जयपुर. केंद्र सरकार द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति पर पूरे देश में विश्लेषण किया जा रहा है. विपक्षी दल इसे एक पक्षीय नीति बताकर विरोध कर रहे हैं. इसी बीच राजधानी जयपुर में शिक्षा सेवा समिति के बैनर तले सेवादल और यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने शिक्षा नीति पर मंथन किया. इस दौरान राष्ट्रीय सेवादल के अध्यक्ष लालजी देसाई, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और मुख्य सचेतक महेश जोशी सहित कई वक्ता मौजूद रहे.
इस दौरान डोटासरा ने कहा कि नई शिक्षा नीति में जीडीपी का 6 फीसदी बजट हिस्सा होना चाहिए था, लेकिन इस पॉलिसी को धरातल पर उतारने के लिए बजट का कोई प्रावधान नहीं किया गया. प्रधानमंत्री मोदी विदेशी मित्रों को ऑब्लाइज करने के लिए इसका निजीकरण कर रहे हैं. प्री-प्राइमरी को मजबूत करने के लिए आंगनबाड़ियों की बात जरूर की गई है, लेकिन उसके लिए बजट नहीं दिया जा रहा है.
साक्षात्कार के माध्यम से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं की भर्ती करने की साजिश की जा रही है. जिसका कांग्रेस विरोध करती है. उन्होंने कहा कि राजीव गांधी ने 1986 में जो शिक्षा नीति दी थी, उस पॉलिसी की नेम ब्रांडिंग करने की कोशिश की गई है. उन्होंने इसे देश के साथ खिलवाड़ बताते हुए कहा कि किस तरह क्वालिटी एजुकेशन दी जाएगी, इसका पूरी शिक्षा नीति में जिक्र तक नहीं है.
यह भी पढ़ें : लालजी देसाई का BJP और RSS पर कटाक्ष, कहा- देश का झंडा तिरंगा...अब नहीं चलेगा दो रंगा
डोटासरा ने कहा कि राज्य सरकारों और शिक्षाविदों से चर्चा किए बिना बनाई गई शिक्षा नीति में अभी काफी सुधार होने की गुंजाइश है. केंद्र सरकार को राज्यों से मिले सुझावों के आधार पर शिक्षा नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए.