कर रहे हैं, लेकिन इस बीच भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने ये साफ कर दिया कि पार्टी का नेता या चेहरा कौन होगा ये पार्टी आलाकमान तय करेगा.
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान सतीश पूनिया ने यह भी कहा कि उनका फोकस प्रदेश भाजपा को मजबूत करना है. ऐसे में उनके कामकाज से कौन खुश होगा और कौन नाराज, इसका उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता. मौजूदा सियासी घटनाक्रम के बीच पूनिया का यह बयान अपने आप में काफी बड़ा और महत्वपूर्ण माना जा रहा है, वो इसलिए क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थक लगातार मुखर होकर ये मांग करने लगे हैं कि वसुंधरा राजे को अगले मुख्यमंत्री के चेहरे रूप में प्रोजेक्ट किया जाए.
वहीं, गुटबाजी की ये आग अब जयपुर तक पहुंच चुकी है क्योंकि भाजपा विधायक कालीचरण सराफ ने भी अपने बयान में कहा था कि वसुंधरा राजे सर्वमान्य नेता है और रहेगी. उन्होंने यह भी कहा था कि अगला चुनाव भी राजे के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा. राजे समर्थकों की ओर से लगातार हो रही इस प्रकार की बयानबाजी को लेकर ईटीवी भारत भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से खास बातचीत की.
इस प्रकार के बयानों का कोई वजूद नहीं
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान सतीश पूनिया ने कहा कि इस प्रकार की चर्चा राजनीति में आम बात है. कोई किसी का समर्थक हो सकता है, लेकिन इन चर्चाओं पर विराम लगाने के लिए भारतीय जनता पार्टी आलाकमान और पार्लियामेंट बोर्ड है, जो किसी भी निर्णय के लिए सक्षम है.
हमारा मिशन 2023 में राजस्थान को कांग्रेस मुक्त बनाने का है
पूनिया ने कहा कि मैं कहूं या कोई और कहे, लेकिन इस प्रकार की बातों का फिलहाल कोई वजूद नहीं है. राजनीति में चर्चा कुछ भी होगी, कोई इसका समर्थन करेगा कोई विरोध करेगा लेकिन हम सब एक छाते के नीचे संगठन के नाते काम करते हैं और संगठन के नाते ही हमारी पहचान है. इसलिए स्वाभाविक तौर पर जब नेता के निर्णय की बात आती है तो पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व इसमें सक्षम है. अभी तो हमारा मिशन प्रदेश सरकार को उसकी 2 साल की विफलताओं को लेकर सदन में घेरने का है और साल 2023 में राजस्थान को कांग्रेस मुक्त बनाने का है.
पार्टी आलाकमान के संज्ञान में है पूरा मामला
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के अनुसार वसुंधरा राजे समर्थकों की ओर से जिस प्रकार के बयान सामने आ रहे हैं, उसका पूरा संज्ञान पार्टी आलाकमान और नेतृत्व को भी है. उन्होंने कहा कि आज सूचनाओं का संप्रेषण कई तरीके से होता है. पार्टी नेतृत्व का अपना स्वयं का भी इन जानकारियों को लेने का संगठनात्मक चैनल होता है. इसके जरिए सभी जानकारियां उन तक पहुंचती है. पूनिया के अनुसार यही कारण है कि इस विषय पर प्रदेश अध्यक्ष के नाते उन्हें बोलने की ज्यादा जरूरत नहीं है.
वसुंधरा की भूमिका पार्टी आलाकमान करेंगे तय
मौजूदा घटनाक्रम और सियासी उठापटक के बीच आने वाले 4 विधानसभा सीटों के उपचुनाव को लेकर जब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष से पूछा गया कि इन उपचुनाव में वसुंधरा राजे की क्या भूमिका रहेगी तो पूनिया ने साफ तौर पर कहा कि वसुंधरा पार्टी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और उनकी भूमिका के बारे में केंद्रीय नेतृत्व को तय करना है.
