जयपुर. मुख्यमंत्री के दखल के बाद शिक्षा विभाग की ओर से उर्दू भाषा को नही पढ़ाने का आदेश वापस ले लिया गया है. शुक्रवार को अल्पसंख्यक जनप्रतिनिधियों का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिला और उर्दू भाषा को लेकर आ रही समस्याओं से उनको अवगत कराया. मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद शिक्षा विभाग ने अपने आदेश वापस ले लिए हैं. साथ ही अन्य भाषाओं के साथ उर्दू को शाला दर्पण पर भी दर्शाया जाएगा.
दरअसल शुक्रवार को मुस्लिम विधायक रफीक खान, अमीन कागजी, फतेहपुर से विधायक हाकम अली और मुस्लिम वक्फ बोर्ड के चेयरमैन खानू खान बुधवाली ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की और उन्हें बताया कि पिछले कई दिनों से मीडिया में उर्दू भाषा को लेकर खबरें प्रकाशित हो रही है. इसके अलावा उर्दू भाषा को स्कूलों में नही पढ़ाने का आदेश भी जारी किया हुआ है. इसके कारण अल्पसंख्यक समुदाय में खासा रोष है.
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मुस्लिम जनप्रतिनिधियो ने मांग की कि मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक समुदाय की मांगों की ओर तवज्जों दें. उनकी उर्दू से जुड़ी समस्याएं सुनकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आश्वासन दिया कि शिक्षा विभाग की ओर से उर्दू भाषा को लेकर 2 सितंबर और 5 सितंबर को जारी किया गया आदेश वापस ले लिया जाएगा. मुस्लिम जनप्रतिनिधियों के वापस लौटने के तुरंत बाद ही शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी किया. जिसमें 2 और 5 सितंबर को उर्दू भाषा को लेकर जो आदेश जारी किया गया था, उसे वापस ले लिया गया है. दूसरी ओर विधायक मुकेश भाकर अन्य मुस्लिम विधायकों की ओर से इस संबंध में लगातार मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखे गए.
खानू खान बुधवाली ने कहा दांडी यात्रा करने वाले शमशेर खान की चिंता मुख्यमंत्री को भी है. 15 सूत्री मांगों को लेकर भी मुख्यमंत्री की ओर से पूरा आश्वासन दिया गया है. मदरसा पैरा टीचरों के सवाल पर सीएम ने कहा कि कमेटी जल्द ही इस मामले में निर्णय करेगी. शिक्षा विभाग की ओर से आदेश वापस लेने की जानकारी शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने ट्विटर के जरिए दी. बता दें कि शिक्षा विभाग की ओर से 2 और 5 सितंबर को आदेश जारी किया गया था. जिसमें कक्षा 6 से 8 तक तृतीय भाषा के रूप में केवल संस्कृत को पढ़ाने के लिए ही कहा गया था. इसके अलावा उर्दू पंजाबी और सिंधी भाषा को तृतीय भाषा के रूप में खत्म कर दिया गया था.