जयपुर. राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम प्रकाश माथुर ने 15 अगस्त को बड़ी चौपड़ और भाजपा मुख्यालय पर ध्वजारोहण किया था. उनके ध्वजारोहण करने के साथ ही नई चर्चा शुरू हो गई है कि क्या भाजपा एक बार फिर ओम माथुर को प्रदेशाध्यक्ष का पदभार सौंपेगी.
बता दें कि माथुर राजस्थान से दूसरी बार राज्यसभा सांसद बने हैं. राजस्थान के फालना में जन्में माथुर को मोदी और शाह का नजदीकी माना जाता है. गुजरात में लंबे समय तक माथुर प्रभारी रहे और वहां भाजपा की सरकार बनी. इसी तरह यूपी में भी उन्हें प्रभारी बनाया गया और वहां भी भाजपा को जीत मिली. पार्टी ने उन्हें पिछले दिनों झारखंड का चुनाव प्रभारी भी बनाया है.
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ये है ओम माथुर का सियासी अनुभव
- 1990 से 2002 तक राजस्थान में संगठन महामंत्री थे माथुर
- 2002 से 2008 तक मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तराखंड के प्रभारी रहे
- 2005—08 तक उन्हें पार्टी ने राष्ट्रीय महासचिव बनाया
- 2008 में राजस्थान से राज्यसभा सांसद चुने गए
- वर्ष 2008-09 में माथुर राजस्थान भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष बने
- 2014 में महाराष्ट्र जीत में भी ओम माथुर की अहम भूमिका रही
- अभी राजस्थान से राज्यसभा सांसद हैं
- 2017 में यूपी प्रभारी बने और यहां भी भाजपा की सरकार बनी
- 2019 में उन्हें झारखंड का चुनाव प्रभारी बनाया गया है
ओम प्रकाश माथुर 2008-09 में राजस्थान भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रह चुके हैं. लेकिन उस दौरान भाजपा को राजस्थान में हार मिली थी. इसे बाद पार्टी ने अरुण चतुर्वेदी को भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष बना दिया था. जिसके बाद माथुर राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हो गए. राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें राजस्थान का सीएम बनाने की भी चर्चा चली थी.
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हालांकि उन्होंने इस तरह की संभावनाओं से साफ इनकार कर दिया था. अब अचानक राजस्थान में उनकी सक्रियता से चर्चाओं का दौर तेज हो चला है. कार्यकर्ताओं में सुगबुगाहट है कि उन्हें पाटी प्रदेश की कमान सौंप सकती है. गौरतलब है कि प्रदेश भाजपा को वर्तमान में एक मजबूत नेता की जरूरत है जो पार्टी को संगठनात्मक रूप से मजबूत रख सके. ऐसे में ओम माथुर का सक्रिय होना संकेत दे रहा है कि पार्टी उन्हें राजस्थान में कुछ बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है.