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कोरोना संकट के बीच आर्थिक संकट...JCTSL के 800 चालकों और परिचालकों को 3 महीने से नहीं मिला वेतन

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Published : Jun 28, 2020, 6:05 PM IST

कोरोना संकट के बीच जेसीटीएसएल के कर्मचारियों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. शहर में लो फ्लोर बसें चलाने वाले करीब 800 चालक परिचालकों को मार्च के बाद से सैलरी नहीं मिली है. ऐसे में इन कर्मचारियों के सामने अब अपने घर का खर्चा चलाना भी मुश्किल हो गया है.

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कोरोना संकट के बीच आर्थिक संकट

जयपुर. राजधानी की सिटी ट्रांसपोर्ट सेवा लो-फ्लोर बसों का 21 मार्च की रात से संचालन बंद है. कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लगाए गए लॉकडाउन के खत्म होने के बाद भी अब तक इस सेवा को शुरू नहीं किया गया है. ऐसे में जहां एक ओर राहगीरों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो वहीं खुद लो फ्लोर बस चलाने वाले चालक और परिचालक भी परेशान हैं.

कोरोना संकट के बीच आर्थिक संकट

दरअसल, जेसीटीएसएल का रेवेन्यू सोर्स बसों में यात्रियों से मिलने वाला पैसा ही है. ऐसे में जब बसों के पहिए थमे हुए हैं तो जेसीटीएसएल रेवेन्यू भी जनरेट नहीं कर पा रहा. यही वजह है कि बीते 3 महीने से जेसीटीएसएल के 201 चालक और 599 परिचालकों को वेतन का भुगतान नहीं किया गया.

यह भी पढ़ें : शिवपुरी से कोटा तक जल्द बनेगा 280 किमी लंबा चंबल एक्सप्रेस-वे : नितिन गडकरी

जेसीटीएसएल कर्मचारी सुनील ने बताया कि कर्मचारियों के आर्थिक हालात बेहद खराब है. मार्च महीने में केवल 30 परसेंट सैलरी दी गई और उसके बाद अप्रैल और मई बीत गया. जून भी लगभग खत्म हो चुका है, लेकिन वेतन का भुगतान नहीं किया गया है. इस संबंध में जब प्रशासन को अवगत कराया जाता है तो वो आईटीआईडी फंड से वेतन देने की अनुमति लेने का आश्वासन देकर टाल देते हैं.

'सरकार से मिले लोन से कर्मचारियों को दिया वेतन'

जेसीटीएसएल ओएसडी वीरेंद्र वर्मा ने बताया कि जेसीटीएसएल के रेवेन्यू का जरिया बसों का संचालन ही है. कोरोना के चलते बस नहीं चलीं तो रेवेन्यू भी नहीं आया. ऐसे में कर्मचारियों को भुगतान कर नहीं पाए हैं. फिर भी सरकार की तरफ से जब ढाई करोड़ रुपए का लोन मिला तो उससे मार्च की सैलरी का भुगतान किया गया है.

उन्होंने बताया कि सरकार से फंड की मांग की गई है. सरकार ने आरटीआईडीएफ से पैसा जरूर दिया है, लेकिन वो गैर संवेतन मद में प्राप्त होता है. ऐसे में ट्रेजरी के सामने भी टेक्निकल प्रॉब्लम आ गई है. अब सरकार से अनुमति मांगी गई है कि इस पैसे को अस्थाई रूप से चालक-परिचालक की सैलरी के रूप में काम में ले सकें.

यह भी पढ़ें : जोधपुर सेंट्रल जेल में अब कैदी तैयार कर रहे मसाले, कुछ समय बाद बाजारों में भी होगी बिक्री

वीरेंद्र वर्मा ने कहा कि इस संबंध में हाल ही में मुख्य सचिव के साथ हुई वार्ता में भी आरटीआईडीएफ से मिलने वाले पैसे को वेतन के रूप में भुगतान करने पर चर्चा की गई थी. हालांकि अभी मीटिंग के मिनट्स प्राप्त नहीं हुए हैं. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि जल्द चालक और परिचालकों के वेतन को लेकर प्रशासनिक स्तर पर कोई अहम फैसला लिया जाएगा.

जयपुर. राजधानी की सिटी ट्रांसपोर्ट सेवा लो-फ्लोर बसों का 21 मार्च की रात से संचालन बंद है. कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लगाए गए लॉकडाउन के खत्म होने के बाद भी अब तक इस सेवा को शुरू नहीं किया गया है. ऐसे में जहां एक ओर राहगीरों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो वहीं खुद लो फ्लोर बस चलाने वाले चालक और परिचालक भी परेशान हैं.

कोरोना संकट के बीच आर्थिक संकट

दरअसल, जेसीटीएसएल का रेवेन्यू सोर्स बसों में यात्रियों से मिलने वाला पैसा ही है. ऐसे में जब बसों के पहिए थमे हुए हैं तो जेसीटीएसएल रेवेन्यू भी जनरेट नहीं कर पा रहा. यही वजह है कि बीते 3 महीने से जेसीटीएसएल के 201 चालक और 599 परिचालकों को वेतन का भुगतान नहीं किया गया.

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जेसीटीएसएल कर्मचारी सुनील ने बताया कि कर्मचारियों के आर्थिक हालात बेहद खराब है. मार्च महीने में केवल 30 परसेंट सैलरी दी गई और उसके बाद अप्रैल और मई बीत गया. जून भी लगभग खत्म हो चुका है, लेकिन वेतन का भुगतान नहीं किया गया है. इस संबंध में जब प्रशासन को अवगत कराया जाता है तो वो आईटीआईडी फंड से वेतन देने की अनुमति लेने का आश्वासन देकर टाल देते हैं.

'सरकार से मिले लोन से कर्मचारियों को दिया वेतन'

जेसीटीएसएल ओएसडी वीरेंद्र वर्मा ने बताया कि जेसीटीएसएल के रेवेन्यू का जरिया बसों का संचालन ही है. कोरोना के चलते बस नहीं चलीं तो रेवेन्यू भी नहीं आया. ऐसे में कर्मचारियों को भुगतान कर नहीं पाए हैं. फिर भी सरकार की तरफ से जब ढाई करोड़ रुपए का लोन मिला तो उससे मार्च की सैलरी का भुगतान किया गया है.

उन्होंने बताया कि सरकार से फंड की मांग की गई है. सरकार ने आरटीआईडीएफ से पैसा जरूर दिया है, लेकिन वो गैर संवेतन मद में प्राप्त होता है. ऐसे में ट्रेजरी के सामने भी टेक्निकल प्रॉब्लम आ गई है. अब सरकार से अनुमति मांगी गई है कि इस पैसे को अस्थाई रूप से चालक-परिचालक की सैलरी के रूप में काम में ले सकें.

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वीरेंद्र वर्मा ने कहा कि इस संबंध में हाल ही में मुख्य सचिव के साथ हुई वार्ता में भी आरटीआईडीएफ से मिलने वाले पैसे को वेतन के रूप में भुगतान करने पर चर्चा की गई थी. हालांकि अभी मीटिंग के मिनट्स प्राप्त नहीं हुए हैं. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि जल्द चालक और परिचालकों के वेतन को लेकर प्रशासनिक स्तर पर कोई अहम फैसला लिया जाएगा.

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