जयपुर. जिस अधिकारी के एक हस्ताक्षर से ग्रेटर निगम में हड़कंप मच गया, सत्ता परिवर्तन की चर्चाएं तेज हो गईं, उन्हीं डीएलबी डायरेक्ट दीपक नंदी ने महापौर और तीन पार्षदों के निलंबन के पीछे के कारणों का खुलासा किया. साथ ही इस जांच को पूरी तरह सही और निष्पक्ष भी बताया.
दरअसल, 4 जून को महापौर के चेंबर में हुई मीटिंग ने निगम के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया. यहां बीवीजी कंपनी (BVG Company) के भुगतान और सफाई के वैकल्पिक इंतजाम के मुद्दे पर ग्रेटर महापौर डॉ. सौम्या गुर्जर (Mayor Somya Gurjar) और कमिश्नर यज्ञ मित्र सिंह के बीच जंग छिड़ गई, मामला हाथापाई तक जा पहुंचा. इस पर राज्य सरकार ने महापौर और तीनों पार्षदों को दोषी मानते हुए तुरंत प्रभाव से पद से निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया.
महापौर और तीन पार्षदों को निलंबित करने के आदेश पर डीएलबी डायरेक्टर ने निलंबन के पीछे के कारणों का खुलासा करते हुए बताया कि सक्षम स्तर से निर्णय लेकर राज्य सरकार के आदेशों की पालना की गई है. जांचकर्ता की रिपोर्ट में जो तथ्य सामने आए, उसके आधार पर ही राज्य सरकार ने निर्णय लिया है. महापौर कार्यालय कक्ष में आयुक्त नगर निगम जयपुर ग्रेटर (Jaipur Greater Municipal Corporation) के साथ मारपीट, धक्का-मुक्की करने, अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हुए राजकीय कार्य में बाधा डालने से संबंधित प्रकरण का जिक्र किया गया है.
मामले की जांच कर रही क्षेत्रीय उपनिदेशक की ओर से राजस्थान नगरपालिका अधिनियम- 2009 में वर्णित कृत्यों के लिए महापौर डॉ. सौम्या गुर्जर, पार्षद पारस जैन, अजय सिंह चौहान और शंकर शर्मा को पूर्णतया दोषी और उत्तरदायी माना है. राज्य सरकार की ओर से उनके विरुद्ध राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 39(3) के अंतर्गत न्यायिक जांच कराए जाने का निर्णय लिया गया है. इनके पद पर बने रहने से न्यायिक जांच प्रभावित होने की आशंका रहती है, इसलिए प्रावधान के तहत निलंबन के आदेश जारी किए गए हैं.
कांग्रेस सरकार की ओर से मेयर का नाम भेजे जाने की चर्चाएं तेज हो गई हैं. इस पर डीएलबी डायरेक्टर ने स्पष्ट किया कि निलंबन की स्थिति में मेयर की कुर्सी पर कौन बैठेगा, इसका अध्ययन किया जा रहा है और नियमानुसार ही कार्यवाहक मेयर की नियुक्ति की जाएगी. हालांकि, अब तक इस संबंध में कोई सूचना और पत्रावली प्राप्त नहीं हुई है. नियमों के अनुसार निलंबित सदस्य नगर निगम की किसी भी कार्यवाही में शामिल नहीं हो सकेगा. ऐसे में महापौर का चार्ज उपमहापौर को भी दिया जा सकता है.