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स्पेशल रिपोर्ट: बदलने लगी गांव की तस्वीर, अब शिक्षित हाथों में गांव की सरकार - jaipur news

प्रदेश में पहली बार गांव की सरकार की कमान ज्यादातर शिक्षित सरपंचों के हाथों में हैं. जनवरी में हुए राज्य के तीन चरणों में हुए चुनाव में 6 हजार 755 सरपंचों में से 6 हजार 554 सरपंच शिक्षित चुनकर आए. ग्राम पंचायत स्तर पर सरपंच को कई शक्तियां और अधिकार मिले हुए हैं, इसलिए गांव की सरकार चलानें में सरपंचों की अहम भूमिका होती है. ऐसे में यदि ये पढ़े लिखे सरपंच के होने से ना केवल अफसर शाही की मनमानी पर अंकुश लगेगा, बल्कि अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति को सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा. देखिये ये खास रिपोर्ट....

Educated Sarpanch, Panchayat elections
शिक्षित सरपंचों के हाथों में गांव की सरकार
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Published : Feb 19, 2020, 1:54 PM IST

जयपुर. राजस्थान में हाल ही हुए तीन चरणों में पंचायती राज चुनाव में 6 हजार 755 सरपंचों में से 6 हजार 554 सरपंच शिक्षित चुनकर आए. जिसके बाद ऐसा पहली बार हुआ है. जहां प्रदेश में गांव की सरकार की कमान ज्यादातर शिक्षित सरपंचों के हाथों में है. हालांकि इसमें से महज 201 सरपंच अंगूठा छाप सरपंच भी हैं.

गहलोत सरकार ने सत्ता में आते ही पंचायती राज चुनाव में शैक्षणिक बाध्यता हटा दी थी. पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार ने पंचायत राज चुनाव में आठवीं पास होने की शैक्षणिक बाध्यता लगाई थी. वसुंधरा सरकार का तर्क था कि पढ़े-लिखे सरपंच गांव का विकास बेहतर ढंग से कर सकेंगे, बल्कि योजनाओं की क्रियान्विति को जमीनी धरातल पर उतार सकेंगे, लेकिन सत्ता परिवर्तन के गहलोत सरकार ने इस निर्णय को बदल दिया. गहलोत सरकार की दलील शैक्षणिक योग्यता के आधार पर किसी को चुनाव लड़ने से वंचित नहीं किया जा सकता.

शिक्षित सरपंचों के हाथों में गांव की सरकार

इन दोनों सरकारों के तर्क-वितर्क के बीच के राज्य के मतदाताओं ने अपने विवेक से काम लेते हुए पढ़े-लिखे सरपंचों को ही वोट दिया. यही वजह है कि जनवरी में हुए राज्य के तीन चरणों में हुए चुनाव में 6 हजार 755 सरपंचों में से 6 हजार 554 सरपंच शिक्षित चुनकर आये, इसमें महज 201 सरपंच ही अशिक्षित हैं. मतलब साफ था की मतदाताओं ने शिक्षित उम्मीदवार पर भरोसा किया, इसके साथ ही सरपंच किसी अधिकारों के हाथों की कठपुतली बनकर ही नहीं रहेंगे. इनकी शक्तियों का दुरुपयोग भी नहीं होगा. ग्रामीण विकास विकास की धुरी व कार्यपालिका की असली ताकत सरपंच है. यदि सरपंच ही अनपढ़ होगा तो उसे अधिकारों और शक्तियों का ज्ञान ही नहीं होगा.

पढ़ें: पंचायतीराज संस्थाओं को सशक्त बनाने के लिए कमेटी का गठन, डिप्टी CM की अध्यक्षता में 6 मंत्री भी हुए शामिल

आईए जानते है नव निर्वाचित सरपंच की योग्यता पर
तीन चरणों में हुए चुनाव में 6 हजार 755 सरपंच जीते
इनमें से 6 हजार 554 सरपंच शिक्षित चुनकर आये
इसमें महज 201 सरपंच अशिक्षित
शिक्षित सरपंच - 2351
पांचवी पास सरपंच - 501
आठवीं पास सरपंच - 819
दसवीं पास सरपंच - 922
12वीं पास सरपंच - 753
बीए पास सरपंच - 786
एमए पास सरपंच - 282
प्रोफेशनल सरपंच - 158
पीएचडी धारी सरपंच - 1

उदयपुर में सबसे ज्यादा पढ़े लिखे सरपंच, अजमेर में सबसे कम
राज्य में हाल ही ग्राम पंचायत के चुनाव तीन चरणों में संपन्न हुए हैं. प्रथम चरण में 2726 सरपंच निर्वाचित हुए हैं, जबकि दूसरे चरण में 2332 सरपंच निर्वाचित हुए. तीसरे चरण में 1697 सरपंच निर्वाचित हुए. ग्राम पंचायत के दूसरे चरण में उदयपुर जिले में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे 224 सरपंच निर्वाचित हुए हैं, जबकि अजमेर जिले में 13 सरपंच ही पढ़े लिखे हैं. ग्राम पंचायत चुनाव के तीसरे चरण में पाली जिले में सबसे ज्यादा 116 सरपंच पढ़े-लिखे निर्वाचित हुए हैं, सबसे कम 33 सरपंच अजमेर जिले में निर्वाचित हुए हैं. प्रथम चरण में एक सरपंच पीएचडी होल्डर है.

