जयपुर. हाथियों के संरक्षण के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए 12 अगस्त को विश्व हाथी दिवस मनाया जाता है. देश में हाथियों की संख्या लगातार कम हो रही है. हाथियों की दुर्दशा पर ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से विश्व हाथी दिवस पर हर साल कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
हाथियों को सुरक्षित और प्राकृतिक वातावरण देने के साथ ही उनके संरक्षण के लिए राजधानी जयपुर के आमेर में हाथी गांव बसाया गया था. विश्व प्रसिद्ध हाथी गांव में गुरुवार को वर्ल्ड एलीफेंट डे मनाया गया.
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विश्व हाथी दिवस के अवसर पर हाथी गांव में हाथियों ने केक काटकर इसे सेलिब्रेट किया. इस अवसर पर वन विभाग के अधिकारी, पशु चिकित्सक, हाथी पालक और एनजीओ संचालक भी मौजूद रहे. सभी ने हाथियों को फल खिलाएं. विश्व हाथी दिवस के अवसर पर हाथी गांव में पौधारोपण भी किया गया. पौधे लगाकर उनकी देखभाल की जिम्मेदारी भी तय की गई.
विश्व हाथी दिवस के अवसर पर हाथी पालकों की ओर से हाथियों के रहन-सहन और खान-पान समेत दिनचर्या की जानकारी भी दी गई. इसके साथ ही संदेश दिया गया कि वन्य जीव हमारी अनमोल धरोहर है. इनके संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्य करना चाहिए. वन्यजीव विलुप्त होते जा रहे हैं. इसके लिए हम सबको जागरूक होना पड़ेगा. तभी आने वाली पीढ़ी को वन्यजीव देखने को मिलेंगे.
वन्यजीव प्रेमी देवेंद्र सैनी के मुताबिक हाथियों की संख्या लगातार विलुप्त होती जा रही है. हाथियों का संरक्षण और संवर्धन जरूरी है. समाज में जागरुकता फैलाने के लिए एलीफेंट डे सेलिब्रेट किया गया है. हाथी प्राचीन काल से ही मानव के साथ रहा है. चाहे युद्ध की बात हो या अनुष्ठान की बात.
इसके साथ ही हाथियों के दांत से बने प्रोडक्ट या हाथी अंग का कोई भी अनलीगल प्रोडक्ट का व्यापार होता है, तो उसके प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है. वन्यजीव प्रेमियों के मुताबिक एशियाई और अफ्रीकी हाथियों के संरक्षण और संवर्धन के बारे में लोगों को जागरूक करने का काम किया जा रहा है. देशभर में हाथियों के संरक्षण के लिए जागरूकता अभियान भी चलाए जाते हैं.
अफ्रीकी हाथियों को सुरक्षित रूप से सूचीबद्ध किया गया है. एशियाई हाथियों को लुप्त प्राय के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. हाथियों को बचाने के लिए जयपुर में हाथी गांव बसाया गया था. देश-विदेश के पर्यटक हाथी सवारी का लुत्फ उठाने के लिए यहां पहुंचते हैं. देश का एकमात्र हाथी गांव आमेर के कुंडा में बसाया गया है. हाथी गांव में करीब 86 हाथी रहते हैं. सभी हाथियों के लिए स्थान बनाए गए हैं. हाथियों की पहचान के लिए प्रत्येक हाथी के कान के पास माइक्रोचिप लगाई जाती है, जिसमें हाथी का नाम और रजिस्ट्रेशन नंबर फीड होता है.
हाथी गांव विकास समिति के अध्यक्ष बल्लू खान ने बताया कि कोरोना से पूरा देश प्रभावित हुआ है. आमेर हाथी गांव में हाथी सवारी बंद होने से आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. लॉकडाउन के दौरान हाथी सवारी हाथी गांव में बंद रही. जिससे हाथियों का खर्च चलाना महावतों के लिए मुश्किल हो रहा है. हाथियों का खाना भी काफी महंगा पड़ रहा है. एक हाथी पर रोजाना करीब 2 हजार का खर्च आता है.
इंटरनेशनल फ्लाइट बंद होने की वजह से विदेशी सैलानी भी नहीं आ रहे हैं. जिसकी वजह से हाथी गांव में हाथी सवारी बंद पड़ी हुई है. हालांकि आमेर महल में हाथी सवारी शुरू कर दी गई है, लेकिन अभी पर्यटकों की कमी के चलते सभी हाथियों का रोटेशन में नंबर नहीं आ पाता है. क्षेत्रीय वन अधिकारी बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि एनजीओ के सहयोग से आमेर के हाथी गांव में एलीफेंट डे बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया है.
हाथियों से केक कटवाएं गए साथ ही उन्हें फल खिलाए गए. वन्य जीव जंगल को सुरक्षित रखते हैं इसके साथ ही लोगों की आजीविका का साधन भी बनते हैं. जिस तरह से आमेर के हाथी गांव में पर्यटक हाथी सवारी के लिए पहुंचते हैं. इससे कई लोगों को रोजगार मिलता है. इसी तरह लेपर्ड सफारी, लॉयन सफारी और नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क समेत तमाम जगह पर लोगों की आजीविका चलती है. वन्यजीवों से टूरिज्म जुड़ा हुआ है. जिस तरह से इंसान अपना जन्मदिन मनाते हैं उसी तरह वन्यजीवों के लिए भी दिन निर्धारित किया गया है, जिसको बड़े हर्षोल्लास से उत्सव के रूप में मनाते हैं.
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हाथी पालक आसिफ खान ने बताया कि अपने घर और परिवार की तरह हाथियों को प्रेम करते हैं. परिवार के सदस्यों के जन्मदिन की तरह ही हाथियों के साथ एलीफेंट डे सेलिब्रेट किया गया है. परिवार के सदस्यों की तरह ही हाथियों का पालन पोषण किया जाता है. इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होने से पूरे देश दुनिया में वन्यजीवो के प्रति अच्छा मैसेज जाता है.