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आसानी से मिलेगा अब राम मंदिर के लिए पत्थर, बंशी पहाड़पुर सैंड स्टोन खनन प्लॉटों की ई-ऑक्शन प्रक्रिया शुरु - राजस्थान न्यूज

बंशी पहाड़पुर के सैंड स्टोन खनन प्लॉटों की ई-ऑक्शन प्रक्रिया (E-auction of pink and red stone) शुरु हो गई है. ऑक्शन प्रक्रिया शुरू होने से राम मंदिर (Ram Mandir) निर्माण के लिए अब आसानी से गुलाबी और लाल पत्थर मिल सकेगा.

Bansi Paharpur, Jaipur news
बंशी पहाड़पुर सैंड स्टोन की ऑक्शन
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Published : Oct 28, 2021, 3:51 PM IST

जयपुर. माइंस विभाग ने बंशी पहाड़पुर क्षेत्र में 39 खनन प्लॉटों की ई नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी है. 135.94 हेक्टेयर क्षेत्र के 30 खनन प्लाटों की ई नीलामी 10 नवंबर से आरंभ होकर 24 नवंबर तक चलेगी. वहीं 94.70 हैक्टेयर क्षेत्र के 9 खनन प्लॉटों की नीलामी 25 नवंबर से आरंभ होकर 3 दिसंबर तक चलेगी.

नीलामी की यह प्रक्रिया भारत सरकार के ई नीलामी पोर्टल एमएसटीसी के माध्यम से की जा रही है. बता दें कि अयोध्या के राम मंदिर में बंसी पहाड़पुर के 4 लाख पत्थरों का इस्तेमाल होगा. दरअसल बंसी पहाड़पुर के वन्य जीव अभ्यारण क्षेत्र में होने के चलते इसका खनन रुक गया था. जिसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रयासों से इसी साल मार्च में बंशी पहाड़पुर खनन क्षेत्र ब्लॉक ए व बी सुखासिला और कोट क्षेत्र को बंध बारेठा वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र से बाहर करवाया गया. जून में केन्द्र सरकार के वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने भरतपुर के बंशी पहाड़पुर में खनिज सैंड स्टोन के खनन के लिए वन भूमि के डायवर्जन की प्रथम स्तरीय स्वीकृति जारी कराई गई.

यह भी पढ़ें. भरतपुर के गुलाबी पत्थर को केंद्र सरकार ने दी हरी झंडी, अयोध्या में राम मंदिर के लिए जा सकेगा पत्थर

भारत सरकार की स्वीकृति के साथ ही बंशी पहाड़पुर में खनन ब्लॉक तैयार कर इनके ऑक्शन की राह प्रशस्त हो गई. एसीएस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि बंशी पहाड़पुर क्षेत्र के 120 हेक्टेयर खनन क्षेत्र को राज्य सरकार के उपक्रम राजस्थान राज्य खान एवं खनिज लिमिटेड के लिए आरक्षित किया गया है. वहीं 230.64 हेक्टेयर क्षेत्र में 39 खनन प्लॉट विकसित कर ई नीलामी की जा रही है. बंशी पहाड़पुर क्षेत्र में खनन पट्टे जारी होने से जहां एक ओर अवैध खनन पर प्रभारी रोक लग सकेगी. दूसरी ओर अवैध खनन के कारण आए दिन होने वाली अवैधानिक गतिविधियां पर रोक लगेगा. साथ ही स्थानीय प्रशासन के सामने आए दिन आने वाली कानून व्यवस्था की समस्या का समाधान हो सकेगा.

यह भी पढ़ें. राम मंदिर निर्माण होगा तेज, भरतपुर में बलुआ पत्थर खनन को केंद्र की मंजूरी

200 से 300 करोड़ के राजस्व मिलने की संभावना

सुबोध अग्रवाल ने बताया कि इस क्षेत्र में वैध खनन गतिविधियां आरंभ होने से एक मोटे अनुमान के अनुसार 10 हजार लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा. खनिज उद्योग क्षेत्र में निवेश आएगा और खनिज उद्योगों की स्थापना हो सकेगी बंशी पहाड़पुर में ई-ऑक्शन से खनन पट्टे जारी होने पर राज्य सरकार को करीब 200 से 300 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होने की संभावना है.

बंशी पहाड़पुर के 135.94 हेक्टेयर क्षेत्र के 30 खनन प्लाटों के लिए 22 अक्टूबर को ई नीलामी विज्ञप्ति जारी कर दी है. वहीं 94.70 हेक्टेयर क्षेत्र के 9 खनन प्लॉटों की ई-नीलामी की 27 अक्टूबर को ई-नीलामी विज्ञप्ति जारी कर दी है.

