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जब कोरोना फैल रहा है, तो स्कूलों में कार्यक्रम कराना जरूरी है ? स्पीकर ने शिक्षा मंत्री को लगाई फटकार

उदयपुर के अंध विद्यालय में हुए कार्यक्रम में करीब 40 बच्चों के कोरोना की चपेट में आने के बाद भी शिक्षा विभाग ने कोई सबक नहीं लिया. हाल ही में शिक्षा विभाग ने एक आदेश निकाल कर ऐसे कार्यक्रम 31 मार्च तक किए जाने के निर्देश जारी कर दिए. इस मसले को नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने मंगलवार को विधानसभा में उठाया, तब जाकर शिक्षा मंत्री उन्हें अपनी गलती मानी और यह आदेश वापस लेने की बात भी कही.

department of education , outbreak of coronavirus
सदन में कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच शिक्षा विभाग का नये फरमान का मुद्दा उठा...
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Published : Mar 10, 2021, 4:45 PM IST

जयपुर. उदयपुर के अंध विद्यालय में हुए कार्यक्रम में करीब 40 बच्चों के कोरोना की चपेट में आने के बाद भी शिक्षा विभाग ने कोई सबक नहीं लिया. हाल ही में शिक्षा विभाग ने एक आदेश निकाल कर ऐसे कार्यक्रम 31 मार्च तक किए जाने के निर्देश जारी कर दिए. इस मसले को नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने मंगलवार को विधानसभा में उठाया, तब जाकर शिक्षा मंत्री उन्हें अपनी गलती मानी और यह आदेश वापस लेने की बात भी कही.

सदन में कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच शिक्षा विभाग का नये फरमान का मुद्दा उठा...

नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने शून्यकाल में यह मामला उठाते हुए शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा का ध्यान आकर्षित किया और यह भी कहा कि पूर्व में उदयपुर जिले में ही 40 बच्चे इस प्रकार के आयोजन के चक्कर में कोरोना की चपेट में आ गए और ये कोरोना विस्फोटक रूप ना ले ले. इसकी व्यवस्था करने के लिए ही इस प्रकार के कार्यक्रमों के आयोजन पर पाबंदी लगाने की मांग की गई थी, लेकिन आपके शिक्षा विभाग ने एक नया फरमान निकाल दिया, जिसमें यह निर्देश दिए गए कि जो कार्यक्रम 21 मार्च तक होने थे अब किसी भी सूरत में 30 मार्च तक उसे करें. मतलब कोरोना चाहे कितना भी फेले, लेकिन शिक्षा विभाग तो इस प्रकार के आयोजन करवाने आमादा है. कटारिया ने कहा शिक्षा विभाग के डायरेक्टर की ओर से निकाले गए सर्कुलर में कार्यक्रम न करवाने पर संबंधित स्कूल प्रिंसिपल और अन्य कर्मचारियों पर विभागीय कार्रवाई की बात भी लिखी है.

निदेशक के खिलाफ हो कार्रवाई...

इस मसले पर आसन पर मौजूद स्पीकर डॉक्टर सीपी जोशी ने भी कहा कि जब सदन में पूर्व में इस मसले पर चर्चा हो चुकी है और यह भी कहा गया है कि कोरोना जब फैल रहा है तो इस प्रकार के कार्यक्रम ना हो और विभाग पर पाबंदी लगाए. उसके बावजूद डायरेक्टर की ओर से इस प्रकार का सर्कुलर निकाला जाना बेहद गलत है और इस प्रकार के निर्देश निकालने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाना चाहिए.

सदन में कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच शिक्षा विभाग का नये फरमान का मुद्दा उठा...
मेरे आदेश पर निकाला सर्कुलर लेकिन अब ले लेंगे वापस...

इस बीच सदन में मौजूद शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा ने कहा कि स्कूलों में कराए जाने वाले कार्यक्रम कोरोना की गाइडलाइन की पालना करते हुए करवाए जाने के निर्देश दिए गए हैं. लेकिन, स्पीकर ने कहा कि जब कोरोना वायरस है और पूर्व में सदन में चर्चा हो चुकी है. ऐसे में कार्यक्रमों पर पाबंदी लगाया जाए, तो फिर इस प्रकार के निर्देश का क्या औचित्य है. ऐसे में शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह निर्देश मेरे कहने पर ही निकाले गए, लेकिन सदन की भावना और आप के आदेश को देखते हुए यह निर्देश वापस ले लिए जाएंगे.

नहीं हो रही गाइडलाइन की पालना...

