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Dream 11 को हाईकोर्ट से मिली राहत, HC ने खारिज की जनहित याचिका - Rajasthan High Court Order

राजस्थान हाईकोर्ट से ड्रीम 11 फेंटसी प्रा. लि. को राहत मिली है. अदालत ने माना कि ड्रीम 11 प्लेटफार्म पर खिलाए जाने वाला खेल सट्टा ना होकर स्किल गेम है.

Dream 11 relieved from High Court, Rajasthan High Court News
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Oct 16, 2020, 8:47 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने वास्तविक खिलाड़ियों के साथ वर्चुअल गेम खिलाने वाली ड्रीम 11 फेंटसी प्रा.लि. को राहत देते हुए इस संबंध में दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. अदालत ने माना कि ड्रीम 11 प्लेटफार्म पर खिलाए जाने वाला खेल सट्टा ना होकर स्किल गेम है. अदालत ने कहा है कि प्रकरण में जीएसटी वसूलने से जुड़े बिंदू को कार्रवाई के लिए जीएसटी अधिकारियों पर छोड़ा जा रहा है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांती और न्यायाधीश महेन्द्र कुमार गोयल ने यह आदेश रविन्द्र सिंह चौधरी की जनहित याचिका पर दिए.

पढ़ें- गुर्जर आरक्षण पर रोक के लिए याचिका...16 अक्टूबर को सुनवाई रही अधूरी

जनहित याचिका में कहा गया कि ड्रीम 11 की ओर से ऑनलाइन खेल के नाम पर सट्टा खिलाया जा रहा है, जिसमें प्रतिभागी कम से कम सौ रुपए लगाकर एंट्री करता है. इसके अलावा कंपनी की ओर से कुल राशि में से 80 फीसदी राशि इनाम के रूप में बांट दी जाती है और शेष 20 फीसदी कंपनी खुद रख लेती है. कंपनी इस 20 फीसदी राशि पर ही जीएसटी दे रही है.

वहीं, केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट सहित अन्य हाईकोर्ट मान चुके हैं कि यह सट्टा ना होकर स्किल गेम है. इसके अलावा जीएसटी को लेकर विभाग कंपनी को पहले ही नोटिस जारी कर चुका है. दूसरी ओर ड्रीम 11 की ओर से कहा गया कि ऑनलाइन गेम में प्रतिभागी दोनों टीम के खिलाड़ियों को चुनते हैं. ऐसे में इसे सट्टा नहीं माना जा सकता. सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने जनहित याचिका को खारिज कर दिया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने वास्तविक खिलाड़ियों के साथ वर्चुअल गेम खिलाने वाली ड्रीम 11 फेंटसी प्रा.लि. को राहत देते हुए इस संबंध में दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. अदालत ने माना कि ड्रीम 11 प्लेटफार्म पर खिलाए जाने वाला खेल सट्टा ना होकर स्किल गेम है. अदालत ने कहा है कि प्रकरण में जीएसटी वसूलने से जुड़े बिंदू को कार्रवाई के लिए जीएसटी अधिकारियों पर छोड़ा जा रहा है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांती और न्यायाधीश महेन्द्र कुमार गोयल ने यह आदेश रविन्द्र सिंह चौधरी की जनहित याचिका पर दिए.

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जनहित याचिका में कहा गया कि ड्रीम 11 की ओर से ऑनलाइन खेल के नाम पर सट्टा खिलाया जा रहा है, जिसमें प्रतिभागी कम से कम सौ रुपए लगाकर एंट्री करता है. इसके अलावा कंपनी की ओर से कुल राशि में से 80 फीसदी राशि इनाम के रूप में बांट दी जाती है और शेष 20 फीसदी कंपनी खुद रख लेती है. कंपनी इस 20 फीसदी राशि पर ही जीएसटी दे रही है.

वहीं, केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट सहित अन्य हाईकोर्ट मान चुके हैं कि यह सट्टा ना होकर स्किल गेम है. इसके अलावा जीएसटी को लेकर विभाग कंपनी को पहले ही नोटिस जारी कर चुका है. दूसरी ओर ड्रीम 11 की ओर से कहा गया कि ऑनलाइन गेम में प्रतिभागी दोनों टीम के खिलाड़ियों को चुनते हैं. ऐसे में इसे सट्टा नहीं माना जा सकता. सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने जनहित याचिका को खारिज कर दिया है.

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