जयपुर. लंबे समय से पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की मांग कर रहे राज्य कर्मचारियों को गहलोत सरकार के चौथे बजट में बड़ी सौगात मिली है. अब प्रदेश में 1 जनवरी 2004 और उसके बाद नियुक्त सभी कर्मचारियों को नई पेंशन की जगह पुरानी पेंशन स्कीम (implementation of old pension scheme in the budget) का लाभ मिल सकेगा. वहीं जिन रिटायर्ड कर्मचारियों को करीब 2 से 3 लाख रुपये का नुकसान हो रहा था, उनकी भी पूरी पेंशन मिलने की राह खुल गई है. इस संबंध में मुख्यमंत्री ने ट्वीट (CM Gehlot tweet on old pension scheme) भी किया है.
वेतन कटौती का 2017 का फैसला लिया वापस
मुख्यमंत्री गहलोत ने कर्मचारियों को साधने के लिए उनकी लंबित मांग को इस बजट में शामिल करते हुए बड़ी राहत दी है. सरकार ने पेंशन को लेकर वेतन कटौती का 2017 का फैसला वापस लिया है.अब प्रदेश में 1 जनवरी 2004 के बाद नियुक्त हुए कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना का लाभ ले सकेंगे. हालांकि इससे सरकार पर 1000 करोड़ का अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ेगा.
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सीएम गहलोत का ट्वीट
सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट करते हुए कहा कि हम सभी जानते हैं कि सरकारी सेवाओं से जुड़े कर्मचारी भविष्य के प्रति सुरक्षित महसूस करें तभी वे सेवाकाल में सुशासन के लिए अपना अमूल्य योगदान दे सकते हैं. अतः 1 जनवरी 2004 और उसके पश्चात नियुक्त हुए समस्त कार्मिकों के लिए मैं आगामी वर्ष से पूर्व पेंशन योजना लागू करने की घोषणा करता हूं.
कर्मचारियों में खुशी की लहर
सीएम की इस घोषणा के बाद कर्मचारियों में भी खुशी की लहर दौड़ गई. राजस्थान राज्य कर्मचारी संघ प्रदेशाध्यक्ष राजेश पारीक ने बताया कि मुख्यमंत्री ने वर्षों से लंबित मांगों का निराकरण करते हुए बजट पेश किया है. न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारियों की एक बड़ी समस्या थी. उसे खत्म करते हुए ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की जो घोषणा की गई है उससे नए कर्मचारियों को भी लाभ मिलेगा. वहीं वेतन विसंगति की भी समस्या थी जिससे रिटायर्ड कर्मचारी को 2 से 3 लाख रुपए का नुकसान हो रहा था और नए कर्मचारियों के वेतन से भी कटौती हो रही थी. उस पर भी मुख्यमंत्री ने 2013 से हायर ग्रेड पे देकर समस्या का निराकरण किया है. इसके साथ ही कर्मचारियों के पदोन्नति को लेकर भी राज्य सरकार ने जो घोषणा की है उसका जल्द आदेश होने से कर्मचारियों को लाभ मिलेगा.
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2004 के पहले नियुक्त कर्मचारियों को मिलती थी फिक्स पेंशन
पुरानी पेंशन स्कीम के तहत 2004 से पहले सरकारी नौकरी ज्वाइन करने वालों को सेवानिवृत होने के बाद एक फिक्स पेंशन राशि का लाभ मिलता था, जो उनकी सर्विस के समय पर न होकर रिटायरमेंट के समय कर्मचारी की सैलरी पर तय होती थी. वहीं इस स्कीम के तहत रिटायर्ड कर्मचारी की मौत के बाद उसके परिवार वालों को भी पेंशन सुविधा का लाभ दिया जाता था. इसके अलावा पुरानी पेंशन योजना के तहत जीपीएफ की सुविधा, जीपीएफ निकासी (रिटायरमेंट के समय) पर आयकर में छूट, ग्रेच्युटी लाभ जैसी कई सुविधाएं दी जाती थीं.
वेतन से नहीं की जाती थी कटौती
पेंशन के लिए वेतन से किसी भी तरह की कटौती नहीं की जाती थी. इस स्कीम के तहत सरकारी कर्मचारी को हर 6 महीने बाद महंगाई भत्ता, जीपीएफ से लोन लेने की सुविधा मिलती थी और रिटायरमेंट के बाद मेडिकल भत्ता, रिटायरमेंट के बाद मेडिकल बिलों की प्रतिपूर्ति हो जाती थी.
नई पेंशन स्कीम कई नुकसान
नई पेंशन स्कीम के तहत 2004 से सरकारी नौकरी (सशस्त्र बलों को छोड़कर) ज्वाइन करने वालों के लिए सरकार 14% का अंशदान करती है और कर्मचारी की सैलरी से हर महीने 10 फीसदी कटौती कर भी अंशदान जोड़ा जाता है. इस स्कीम के तहत निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं होती है और ये पूरी तरह शेयर बाजार और बीमा कंपनियों पर निर्भर होती है. वहीं पारिवारिक पेंशन की सुविधा, जीपीएफ की सुविधा रिटायरमेंट के बाद मेडिकल भत्ता और मेडिकल बिलों की प्रतिपूर्ति भी नहीं होती.