जयपुर. जिला निर्वाचन विभाग में ऐसी बानगी देखने को मिली जिसको देख खुद जिला निर्वाचन अधिकारी भी चौंक गए. लोकसभा चुनाव में जिला निर्वाचन विभाग ने मृत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों की भी ड्यूटी लगा दी है जिससे पूरी निर्वाचन प्रक्रिया पर ही सावलिया निशान लग गए हैं.
जिला निर्वाचन विभाग मृत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों से भी ड्यूटी कराने की सोच रहा है, इसी लिए शायद मृत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों की ड्यूटी भी लगा दी गई है. ऐसे में विभाग की अब किरकरी हो रही है. जिला निर्वाचन विभाग ने ऐसे कर्मचारियों की ड्यूटी लगा दी जो सालों पहले ही दुनिया छोड़ चुके हैं या सालों पहले सेवानिवृत्त हो चुके हैं.
मृत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को जिला निर्वाचन विभाग ने लोकसभा चुनाव में अहम जिम्मेदारी दी है और इसी लिए उनको लोकसभा चुनाव की ट्रेनिंग के लिए भी बुलाया है. जिला निर्वाचन अधिकारी जागरूप सिंह यादव खुद इस मामले को देखकर चौंक गए. जब उनसे इस बारे में बात की गई तो उन्होंने इस लापरवाही के लिए कर्मचारियों के विभागों को ही जिम्मेदार बता दिया. उन्होंने कहा कि चुनाव में हजारों कर्मचारी ड्यूटी लगाई जाती है ऐसी स्थिति में विभागों ने जो डाटा भेजा है, उसी के आधार पर ड्यूटी लगाई गई है.उन्होंने यह जरूर कहा कि इस कृत्य के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जाएगी. पड़ताल में सामने आया है कि कर्मचारियों के मूल विभागों द्वारा भेजा गया डेटा पुराना था जिसको काफी लम्बे समय से अपडेट नहीं किया गया था.
जिला निर्वाचन विभाग के कारनामे की बानगी-
सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में कनिष्ठ सहायक पद पर कार्यरत सुनील कुमार की मौत 2017 में हो चुकी है, इसके बावजूद भी जिला निर्वाचन विभाग ने उनके नाम से चुनाव ड्यूटी का आदेश भेज दिया और 4 अप्रैल को पौद्दार राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में बुलाया गया है. इसी विभाग में कार्यरत वरिष्ठ सहायक श्याम लाल की मौत 2015 में हो चुकी है इसके बावजूद भी विभाग ने उन्हें लोकसभा चुनाव की ड्यूटी के लिए बलाया गया है. इसके अलावा आदेश में ऐसे कई लोग हैं जो सालों पहले सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं ऐसा ही एक नाम जगदीश नारायण मीणा का है जो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे जो पिछली 28 फरवरी को रिटायर हो चुके हैं.