जयपुर. राजस्थान में जयपुर, जोधपुर और कोटा के 6 नगर निगम में चुनाव होने हैं. लेकिन राजधानी जयपुर के नगर निगम के चुनाव में टिकट वितरण कांग्रेस पार्टी के लिए एक बड़ी उलझन बन चुका है. ऊपरी खाने से भले ही एआईसीसी के कोऑर्डिनेटर और पर्यवेक्षक टिकट वितरण का काम देख रहे हों, लेकिन हकीकत यह है कि राजधानी जयपुर के विधायकों ने दो टूक कह दिया है.
विधायकों का कहना है कि अगर जीत चाहिए तो उनकी विधानसभा के पार्टी प्रत्याशियों के सिंबल उन्हें सौंप दिए जाएं. उचित और जिताऊ प्रत्याशियों को सिंबल वह खुद बांट देंगे. लेकिन एआईसीसी कोऑर्डिनेटर काजी निजामुद्दीन और पर्यवेक्षक तरुण कुमार इसके लिए तैयार नहीं हुए. जिसके चलते जयपुर हेरिटेज के विधायक एक बार भी एक साथ बैठक करने पर्यवेक्षक और कोऑर्डिनेटर के पास नहीं पहुंचे.
ये पढ़ें: नगर निगम चुनाव : 18 अक्टूबर तक हो सकते हैं कांग्रेस उम्मीदवारों के नामों की घोषणा : धारीवाल
दरअसल एआईसीसी कोऑर्डिनेटर काजी निजामुद्दीन और पर्यवेक्षक तरुण कुमार ने विधायकों से उनके नाम शुक्रवार दिन में 12:30 बजे तक मांगे थे, लेकिन सिवाय मंत्री प्रताप सिंह के एक भी विधायक मीटिंग में नहीं पहुंचा. विधायक रफीक खान मीटिंग से पहले होटल में पहुंचे और महज 5 मिनट में ही वापस निकल गए. उसके बाद जयपुर के सभी विधायकों से शाम 7:00 बजे तक अपने पैनल सौंपने को कहा गया.
वहीं मुख्य सचेतक महेश जोशी और विधायक अमीन कागजी देर शाम होटल में पहुंचे लेकिन उन्होंने भी अपने नाम नहीं सौंपे. सभी विधायकों का एक स्वर में यह कहना था कि, जितने भी वार्ड उनकी विधानसभा में आते हैं उनके सिंबल उन्हें सौंप दिए जाए. ताकि वह योग्य प्रत्याशियों में इन्हें बांट दें. लेकिन इसके लिए कोऑर्डिनेटर काजी निजामुद्दीन और पर्यवेक्षक तरुण कुमार राजी नहीं हुए. जिसके चलते यह झगड़ा मुख्यमंत्री तक पहुंच गया.
ये पढ़ें: भाजपा को सता रहा बगावत का डर...कई वार्डों में नाम तय लेकिन घोषणा नहीं
बता दें कि रात करीब 9:00 बजे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी नेताओं को मुख्यमंत्री आवास पर तलब कर लिया. लेकिन वहां भी अंतिम निर्णय नहीं निकला. जिसके बाद अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान के प्रभारी महासचिव अजय माकन पर अंतिम निर्णय छोड़ दिया है.
बता दें कि टिकट वितरण के विवाद की शुरुआत गुरुवार को ही हो गई थी. जब जिला प्रभारी मंत्री शांति धारीवाल और पूर्व महापौर ज्योति खंडेलवाल प्रत्याशियों को लेकर तकरार हुई थी. वहीं दूसरी ओर अब विधायकों के एकजुट होने के बाद विधानसभा में प्रत्याशी रहे नेताओं ने भी साफ कर दिया है कि उनके दिए गए नामों मैं इसे अगर कोई नाम हटता है तो जीत की जिम्मेदारी उनकी नहीं होगी.