जयपुर. राजधानी में स्थित सवाई मानसिंह अस्पताल (Sawai Mansingh Hospital) के चिकित्सकों ने एक दुर्लभ ऑपरेशन के जरिए एक साल के मासूम को नया जीवन दिया है. अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि एक साल का यह मासूम एक जन्मजात बीमारी से जूझ रहा था और अस्पताल के चिकित्सकों ने एक जटिल ऑपरेशन के जरिए बच्चे की जान बचाई.
सवाई मानसिंह अस्पताल के कार्डियक सर्जन डॉक्टर मोहित शर्मा ने बताया कि आगरा फतेहपुर सीकरी निवासी एक बच्चे को रेफर किया गया था, जो सुपरा कार्डिक टोटल ऐनोमेल्स पल्मोनरी वेनस कनेक्शन नामक बीमारी से जूझ रहा था. बच्चे को सांस लेने में काफी तकलीफ उठानी पड़ती थी. अस्पताल में भर्ती करने के बाद बच्चे की जब जांच की गई तो सामने आया कि वह Total Anomalous Pulmonary Venous Connection (TAPVC) नाम की एक ह्रदय रोग, जो एक जन्मजात बीमारी है उससे जूझ रहा है.
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डॉक्टर ने बताया कि इस बीमारी में फेफड़े की नसें दिल में नहीं खुल पाती हैं. ऐसे में अस्पताल के चिकित्सकों ने तुरंत बच्चे के ऑपरेशन का निर्णय लिया. डॉ. मोहित ने यह भी बताया कि यह ऑपरेशन काफी जटिल था, लेकिन अस्पताल के अन्य स्टाफ और चिकित्सकों की मदद से इस जटिल ऑपरेशन को अंजाम दिया गया और बच्चे की जिंदगी बचाई गई.
अस्पताल के सीटीवीएस डिपार्टमेंट के एचओडी डॉक्टर अनिल शर्मा के नेतृत्व में डॉक्टर सुनील दीक्षित, डॉक्टर रीमा, डॉक्टर केके महावर और डॉक्टर मोहित शर्मा ने इस जटिल ऑपरेशन को अंजाम दिया गया. चिकित्सकों ने यह भी बताया कि यह काफी दुर्लभ बीमारी है और समय पर यदि इलाज नहीं किया जाए तो मरीज की जान जा सकती है.
क्या होती है 'टोटल ऐनोमेल्स पल्मोनरी वेनस कनेक्शन' बीमारी?
कुल विषम फुफ्फुसीय शिरापरक वापसी (Total Anomalous Pulmonary Venous Connection) एक हृदय रोग है, जिसमें फेफड़ों से हृदय तक रक्त ले जाने वाली चार नसें सामान्य रूप से बाएं आलिंद (दिल के ऊपरी ऊपरी कक्ष) से जुड़ी नहीं होती हैं. इसके बजाय, वे एक अन्य रक्त वाहिका या हृदय के गलत हिस्से से जुड़ जाते हैं. यह जन्म के समय (जन्मजात हृदय रोग) होता है. फिलहाल, डॉक्टरों के मुताबिक कुल विसंगति फुफ्फुसीय शिरापरक वापसी बीमारी का कारण अज्ञात है.
इस बीमारी के लक्षण की बात करें तो त्वचा का नीला रंग (सायनोसिस), बार-बार श्वसन संबंधी संक्रमण, सुस्ती, उचित पोषण न मिलना, खराब विकास, तेजी से सांस लेना होता है. हालांकि डॉक्टरों का यह भी मानना है कि कभी-कभी, कोई भी लक्षण बचपन या प्रारंभिक बचपन में मौजूद नहीं हो सकता है. फिलहाल इस बीमारी से जल्द निजात पाने के लिए सर्जरी की जरूरत होती है. सर्जरी में, फुफ्फुसीय नसों को बाएं आलिंद से जोड़ा जाता है और दाएं और बाएं आलिंद के बीच का दोष बंद होता है.