पढ़ें: Special : पूरी पंचायत को करेंगे कचरा मुक्त.....पदभार ग्रहण करने से पहले सरपंच का स्वच्छता संकल्प

अफसरों की मनमानी पर लगेगा अंकुश
पढ़े-लिखे सरपंच निर्वाचित होने से अफसरों की मनमानी पर अंकुश लगेगा. किसी के हाथ की कठपुतली नहीं बनेंगे. जो व्यक्ति अंतिम पायदान पर है उसे सर्वोच्च प्राथमिकता मिलेगी. अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति को यह महसूस हो सकेगा. सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं का लाभ उसे मिल रहा है. सरपंच को योजनाओं के ऑनलाइन अपडेशन से लेकर ऑनलाइन ही लाभार्थियों को पेमेंट करना होता है, विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों और निर्माण कार्यों के ठेकेदारों को सरपंच के हस्ताक्षर के बाद ही पैसा जारी होता है.

जयपुर. राजस्थान में हाल ही हुए तीन चरणों में पंचायती राज चुनाव में 6 हजार 755 सरपंचों में से 6 हजार 554 सरपंच शिक्षित चुनकर आए. जिसके बाद ऐसा पहली बार हुआ है. जहां प्रदेश में गांव की सरकार की कमान ज्यादातर शिक्षित सरपंचों के हाथों में है. हालांकि इसमें से महज 201 सरपंच अंगूठा छाप सरपंच भी हैं.

गहलोत सरकार ने सत्ता में आते ही पंचायती राज चुनाव में शैक्षणिक बाध्यता हटा दी थी. पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार ने पंचायत राज चुनाव में आठवीं पास होने की शैक्षणिक बाध्यता लगाई थी. वसुंधरा सरकार का तर्क था कि पढ़े-लिखे सरपंच गांव का विकास बेहतर ढंग से कर सकेंगे, बल्कि योजनाओं की क्रियान्विति को जमीनी धरातल पर उतार सकेंगे, लेकिन सत्ता परिवर्तन के गहलोत सरकार ने इस निर्णय को बदल दिया. गहलोत सरकार की दलील शैक्षणिक योग्यता के आधार पर किसी को चुनाव लड़ने से वंचित नहीं किया जा सकता.

शिक्षित सरपंचों के हाथों में गांव की सरकार

इन दोनों सरकारों के तर्क-वितर्क के बीच के राज्य के मतदाताओं ने अपने विवेक से काम लेते हुए पढ़े-लिखे सरपंचों को ही वोट दिया. यही वजह है कि जनवरी में हुए राज्य के तीन चरणों में हुए चुनाव में 6 हजार 755 सरपंचों में से 6 हजार 554 सरपंच शिक्षित चुनकर आये, इसमें महज 201 सरपंच ही अशिक्षित हैं. मतलब साफ था की मतदाताओं ने शिक्षित उम्मीदवार पर भरोसा किया, इसके साथ ही सरपंच किसी अधिकारों के हाथों की कठपुतली बनकर ही नहीं रहेंगे. इनकी शक्तियों का दुरुपयोग भी नहीं होगा. ग्रामीण विकास विकास की धुरी व कार्यपालिका की असली ताकत सरपंच है. यदि सरपंच ही अनपढ़ होगा तो उसे अधिकारों और शक्तियों का ज्ञान ही नहीं होगा.

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आईए जानते है नव निर्वाचित सरपंच की योग्यता पर
तीन चरणों में हुए चुनाव में 6 हजार 755 सरपंच जीते
इनमें से 6 हजार 554 सरपंच शिक्षित चुनकर आये
इसमें महज 201 सरपंच अशिक्षित
शिक्षित सरपंच - 2351
पांचवी पास सरपंच - 501
आठवीं पास सरपंच - 819
दसवीं पास सरपंच - 922
12वीं पास सरपंच - 753
बीए पास सरपंच - 786
एमए पास सरपंच - 282
प्रोफेशनल सरपंच - 158
पीएचडी धारी सरपंच - 1

उदयपुर में सबसे ज्यादा पढ़े लिखे सरपंच, अजमेर में सबसे कम
राज्य में हाल ही ग्राम पंचायत के चुनाव तीन चरणों में संपन्न हुए हैं. प्रथम चरण में 2726 सरपंच निर्वाचित हुए हैं, जबकि दूसरे चरण में 2332 सरपंच निर्वाचित हुए. तीसरे चरण में 1697 सरपंच निर्वाचित हुए. ग्राम पंचायत के दूसरे चरण में उदयपुर जिले में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे 224 सरपंच निर्वाचित हुए हैं, जबकि अजमेर जिले में 13 सरपंच ही पढ़े लिखे हैं. ग्राम पंचायत चुनाव के तीसरे चरण में पाली जिले में सबसे ज्यादा 116 सरपंच पढ़े-लिखे निर्वाचित हुए हैं, सबसे कम 33 सरपंच अजमेर जिले में निर्वाचित हुए हैं. प्रथम चरण में एक सरपंच पीएचडी होल्डर है.

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अफसरों की मनमानी पर लगेगा अंकुश
पढ़े-लिखे सरपंच निर्वाचित होने से अफसरों की मनमानी पर अंकुश लगेगा. किसी के हाथ की कठपुतली नहीं बनेंगे. जो व्यक्ति अंतिम पायदान पर है उसे सर्वोच्च प्राथमिकता मिलेगी. अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति को यह महसूस हो सकेगा. सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं का लाभ उसे मिल रहा है. सरपंच को योजनाओं के ऑनलाइन अपडेशन से लेकर ऑनलाइन ही लाभार्थियों को पेमेंट करना होता है, विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों और निर्माण कार्यों के ठेकेदारों को सरपंच के हस्ताक्षर के बाद ही पैसा जारी होता है.

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