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वो किस भूमिका में कहां काम करें, एक राजनेता के तौर पर पूरे देश भर में और प्रदेश में जहां उनकी आवश्यकता रहेगी और जैसा उनका समय रहेगा उनका निश्चित उपयोग होगा. पूनिया ने कहा कि मैं पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष हूं और इस नाते प्रदेश में भाजपा संगठन कैसे मजबूत हो और किस तरह सत्तारूढ़ कांग्रेस का मुकाबला करें इस पर फोकस करता हूं.
कौन खुश होगा और कौन नाराज, मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान जब पूनिया से पूछा गया कि मौजूदा परिस्थितियों में जो खेमेबाजी और गुटबाजी प्रदेश भाजपा नेताओं में दिख रही है, उसका आने वाले उपचुनाव पर कितना फर्क पड़ेगा. इस पर पूनिया ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इसका कोई फर्क उपचुनाव में पड़ेगा.
पूनिया ने यह भी कहा कि पार्टी नेतृत्व ने मुझे प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है. अब मेरे काम से कौन खुश होगा और कौन नाराज होगा, मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि मेरा मकसद पार्टी और प्रदेश संगठन को मजबूत बनाना है ताकि साल 2023 में राजस्थान में बहुमत के साथ भाजपा का कमल खिल सके.
उपचुनाव के परिणाम विरोधियों को देंगे जवाब
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से जब पूछा गया कि जिस प्रकार का सियासी वातावरण राजस्थान में और प्रदेश भाजपा में चल रहा है, क्या आने वाले 4 सीटों पर उपचुनाव का परिणाम इस पर असर डालेगा और यदि पूर्व की तुलना में भाजपा के खाते में अतिरिक्त सीटें आती है तो क्या यह विरोधियों को जवाब होगा. इस पर पूनिया ने कहा कि बिल्कुल निश्चित तौर पर उपचुनाव के परिणाम जवाब के तौर पर ही होगा क्योंकि जिस तरह निकाय और पंचायत राज चुनाव के परिणाम आए और सत्तारूढ़ कांग्रेस को आइना दिखा. इसी तरह हम चाहेंगे कि 4 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में भाजपा ज्यादा से ज्यादा सीटें जीते.
भाजपा में आ रहे बयानों की तुलना कांग्रेस से ना करें
सतीश पूनिया ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान यह भी कहा कि जिस प्रकार की बयानबाजी प्रदेश भाजपा में हो रही है, उसकी तुलना कांग्रेस से करना भी गलत होगा. उन्होंने कहा कि बीजेपी एक अनुशासित पार्टी है, लेकिन कांग्रेस में सचिन पायलट और गहलोत के बीच जो कुछ हुआ वह सबके सामने है. पायलट को उपमुख्यमंत्री पद से और पीसीसी चीफ पद से तक हटा दिया गया, लेकिन भाजपा का कार्यकर्ता अनुशासित और एकजुट है.
कांग्रेस की खिसक गई सियासी जमीन
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान उप चुनाव से जुड़ी विधानसभा क्षेत्र राजसमंद में हाल ही में कांग्रेस नेताओं की ओर से की गई करीब 300 करोड़ की विकास की योजनाओं की घोषणा पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस और प्रदेश सरकार को पता है कि अब कांग्रेस की सियासी जमीन खिसक चुकी है. यही कारण है कि कांग्रेस ने इन विधानसभा सीटों पर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है और एक ही दिन में इतनी घोषणाएं कर दी गई जो कि चुनाव की तारीखों के एलान से पहले इस बात को दर्शाता है कि कांग्रेस उपचुनाव से पहले पूरी तरह घबराई हुई.
गौरतलब है कि हाल ही में कोटा में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थकों ने बैठक के कर सार्वजनिक रूप से कई बयान दिए थे, जिनमें वसुंधरा राजे को सर्वमान्य नेता बताते हुए अगले मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करने की मांग तक कर डाली थी. वहीं हाल ही में जयपुर से भाजपा विधायक कालीचरण सराफ में भी एक बयान के जरिए वसुंधरा राजे को ना केवल सर्वमान्य नेता बताया बल्कि यह तक कह दिया कि अगला चुनाव वसुंधरा राजे के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा. मतलब प्रदेश भाजपा में इन दिनों गुटबाजी व खेमेबाजी चरम पर है.