जयपुर. डॉ. बी डी कल्ला ने रविवार को एक बयान जारी कर बताया कि छबड़ा की दोनों इकाइयों में तकनीकी कारणों से उत्पादन बंद हुआ था. अब इन तकनीकी खामियों को दुरूस्त कर दिया गया है. इसके साथ ही कोटा और सूरतगढ़ की विद्युत उत्पादन इकाइयां जो कि कोयला आपूर्ति के लिए कोल इंडिया पर निर्भर हैं. कोयले की पर्याप्त आपूर्ति की दिशा में भी केन्द्र सरकार के स्तर पर फालोअप करते हुए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.
पिछली भाजपा सरकार पर लगाया कु प्रबंधन का आरोप
डॉ. कल्ला ने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में बिजली की कमी के कारण उत्पन्न स्थितियां मुख्यतया गत सरकार के विद्युत कुप्रबंधन और उस समय ऊर्जा विभाग की उदासीन कार्यप्रणाली का नतीजा हैं. उन्होंने बताया कि पूर्ववर्ती सरकार के समय में ऊर्जा विभाग की ओर से प्रदेश में निर्माणाधीन छबड़ा और सूरतगढ़ सुपरक्रिटीकल (2 गुना 660 मेगावॉट प्रत्येक) की दो महत्वपूर्ण इकाइयों की समयबद्ध कमीशनिंग पर ध्यान नहीं दिया गया, इसकी वजह से इन इकाइयों के काम में अनावश्यक देरी हुई.
उन्होंने बताया कि छबड़ा और सूरतगढ़ की उक्त दो इकाइयों से साल 2016 में विद्युत उत्पादन प्रारंभ होना था, जो धीमी गति के कारण समय पर आरम्भ नहीं हो सका. केवल मात्र छबड़ा स्थित 660 मेगावॉट की एक इकाई का कार्य ही उस समय साल 2018 में जाकर शुरू हो सका.
हमारी सरकार सस्ती बिजली खरीद रही हैः ऊर्जा मंत्री
ऊर्जा मंत्री डॉ. बी डी कल्ला ने बताया कि वर्तमान सरकार के प्रयासों से ऊर्जा विभाग नें 1430 मेगावॉट की सौर ऊर्जा रु 2.50 प्रति यूनिट और 1070 मेगावॉट की सौर ऊर्जा रु 2.00 प्रति यूनिट और 1200 मेगावॉट पवन ऊर्जा रु. 2.77 प्रति यूनिट में अनुबन्ध किया गया है. इसके अतिरिक्त 1785 मेगावॉट सौर ऊर्जा की निविदा एस.ई.सी.आई के माध्यम से प्रक्रियाधीन है और आगामी 12 से 18 माह में विद्युत आपूर्ति प्राप्त हो जाएगी, जिससे आगे आने वाले दिनों में उपभोक्ताओं को उचित दर विद्युत आपूर्ति में सहायता होगी.
डॉ. कल्ला ने बताया कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में राजस्थान उत्पादन निगम की माली हालत को सुधारने के लिए भी युद्ध स्तर पर व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं. डिस्कॉम की ओर से भी सभी उत्पादन इकाइयों को समयबद्ध रूप से भुगतान का प्रयास किया जा रहा है और कोयला आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान कर विद्युत उत्पादन इकाएयों के लिए कोयले की सुचारू सप्लाई सुनिश्चित की गई है.