संसद, लाल किला और इस्कॉन मंदिरों में इस पत्थर का इस्तेमाल

बंसी पहाड़पुर का गुलाबी और लाल पत्थर देश ही नहीं विदेश में भी काफी प्रसिद्ध है. इस पत्थर का इस्तेमाल अयोध्या के राम मंदिर में तो किया ही जा रहा है. इससे पहले अक्षरधाम मंदिरों, देश की संसद, लाल किला, इस्कॉन मंदिरों के साथ ही राजस्थान की विधानसभा और राजस्थान के कई मंदिरों और स्थानों में इस पत्थर का इस्तेमाल हुआ है. राम मंदिर के ढांचे में बंसी पहाड़पुर के पत्थर का इस्तेमाल हो रहा है. जिसमें करीब चार लाख पत्थरों का इस्तेमाल होगा. इसके साथ ही मंदिर परिसर में संग्रहालय, शोध केंद्र और गौशाला भी इसी पत्थर से बनेगी. अब ऑक्शन के बाद राम मंदिर की भव्यता में चार चांद लगाने वाले इस पत्थर की वैध तरीके से आपूर्ति हो सकेगी.

जयपुर. माइंस विभाग ने बंशी पहाड़पुर क्षेत्र में 39 खनन प्लॉटों की ई नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी है. 135.94 हेक्टेयर क्षेत्र के 30 खनन प्लाटों की ई नीलामी 10 नवंबर से आरंभ होकर 24 नवंबर तक चलेगी. वहीं 94.70 हैक्टेयर क्षेत्र के 9 खनन प्लॉटों की नीलामी 25 नवंबर से आरंभ होकर 3 दिसंबर तक चलेगी.

नीलामी की यह प्रक्रिया भारत सरकार के ई नीलामी पोर्टल एमएसटीसी के माध्यम से की जा रही है. बता दें कि अयोध्या के राम मंदिर में बंसी पहाड़पुर के 4 लाख पत्थरों का इस्तेमाल होगा. दरअसल बंसी पहाड़पुर के वन्य जीव अभ्यारण क्षेत्र में होने के चलते इसका खनन रुक गया था. जिसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रयासों से इसी साल मार्च में बंशी पहाड़पुर खनन क्षेत्र ब्लॉक ए व बी सुखासिला और कोट क्षेत्र को बंध बारेठा वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र से बाहर करवाया गया. जून में केन्द्र सरकार के वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने भरतपुर के बंशी पहाड़पुर में खनिज सैंड स्टोन के खनन के लिए वन भूमि के डायवर्जन की प्रथम स्तरीय स्वीकृति जारी कराई गई.

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भारत सरकार की स्वीकृति के साथ ही बंशी पहाड़पुर में खनन ब्लॉक तैयार कर इनके ऑक्शन की राह प्रशस्त हो गई. एसीएस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि बंशी पहाड़पुर क्षेत्र के 120 हेक्टेयर खनन क्षेत्र को राज्य सरकार के उपक्रम राजस्थान राज्य खान एवं खनिज लिमिटेड के लिए आरक्षित किया गया है. वहीं 230.64 हेक्टेयर क्षेत्र में 39 खनन प्लॉट विकसित कर ई नीलामी की जा रही है. बंशी पहाड़पुर क्षेत्र में खनन पट्टे जारी होने से जहां एक ओर अवैध खनन पर प्रभारी रोक लग सकेगी. दूसरी ओर अवैध खनन के कारण आए दिन होने वाली अवैधानिक गतिविधियां पर रोक लगेगा. साथ ही स्थानीय प्रशासन के सामने आए दिन आने वाली कानून व्यवस्था की समस्या का समाधान हो सकेगा.

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200 से 300 करोड़ के राजस्व मिलने की संभावना

सुबोध अग्रवाल ने बताया कि इस क्षेत्र में वैध खनन गतिविधियां आरंभ होने से एक मोटे अनुमान के अनुसार 10 हजार लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा. खनिज उद्योग क्षेत्र में निवेश आएगा और खनिज उद्योगों की स्थापना हो सकेगी बंशी पहाड़पुर में ई-ऑक्शन से खनन पट्टे जारी होने पर राज्य सरकार को करीब 200 से 300 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होने की संभावना है.

बंशी पहाड़पुर के 135.94 हेक्टेयर क्षेत्र के 30 खनन प्लाटों के लिए 22 अक्टूबर को ई नीलामी विज्ञप्ति जारी कर दी है. वहीं 94.70 हेक्टेयर क्षेत्र के 9 खनन प्लॉटों की ई-नीलामी की 27 अक्टूबर को ई-नीलामी विज्ञप्ति जारी कर दी है.

संसद, लाल किला और इस्कॉन मंदिरों में इस पत्थर का इस्तेमाल

बंसी पहाड़पुर का गुलाबी और लाल पत्थर देश ही नहीं विदेश में भी काफी प्रसिद्ध है. इस पत्थर का इस्तेमाल अयोध्या के राम मंदिर में तो किया ही जा रहा है. इससे पहले अक्षरधाम मंदिरों, देश की संसद, लाल किला, इस्कॉन मंदिरों के साथ ही राजस्थान की विधानसभा और राजस्थान के कई मंदिरों और स्थानों में इस पत्थर का इस्तेमाल हुआ है. राम मंदिर के ढांचे में बंसी पहाड़पुर के पत्थर का इस्तेमाल हो रहा है. जिसमें करीब चार लाख पत्थरों का इस्तेमाल होगा. इसके साथ ही मंदिर परिसर में संग्रहालय, शोध केंद्र और गौशाला भी इसी पत्थर से बनेगी. अब ऑक्शन के बाद राम मंदिर की भव्यता में चार चांद लगाने वाले इस पत्थर की वैध तरीके से आपूर्ति हो सकेगी.

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