इस दौरान सदन में स्पीकर डॉ. सीपी जोशी ने कहा कि पिछले दिनों वह भी एक स्कूल के इसी तरह के कार्यक्रम में गए थे. लेकिन, वहां पर कोरोना से जुड़ी गाइडलाइन की कोई पालना नहीं हो रही थी. ना तो बच्चों के अभिभावकों के मुंह पर मास्क थे और ना संख्या का कोई मापदंड ऐसे में सरकार ने बड़ी मेहनत के बाद कोरोना पर रोकथाम की है.

जयपुर. उदयपुर के अंध विद्यालय में हुए कार्यक्रम में करीब 40 बच्चों के कोरोना की चपेट में आने के बाद भी शिक्षा विभाग ने कोई सबक नहीं लिया. हाल ही में शिक्षा विभाग ने एक आदेश निकाल कर ऐसे कार्यक्रम 31 मार्च तक किए जाने के निर्देश जारी कर दिए. इस मसले को नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने मंगलवार को विधानसभा में उठाया, तब जाकर शिक्षा मंत्री उन्हें अपनी गलती मानी और यह आदेश वापस लेने की बात भी कही.

सदन में कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच शिक्षा विभाग का नये फरमान का मुद्दा उठा...

नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने शून्यकाल में यह मामला उठाते हुए शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा का ध्यान आकर्षित किया और यह भी कहा कि पूर्व में उदयपुर जिले में ही 40 बच्चे इस प्रकार के आयोजन के चक्कर में कोरोना की चपेट में आ गए और ये कोरोना विस्फोटक रूप ना ले ले. इसकी व्यवस्था करने के लिए ही इस प्रकार के कार्यक्रमों के आयोजन पर पाबंदी लगाने की मांग की गई थी, लेकिन आपके शिक्षा विभाग ने एक नया फरमान निकाल दिया, जिसमें यह निर्देश दिए गए कि जो कार्यक्रम 21 मार्च तक होने थे अब किसी भी सूरत में 30 मार्च तक उसे करें. मतलब कोरोना चाहे कितना भी फेले, लेकिन शिक्षा विभाग तो इस प्रकार के आयोजन करवाने आमादा है. कटारिया ने कहा शिक्षा विभाग के डायरेक्टर की ओर से निकाले गए सर्कुलर में कार्यक्रम न करवाने पर संबंधित स्कूल प्रिंसिपल और अन्य कर्मचारियों पर विभागीय कार्रवाई की बात भी लिखी है.

निदेशक के खिलाफ हो कार्रवाई...

इस मसले पर आसन पर मौजूद स्पीकर डॉक्टर सीपी जोशी ने भी कहा कि जब सदन में पूर्व में इस मसले पर चर्चा हो चुकी है और यह भी कहा गया है कि कोरोना जब फैल रहा है तो इस प्रकार के कार्यक्रम ना हो और विभाग पर पाबंदी लगाए. उसके बावजूद डायरेक्टर की ओर से इस प्रकार का सर्कुलर निकाला जाना बेहद गलत है और इस प्रकार के निर्देश निकालने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाना चाहिए.

सदन में कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच शिक्षा विभाग का नये फरमान का मुद्दा उठा...
मेरे आदेश पर निकाला सर्कुलर लेकिन अब ले लेंगे वापस...

इस बीच सदन में मौजूद शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा ने कहा कि स्कूलों में कराए जाने वाले कार्यक्रम कोरोना की गाइडलाइन की पालना करते हुए करवाए जाने के निर्देश दिए गए हैं. लेकिन, स्पीकर ने कहा कि जब कोरोना वायरस है और पूर्व में सदन में चर्चा हो चुकी है. ऐसे में कार्यक्रमों पर पाबंदी लगाया जाए, तो फिर इस प्रकार के निर्देश का क्या औचित्य है. ऐसे में शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह निर्देश मेरे कहने पर ही निकाले गए, लेकिन सदन की भावना और आप के आदेश को देखते हुए यह निर्देश वापस ले लिए जाएंगे.

नहीं हो रही गाइडलाइन की पालना...

इस दौरान सदन में स्पीकर डॉ. सीपी जोशी ने कहा कि पिछले दिनों वह भी एक स्कूल के इसी तरह के कार्यक्रम में गए थे. लेकिन, वहां पर कोरोना से जुड़ी गाइडलाइन की कोई पालना नहीं हो रही थी. ना तो बच्चों के अभिभावकों के मुंह पर मास्क थे और ना संख्या का कोई मापदंड ऐसे में सरकार ने बड़ी मेहनत के बाद कोरोना पर रोकथाम की है.

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