जयपुर. किसी ने सच ही कहा है कि 'जाको राखे साइयां, मार सके न कोई'. डेंगू जैसी जानलेवा बीमारी से जूझ रहे एक 11 वर्षीय बच्चे को बचाने के लिए डॉक्टर्स को जद्दोजहत करनी पड़ी. मामला जयपुर के निजी अस्पताल का है. चिकित्सक राजीव बंसल ने बताया कि 11 साल के प्रिंस को डेंगू होने को बाद जयपुर रेफर किया गया था. बच्चे को एक हफ्ते से बुखार, पेट-दर्द, उल्टी और शरीर में सूजन जैसी समस्या थी. मरीज की हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि उसके फेंफड़ों में भी निमोनिया हो गया.
जांच के बाद पता चला कि उसके दोनों फेफड़ों में ऑक्सीजन पास नहीं हो पा रही है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगी. ऐसे में मरीज को वेंटिलेटर के माध्यम से ऑक्सीजन देने की कोशिश की गई, लेकिन वेंटिलेटर भी फेल हो गया. ऐसे में अन्य चिकित्सकों से बात करने के बाद एक्मो मशीन के माध्यम से मरीज को कृत्रिम सांस दी गई और इसके बाद मरीज धीरे-धीरे ठीक होने लगा.
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चिकित्सकों का कहना है कि इस तरह का राजस्थान में यह पहला मामला है और देश में दूसरा जहां कृत्रिम फेफड़ों की मदद से मरीज को ऑक्सीजन पर रखा गया और छह दिन के अथक प्रयास के बाद आखिरकार मरीज की जान बचाई जा सकी. चिकित्सकों ने बताया कि एक्मो मशीन फेफड़ों की तरह काम करती है. इसमें मरीज की नसों से खून खींचकर उसे मशीन द्वारा ऑक्सीफाइड किया जाता है और फिर से उसे नसों में डाल दिया जाता है. जिससे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बनी रहती है. इसी तरकीब से बच्चे को बचाना संभव हो सका है.